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November 22, 2024 6:44 pm

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“नाम” ही नहीं पूरा नज़ारा ही बदल गया है “राजपथ” का ; गुलामी का एक और निशान आज मिटने जा रहा है; देखिए वीडियो ?

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दुर्गा प्रसाद शुक्ला और परवेज़ अंसारी की रिपोर्ट

राजपथ’ का महज नाम ही ‘कर्तव्य पथ’ नहीं किया गया है। यहां आने वाले देशी-विदेशी पर्यटकों और आगंतुकों को स्वरूप भी कुछ बदला-बदला नजर आएगा। हालांकि, इसके मूल शिल्प को कायम रखा गया है। सिर्फ लोगों को नया अनुभव कराने के लिए बदलाव किए गए हैं।

सेंट्रल विस्टा के नाम से जब मोदी सरकार द्वारा यह परियोजना शुरू की गई थी तब विपक्षी दलों द्वारा तमाम सवाल उठाए गए थे।

प्रधानमंत्री पर व्यक्तिगत टिप्पणियां तक की गईं थीं, लेकिन जब यह मार्ग और उसके आसपास के विकास से पर्दा हटा है तब बदलाव की जरूरत और अहमियत समझ आई है।

राजपथ और सेंट्रल विस्टा लान अब “कर्तव्य पथ’ हो गया है। इससे संबंधित प्रस्ताव को नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी) की विशेष बैठक में मंजूरी दे दी गई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बृहस्पतिवार को ही इस पथ का उद्घाटन और वहां लगी नेताजी सुभाष चंद बोस की प्रतिमा का अनावरण करेंगे।

एनडीएमसी की बैठक की अध्यक्षता करतीं केंद्रीय विदेश एवं संस्कृति राज्यमंत्री व नई दिल्ली की सांसद मीनाक्षी लेखी ने इस फैसले को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि इसके पीछे यह विचार है कि इस क्षेत्र के पूरे औपनिवेशिक इतिहास को लोकतांत्रिक राष्ट्र की थीम और मूल्यों पर बदला जाना चाहिए।

राजपथ का नाम किंग्स-वे और जनपथ को क्वींस वे के नाम से जानते थे लोग

पहले राजपथ को “किंग्स वे’ और “जनपथ’ को “क्वींस वे’ के नाम से जाना जाता था। “क्वींस वे’ का नाम बदलकर “जनपथ’ कर दिया गया था जबकि “किंग्स वे’ का केवल हिंदी में “राजपथ’ के रूप में अनुवाद किया गया। आजादी के 75 वर्ष पूर्ण होने पर ऐसा महसूस किया जा रहा था कि लोकतंत्र के मूल्यों, सिद्धांतों और समसाययिक नए भारत के साथ राजपथ का नाम बदलने की जरूरत है।

भारत में जनता ही सर्वोच्च

आगे उन्हाेंने कहा कि राजपथ का तात्पर्य राजा के विचार की मानसिकता से था, जबकि स्वतंत्र लोकतांत्रिक नए भारत में जनता सर्वोच्च है। नए कर्तव्य पथ की अवधारणा हमें बिना किसी भेदभाव के राष्ट्र, समाज, परिवार और सभी लोगों के प्रति अपने कर्तव्यों को पूरा करने के लिए प्रेरित करती है। लेखी ने संविधान के तहत निहित मौलिक कर्तव्यों का भी हवाला दिया और कहा कि ये हमारी समृद्ध विरासत और मिश्रित संस्कृति के संरक्षण के लिए यह प्रेरणा हैं।[embedyt] https://www.youtube.com/watch?v=_WymrFHnM-U[/embedyt]

गणतंत्र दिवस परेड और अन्य राष्ट्रीय कार्यक्रमों के दौरान कम गड़बड़ी और जनता की आवाजाही पर कम से कम प्रतिबंध लगाने की दिशा में भी पुनर्विकास की जरूरत महसूस हुई, पर इसमें इसके मूल वास्तु शिल्प का चरित्र बनाए रखने और उसकी अखंडता भी सुनिश्चित की गई है।

यह होंगी सुविधाएं

कर्तव्य पथ सुविधाओं से लैस है, जिसमें पैदल रास्ते के साथ लान, हरे-भरे स्थान, नवीनीकृत नहरें, नई सुख-सुविधाओं वाले ब्लाक और बिक्री स्टाल होंगे।

इसके साथ ही पैदल यात्रियों के लिए नए अंडरपास, बेहतर पार्किंग स्थल, नए प्रदर्शनी पैनल और रात्रि में जलने वाली आधुनिक लाइटों से लोगों को बेहतर अनुभव होगा।

इसमें ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, भारी वर्षा के कारण एकत्र जल का प्रबंधन, उपयोग किए गए पानी का इस्तेमाल, वर्षा जल संचयन और ऊर्जा कुशल प्रकाश व्यवस्था जैसी दीर्घकालिक सुविधाएं शामिल हैं।

कर्तव्य पथ की विशेषता

पांच वेंडिंग जोन, जहां 40 विक्रेता बैठेंगे, इंडिया गेट के पास दो ब्लाक आठ-आठ दुकानों के साथ होंगे। कुछ राज्यों ने अपने फूड स्टाल लगाने में रुचि दिखाई है।

कुल नहर क्षेत्र की 19 एकड़ भूमि का जीर्णोद्धार किया गया है। उन्हें एयररेटर जैसे बुनियादी ढांचे से सुसज्जित किया गया है। पूरे खंड पर 16 पुल हैं। दो नहरों में नौका विहार की अनुमति होगी।

अपराध और असुविधा से बचने के लिए करीब 80 सुरक्षाकर्मी इस मार्ग पर नजर रखेंगे।

राजपथ के साथ-साथ 3.90 लाख वर्ग मीटर में फैले क्षेत्र को चारों ओर से हरियाली के साथ विकसित किया गया है।

15.5 किमी तक फैले नए लाल ग्रेनाइट पैदल मार्ग बनाए गए हैं, जो बजरी रेत की जगह ले रहे हैं।

पूरे हिस्से में 1,125 वाहनों के लिए पार्किंग की जगह बनाई गई है। इंडिया गेट के पास 35 बसों के लिए पार्किंग की जगह है।

  74 ऐतिहासिक लाइट पोल और सभी चेन लिंक बहाल कर दिए गए हैं। 900 से अधिक नए लाइट पोल लगाए गए हैं।

परिसर के चरित्र को बनाए रखने के लिए कंक्रीट के बोल्डरों को एक हजार से अधिक सफेद बलुआ पत्थर के बोल्डरों से बदल दिया गया है। l   पूरे खंड में 400 से अधिक बेंच, 150 कूड़ेदान और 650 से अधिक नए साइनेज लगाए गए हैं।

व्यस्त जंक्शनों पर चार नए पैदल यात्री अंडरपास बनाए गए हैं।

बच्चों और विशेष रूप से दिव्यांगों के सुरक्षित उपयोग के लिए उपयुक्त ऊंचाई पर रेलिंग के साथ रैंप हैं।

samachar
Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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