दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट
यूपी के लखीमपुर खीरी जिले में बुधवार को दो सगी दलित लड़कियों के शव पेड़ से लटके हुए मिले थे। आरोप है कि निघासन पुलिस थाना क्षेत्र में दो दलित बहनों को अगवा करने के बाद उनके साथ दुष्कर्म किया गया और उनकी गला घोंट कर हत्या कर दी गई है। इस बर्बर घटना ने कुछ साल पहले प्रदेश में हुए संभल, बदायूं, बहराइच और हाथरस में हुए हत्याकांड की याद दिला दी है। ठीक ऐसे ही यूपी के संभल में भी 19 और 18 साल की दो सगी बहनों के शव पेड़ पर लटकते हुए मिले थे।
बदायूं में भी दो चचेरी बहनों के शवों को पेड़ से लटका हुआ पाया गया था। बहराइच में भी दो बहनों के शव पेड़ से झूलते मिले थे। हाथरस कांड में भी दुष्कर्म नहीं कर पाने पर लड़की की गला घोंट कर हत्या का प्रयास किया गया। बाद में इलाज के दौरान पीड़िता की मौत हो गई। ये सभी मामले पश्चिमी यूपी में हुए। इन सभी मामलों ने राजनीतिक रूप से खूब तूल पकड़ा था।
लखीमपुर खीरी में दो बहनों की हत्या
जिले में निघासन थाना के तमोलीन पुरवा गांव में बुधवार दोपहर को दो दलित सगी बहनों को अगवा करने के बाद गन्ने के खेत में उनके शव पेड़ पर लटके मिले थे। घटना की जानकारी देते हुए मृतक बेटियों की मां ने बताया कि वह अपनी 15 साल और 17 साल की दो लड़कियों के साथ घर के बाहर बैठी हुई थी। इसी बीच जब वह घर के अंदर गई, तभी वहां बाइक सवार तीन युवक पहुंच गए। उन तीन में से दो लड़कों ने उनकी बेटियों को घसीटकर बाइक पर बैठा लिया और दोनों को लेकर मौके से फरार हो गए। उसके बाद लड़कियों के शव पेड़ से लटके हुए मिले।
[embedyt] https://www.youtube.com/watch?v=WxoXoevzdlk[/embedyt]
मां का कहना है कि तीनों युवक लालपुर गांव के रहने वाले हैं। उनकी रस्सी से गला घोंट कर हत्या की गई थी। उनके साथ सामूहिक दुष्कर्म भी किया गया था। इसकी पुष्टि गुरुवार को उनके शवों के पोस्टमार्टम के बाद हुई। बाद में घटना में शामिल आरोपितों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। वारदात में शामिल जुनैद, सोहेल, हाफिजुल, करीमुद्दीन और आरिफ शामिल थे।
2014 का बदायूं कांड
कुछ ऐसी ही घटना वर्ष 2014 में यूपी के बदायूं जिले के कटरा सदातगंज गांव में हुई थी। यहां 27 मई, 2014 की रात जब शौच के लिए खेत की ओर जा रही थीं, बाद में 12 और 14 साल की दो दलित चचेरी बहनों के शव आम के पेड़ से लटके हुए मिले थे। उस समय आरोप लगा था कि बहनों की दुष्कर्म के बाद उनकी हत्या कर शवों को पेड़ पर लटका दिया गया था। इस घटना के बाद पूरे देश में उबाल आ गया था। इस मामले में जमकर राजनीति भी हुई थी। तत्कालीन अखिलेश यादव सरकार को मामले को लेकर बदनामी का सामना करना पड़ा था।
पहले एसआईटी जांच का गठन हुआ। दुष्कर्म की बात आरोपियों ने स्वीकार ली। बाद राज्य सरकार ने सीबीआई जांच के आदेश दिए गए थे। जांच रिपोर्ट में बताया गया कि ये मामला आनर किलिंग का था। बाद में आरोपी जमानत पर रिहा हो गए और कोर्ट में मामला अभी भी पेंडिग है।
2019 का संभल कांड
ऐसी ही घटना 2019 में पश्चिमी यूपी के संभल के गुन्नौर इलाके के ढूमना दीपपुर गांव में हुई थी। यहां किसान रामवीर की बेटी कविता (21) और सीमा (19) एक शाम अचानक से घर से गायब हो गई थीं। काफी खोजने के बाद दोनों लड़कियों का कुछ पता नहीं चल सका था। अगली सुबह दोनों सही बहनों के शव पेड़ पर फांसी के फंदे पर लटके हुए मिले थे। इस मामले ने भी खूब तूल पकड़ा था।
बहराइच कांड
यहां के कोतवाली नानपारा क्षेत्र अंतर्गत चंदनरपुर गांव में पेड़ पर पर झलूती दो बहनों के शव मिले थे। उस समय दोनों लड़कियों की उम्र 21 और 19 वर्ष थी। इस मामले की जांच में सामने आया था कि दोनों बहनों ने अपने भाई और भाभी के खराब व्यवहार से तंग आकर आत्महत्या की थी।
2016 का अमरोहा कांड
ऐसी ही घटना साल 2016 में अमरोहा जिले में दनगली के निचली झुंडी गांव में भी हुई थी। यहां दो नाबालिग बहनों के शव पेड़ से लटकते मिले थे। 12 और 9 साल की दोनों बहनें खेत पर स्थित बोंगे से भूसा लेने गई थीं। दोपहर में जब गांव के दूसरे बच्चे जब खेत के पास खेलने के लिए पहुंचे तो उन्होंने दोनों बहनों के शवों को पेड़ पर लटकते हुए देखा। बच्चों की चीख-पुकार से वहां ग्रामीण जमा हो गए थे।
परिजनों ने बिना पुलिस को जानकारी दिए बहनों के शवों को उतारकर बगैर देरी किए गंगा घाट ले जाकर अंतिम संस्कार भी कर दिया। बाद में पुलिस को मामले की जानकारी मिली थी तो परिवार का पुलिस से कहना था कि लड़कियों ने आत्महत्या की थी।
2020 का हाथरस कांड
14 सितंबर 2020 को पीड़िता, उसकी मां और उसका बड़ा भाई सुबह 7:30 बजे एक खेत में घास काटने गए थे। मां और भाई के वहां से जाने के कुछ देर बाद बाजरे के खेत में पड़े हुए देखा। बाद में पीड़िता ने बताया था कि कुछ लड़कों ने उसके साथ जबरदस्ती करने की कोशिश की और मना करने पर दुपट्टे से गला दबा दिया। मां और पीड़िता ने संदीप नाम के शख्स का नाम लिया था। बाद में अलीगढ़ मेडिकल कॉलेज में जब पीड़िता ने बयान दिया तो उसने कहा कि उसके साथ गलत काम किया गया। पुलिस पर आरोप लगा कि पुलिस ने एफआईआर लिखने में 8 दिन की देरी की। इस बीच पीड़िता की हालत दिन प्रतिदिन बिगड़ती गई।
पहले उसे अलीगढ़ मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया। एक हफ्ते के इलाज के बाद उसे दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसकी मौत हो गई। इस मामले में पुलिस ने परिवार को शव नहीं सौंपा और खुद ही पीड़िता का अंतिम संस्कार कर दिया। यूपी पुलिस के व्यवहार की पूरे देश में जमकर निंदा हुई। मामले के चारों आरोपी अलीगढ़ जेल में बंद हैं। इस मामले का मुकदमा कोर्ट में चल रहा है।

Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."