सर्वेश द्विवेदी की रिपोर्ट
सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच द्वारा तीन तलाक को अमान्य करने के फैसले के पांच साल बाद भी मुस्लिम महिला याचिकाकर्ताओं की स्थिति हैरान कर देने वाली है। तीन तलाक को लेकर याचिका दायर करने वाली महिलाएं आधे तलाकशुदा जीवन जी रही हैं। तकनीकी रूप से वो शादीशुदा तो हैं लेकिन व्यावहारिक रूप से तलाकशुदा हैं। उन्हें न तो वैवाहिक अधिकार मिले हैं और न ही उन्हें तलाक लिए पतियों से कोई नियमित भरण-पोषण मिलता है।
बता दें कि तीन तलाक को सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस जे.एस. खेहर की अगुवाई वाली पीठ ने अगस्त 2017 में अमान्य कर दिया था। इसके पांच साल बाद भी तीन तलाक से पीड़ित महिलाएं व्यावहारिक रूप से कानूनन तलाक न पाने की स्थिति में दूसरी शादी नहीं कर सकती है। इसके अलावा, तत्काल तीन तलाक देने के लिए किसी पुरुष की गिरफ्तारी भी नहीं की जा सकी क्योंकि मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) अधिनियम, 2019 तत्काल तलाक की घोषणा के लंबे समय बाद लागू हुआ।
तीन तलाक पीड़िता शायरा बानो को उनके पति रिजवान अहमद द्वारा तत्काल तीन तलाक दिया गया। इसके खिलाफ दायर हुई याचिका के बाद से तीन तलाक पर ऐतिहासिक फैसला आया। शायरा बानों का कहना है, “फैसले के बाद शादी जारी रखने के लिए मेरे पति ने मुझसे कोई संपर्क नहीं साधा। कानूनी तौर पर, मैं अभी भी पति से विवाहित हूं लेकिन तलाकशुदा जिंदगी जी रही हूं।”
शायरा बानों का कहना है, “मैं अपने बच्चों की कस्टडी के लिए लड़ रही हूं। मेरा बेटा 18 साल और बेटी 15 साल की है। उन्हें मैं सिर्फ अदालत में तारीख दर तारीख मिल पाती हूं। मैं उनसे कम से कम फोन पर बात करना चाहती हूं लेकिन यह संभव नहीं है। महामारी के चलते दो साल से सिर्फ ऑनलाइन सुनवाई हुई, मैंने तब से उन्हें नहीं देखा। अब तो मेरे पति ने दूसरी शादी कर ली है।”
वहीं इशरत जहां भी उन याचिकाकर्ताओं में से एक हैं जिन्हें फोन पर तत्काल तीन तलाक दिया गया। बता दें कि दुबई में रहने वाले उनके पति मुर्तजा अंसारी ने इशरत को फोन पर तीन तलाक दे दिया था। इशरत का कहना है, “सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सभी ने स्वागत किया लेकिन मुझे क्या मिला? कुछ भी तो नहीं। कोई गुजारा भत्ता नहीं।”
इशरत ने कहा, “मेरे पति ने दूसरी शादी कर ली, उसके बाद मुझे वापस लेने की पेशकश की। हालांकि मेरे पति की फैमिली इस बात से भी इनकार करता है कि उन्होंने तलाक, तलाक, तलाक कहा था। मैं अब उसके पास वापस नहीं जा सकती। उसने मुझे कानूनी तौर पर वैध तलाकनामा भी नहीं भेजा है और न ही मैंने ‘खुला’ के जरिए तलाक लिया है।” बता दें कि अर्ध-तलाक की इस स्थिति के बीच इशरत जहां ने कुछ साल पहले राष्ट्रीय सचिव के रूप में भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा में शामिल हुईं थी।
ऐसे ही मामलों में दो अन्य याचिकाकर्ताओं गुलशन परवीन और आफरीन रहमान का भी यही हाल है। तीन तलाक को अमान्य करने वाले सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद तकनीकी रूप से उनकी शादी वैध है लेकिन व्यावहारिक रूप से वे तलाकशुदा जीवन बिता रही हैं।
Author: samachar
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