सर्वेश द्विवेदी की रिपोर्ट
करीब डेढ़ वर्ष पहले जब समाजवादी पार्टी ने ‘नई हवा है-नई सपा है…’ गाना लांच किया था तो सपा की अपने पुराने एमवाई (मुस्लिम-यादव) फैक्टर से निकलने की छटपटाहट साफ दिखाई दे रही थी। सपा ने एमवाई के साथ ही दलित व दूसरी जातियों पर फोकस किया तो वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में उसकी सीटें 47 से बढ़कर 111 हो गईं। मतदान प्रतिशत भी अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया। सपा अब 2024 के लोकसभा चुनाव में भी इसी सफल फार्मूले पर आगे बढ़ेगी। दो दिवसीय राज्य व राष्ट्रीय सम्मेलन में दलितों व पिछड़ों की एकता का मंत्र देकर वर्ष 2024 का एजेंडा सेट कर दिया।
समाजवादी पार्टी ने अपने 11वें राष्ट्रीय सम्मेलन (SP National Convention) में भारतीय जनता पार्टी को सत्ता से हटाने और संविधान व लोकतंत्र को बचाने का संकल्प लिया। 12 पेज के राजनीतिक व आर्थिक प्रस्ताव को पेश करते हुए सपा के वरिष्ठ नेता अम्बिका चौधरी ने महंगाई, बेरोजगारी, कानून व्यवस्था सहित कई मोर्चे पर भाजपा सरकार को घेरा। कहा कि संविधान की भावना और भारत की आत्मा पर भाजपा सरकार हमले कर रही है। सरकार के संरक्षण में नफरत का जहर फैलाया जा रहा है।
सपा ने अपने दो दिवसीय सम्मेलन में जो राजनीतिक व आर्थिक प्रस्ताव पास कराया है उसमें हर जातियों में पैठ बनाने के लिए सभी को साधने की कोशिश की गई है। आजम खां सहित अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न के मुद्दे उठाकर सपा ने अपने परंपरागत वोटबैंक में सेंधमारी न हो सके इसका भी ख्याल रखा है।
महिला मतदाताओं को भी साधने का प्रयास
अखिलेश ने ‘साइलेंट वोटर’ यानी महिला मतदाताओं को भी साधने के लिए कहा। उन्होंने यह भी कहा कि हमें अपनी माताओं और बहनों के बीच जाकर उनके मुद्दों को उठाना होगा। उन्हें यह भी बताना होगा कि महिलाओं के खिलाफ कितनी आपराधिक घटनाएं हो रही हैं।
सभी धर्मों व जातियों के नेताओं मंच पर दी जगह
बेरोजगारी का मुद्दा उठाकर नाैजवानों व किसानों की समस्याएं उठाकर अन्नदाताओं को साधने की कोशिश की है। सम्मेलन के मंच पर सभी धर्मों व जातियों के नेताओं को बैठाकर यह संदेश देने की कोशिश की कि सपा सभी धर्मों के सम्मान करती है। सपा केंद्र व राज्य सरकार की नाकामियों को जनता तक ले जाकर भाजपा के खिलाफ माहौल तैयार करेगी। सपा पानी की कमी को भी प्रमुखता से जनता के बीच ले जाएगी।
पीएम पद की दावेदारों से किया अलग
दो दिवसीय राज्य व राष्ट्रीय सम्मेलन में अखिलेश को प्रधानमंत्री पद के दावेदार बनाए जाने की उठी मांग को खुद सपा मुखिया ने नकार दिया। राष्ट्रीय अधिवेशन में अखिलेश ने कहा, ‘मैं अपने समाजवादी प्रतिनिधियों के सामने कहना चाहता हूं, 2024 के चुनाव की लड़ाई बहुत बड़ी लड़ाई है। हमारा कोई ऐसा सपना नहीं हैं कि हम उस स्थान (पीएम पद) पर पहुंचें, लेकिन समाजवादियों का ये सपना जरूर है कि जो समाज में बांटने वाली ताकतें हैं उनको सत्ता से बाहर निकालने का काम हम लोग मिलकर करें।’
भाजपा के फार्मूले पर आगे बढ़ी सपा
भाजपा से मुकाबला करने के लिए सपा ने उसी के फार्मूले को अपनाने का निर्णय लिया है। अखिलेश ने कार्यकर्ताओं और नेताओं को ‘अपना बूथ सबसे मजबूत’ बनाने का मंत्र भी दिया। कहा कि 2022 के चुनाव नतीजे बदले नहीं जा सकते हैं, लेकिन परिणाम से एक बात तो साफ है कि हमने और आपने अगर मुकाबला किया होता और अपने-अपने बूथों पर दो से तीन प्रतिशत वोट बढ़ा दिए होते तो आज प्रदेश में सपा की सरकार होती।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."