राकेश तिवारी की रिपोर्ट
गोरखपुर, कई दिनों की मशक्कत के बाद तैयार की गई महायोजना 2031 के प्रारूप को सार्वजनिक कर दिया गया है। गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) भवन के द्वितीय तल पर स्थित सहयुक्त नगर नियोजक के कार्यालय में प्रदर्शित प्रारूप को देखने के बाद लोगों ने नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि प्रारूप पूरी तरह से महायोजना 2021 जैसा नजर आ रहा है, कहीं कोई बदलाव नहीं दिखा। विस्तारित क्षेत्र को लेकर नए प्रावधान किए गए हैं। पहले दिन ही करीब 100 से अधिक आपत्तियां दाखिल की गई हैं और कई लोगों ने अपने आर्किटेक्ट से इसके लिए संपर्क किया है। लोग कह रहे हैं नया गोरखपुर के बारे में जो सोचा था वह इस महायोजना में नहीं है। इसमें बड़े पैमाने पर परिवर्तन की जरूरत है।
बदलाव को जरूरी है आपत्ति
महायोजना 2021 कई समस्याओं का समाधान देने में नाकाम रही थी। जिसके चलते नई महायोजना का सभी को बेसब्री से इंतजार था। जैसे ही प्रारूप को सार्वजनिक किया गया, उसे देखने वालों का तांता लग गया। अभी बुकलेट छपकर नहीं आयी है लेकिन मानचित्र देखकर ही लोगों की चिंता बढ़ गई है। जिन क्षेत्रों में लोगों को संचालित गतिविधियों के अनुसार भू उपयोग में परिवर्तन की उम्मीद थी, उन्हें भी झटका लगा है। तकनीकी पेंच के चलते ग्रीन बेल्ट, ओपेन स्पेस एवं विनियमितीकरण जैसे मुद्दे इस प्रारूप में भी अनुत्तरित ही नजर आ रहे हैं। इसके साथ ही सामुदायिक भू उपयोग एवं अन्य तरह के भू उपयोग में परिवर्तन को लेकर उम्मीद भी टूटी है। पूरी तरह से पुरानी महायोजना जैसा प्रारूप आने से लोगों के सामने केवल आपत्ति एवं सुझावों का ही सहारा रह गया है।
इन नियमों के चलते नहीं हुआ बदलाव
महायोजना 2031 के प्रारूप को महायोजना 2021 जैसा ही प्रस्तुत कर देने को लेकर नियोजन विभाग का अपना तर्क है। 29 जनवरी 2004 को जारी शासनादेश में यह स्पष्ट उल्लेख है कि महायोजना में चिह्नित ग्रीन बेल्ट को हर स्थिति में यथावत बनाए रखा जाए। 2021 के एक शासनादेश का भी हवाला दिया जा रहा है, जिसमें ग्रीन बेल्ट को यथावत बनाए रखने को कहा गया है।
ये नियम आपके दावों को देंगे मजबूती
महायोजना के प्रारूप में परिवर्तन नहीं किया गया है लेकिन आम लोग स्वयं ही आपत्ति दर्ज कर परिवर्तन की अपील कर सकते हैं। आपत्ति दर्ज करते समय उत्तर प्रदेश नगर नियोजन और विकास अधिनियम 1973 की धारा 54 व 55 का उल्लेख करना जरूरी होगा। इस धारा में कहा गया है कि यदि घोषित ग्रीन लैंड को 10 साल तक अधिग्रहीत नहीं किया जाता है तो भूखंड का मालिक छह महीने में जैसा है, उसी स्थिति में भू उपयोग निर्धारित करने की नोटिस दे सकता है। यानी यदि आवासीय उपयोग हो रहा है, तो उसी के रूप में भू उपयोग के लिए मांग जायज होगी। इसी तरह हाईकोर्ट इलाहाबाद द्वारा 2020 में अनुज सिंघल बनाम स्टेट आफ उत्तर प्रदेश के मामले में ओपेन स्पेस का भू उपयोग परिवर्तित करने का आदेश दिया था।
ऐसे दर्ज करा सकेंगे आपत्तियां
आपत्तिकर्ता एवं सुझावकर्ता पांच सितंबर से चार अक्टूबर के बीच किसी भी कार्यदिवस में आपत्ति व सुझाव दे सकेंगे। आपत्तियां एवं सुझाव लिखित रूप में दो प्रतियों में सहयुक्त नियोजक, संभागीय नियोजन खंड गोरखपुर नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग उत्तर प्रदेश के कार्यालय में प्रस्तुत कर सकते हैं। निर्धारित समय अवधि के बाद प्राप्त होने वाले किसी भी आपत्ति एवं सुझाव पर विचार नहीं किया जाएगा। जीडीए उपाध्यक्ष की अध्यक्षता वाली कमेटी प्राप्त आपत्तियाें एवं सुझावों पर विचार करने के बाद निर्णय लेगी और उसी के आधार पर महायोजना को अंतिम रूप दिया जाएगा।
खूब आईं आपत्तियां
लोगों की सुविधा के लिए सहयुक्त नियोजक कार्यालय जीडीए भवन में महायोजना के प्रारूप की प्रदर्शनी लगाई गई थी। जीडीए उपाध्यक्ष प्रेम रंजन सिंह ने महायोजना के प्रारूप को देखा और आने वाले सभी लोगों की आपत्तियां दर्ज करने का निर्देश दिया। पहले दिन बड़ी संख्या में लोग प्रारूप देखने आए और आपत्ति दर्ज कराई। वन क्षेत्र के 100 मीटर दायरे में निर्माण प्रतिबंधित करने से जुड़ी आपत्ति भी कई लोगों ने दर्ज कराई है।
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Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."