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November 5, 2024 6:12 pm

“प्रकृति के आंगन में” भावनाएं गुनगुना रही हैं कविता तो विचार रच रहे हैं लेख ; लोकार्पण 4 सितंबर को

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दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट 

बाँदा। बेसिक शिक्षा विभाग उत्तर प्रदेश में कार्यरत शिक्षक-शिक्षिकाओं की रचनाओं पर आधारित प्रमोद दीक्षित मलय के संपादन में शैक्षिक संवाद मंच की प्रकाशन योजना अंतर्गत प्रकाशित साझा संग्रह “प्रकृति के आंगन में” का लोकार्पण बाँदा में रविवार, 4 सितम्बर को निश्चित हुआ है। शामिल रचनाकारों में पुस्तक प्राप्त होने की खुशी एवं उत्साह देखा जा रहा है।

उक्त जानकारी देते हुए “प्रकृति के आँगन में” पुस्तक के संपादक शिक्षक एवं साहित्यकार प्रमोद दीक्षित मलय (बाँदा) ने बताया कि गत वर्ष कोरोना संकट के दौरान उपजी परिस्थिति में सभी ने प्रकृति के योगदान एवं महत्व को समझा था। तब शैक्षिक संवाद मंच द्वारा चलाये गये पच्चीस दिवसीय वातावरण लोक शुद्धिकरण अभियान के दौरान मंच से जुड़े शिक्षक-शिक्षिकाओं ने प्रकृति सम्बंधी कविताएं एवं लेख लिखे थे, जो पुस्तक के रूप में अब प्रकाशित हुआ है।

उक्त पुस्तक का लोकार्पण 4 सितम्बर को बाँदा में नटराज संगीत महाविद्यालय, कालू कुआँ में वरिष्ठ साहित्यकार चंद्रिका प्रसाद दीक्षित ‘ललित’ की अध्यक्षता में सम्पन्न होगा। मुख्य अतिथि समाजसेवी गोपाल भाई, विशिष्ट अतिथियों में बाबूलाल दीक्षित (पूर्व प्राचार्य- श्रीमन्नूलाल संस्कृत महाविद्यालय अतर्रा), कथाकार छाया सिंह, रुद्रादित्य प्रकाशन के निदेशक अभिषेक ओझा तथा श्रीमती दीपाली (प्राचार्या- महिला डिग्री कालेज) की गरिमामय उपस्थिति रहेगी। आगे संपादक प्रमोद दीक्षित मलय ने बताया कि कार्यक्रम की व्यवस्था सम्बंधी आनलाइन बैठक गत दिवस हुई थी जिसमें बांदा के रचनाकारों ने सहभागिता कर जिम्मेदारी ली है।

बैठक व्यवस्था एवं मंच साज-सज्जा रीता गुप्ता एवं ज्योति विश्वकर्मा, जलपान व्यवस्था दीपिका वर्मा एवं नम्रता श्रीवास्तव, अतिथि सत्कार प्रज्ञा त्रिवेदी, कार्यक्रम संचालन अपर्णा नायक एवं आभार प्रदर्शन शहनाज़ बानो द्वारा किया जायेगा।

लोकार्पण समारोह में महोबा, बाँदा, जालौन एवं चित्रकूट के रचनाकार शामिल होंगे जिनकी रचनाएं पुस्तक में सम्मिलित की गयी हैं। सभी रचनाकारों को पुस्तक की प्रति, प्रशस्ति पत्र एवं अलंकृत वस्त्र भेंट किया जायेगा। लोकार्पण कार्यक्रम में तीनों जिलों से रचनाकार शिक्षकों को आमंत्रित किया गया है।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."