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19 January 2025 8:53 am

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तिरंगा से कमाई ; ‘झंडे’ से मंहगे बिक रहे हैं ‘डंडे’; 17 रुपए का बांस बिक रहा है 40 में

30 पाठकों ने अब तक पढा

राकेश तिवारी की रिपोर्ट 

आजादी के अमृत महोत्सव (Amrit Mahotsav 2022) पर आपदा में अवसर तलाशने के माहिर लोगों ने कमाई का नया जरिया खोज लिया है। स्वतंत्रता दिवस के 75 वर्ष पूरे होने पर हर देशवासी को गौरवान्वित महसूस कराने के लिए हर घर तिरंगा अभियान (Tiranga Abhiyan) चलाया जा रहा है।

इसके अंतर्गत घर-घर लगाए जाने वाले तिरंगा झंडे के लिए डंडा खोज पाना मुश्किल हो गया है। बाजार में जो डंडा पांच से छह रुपये का मिल जाता था, अब वह 10 से 15 रुपये का मिल रहा है। झंडे में लगाए जाने वाले बांस डेढ़ से दोगुने महंगे हो गए हैं।

सरकार (Indian Government) ने हर घर तिरंगा मुहिम से घर-घर सस्ते और अच्छे झंडे तो उपलब्ध करा दिए। जिले में घर-घर तिरंगा झंडा पहुंचाने के लिए सभी संगठनों को जिम्मेदारी दी गई थी। जिले में करीब नौ लाख झंडे फहराने का लक्ष्य मिला था। इसमें जिला पंचायत राज विभाग (Panchyati Raj Department) की ओर से अब तक करीब 4.25 लाख झंडे बिक्री किये जा चुके हैं।

3.5 लाख झंडे राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) की ओर से तैयार करके बिक्री किये गए हैं। इसके अलावा खुले बाजार में भी तिरंगे झंडों की काफी बिक्री हुई है। बाजार में झंडे 30 रुपये से लेकर 150 रुपये तक मिल रहे थे लेकिन शुक्रवार तक अधिकांश दुकानों पर झंडे बिक गए थे।

कोतवाली के सामने सड़क किनारे मेज रखकर झंडे बेच रहे सुनील कुमार ने बताया कि केवल 20 रुपये का झंडा बेच रहे हैं। झंडे बेचने का उद्देश्य कमाई करना नहीं है, बल्कि हर घर तिरंगा फहराने के लक्ष्य में अपने दायित्व का निर्वहन करना है।

झंडा लगाने के लिए पाइप खरीद रहे लोग

पुराना शहर में बांस मंडी के पास दुकान रखे लकी अली बताते हैं कि झंडा लगाने के लिए लोग स्टील के पाइप भी खरीद रहे हैं। क्योंकि बांस महंगा होने की वजह से लोग पाइप को प्राथमिकता दे रहे हैं। खूबसूरत नजर आने के साथ ही पाइप मजबूत भी रहता है। बोले, सेना के जवान उनके यहां से काफी पाइप लेकर गए हैं। यही नहीं, आम लोग भी पाइप खूब खरीद रहे हैं।

17 रुपये का बांस 40 में बेच रहे दुकानदार

शहर में तीन से चार फिट का डंडा 10 से 15 रुपये का बेचा जा रहा है, जबकि पहले इतनी कीमत में तो करीब 30 फीट लंबा बांस मिल जाता था। अब उसी बांस के 40 से 50 रुपये तक वसूल किये जा रहे हैं। यही वजह है कि बाजार में झंडों की कमी भी हो गई है। बांस मंडी के दुकानदार बब्बू भाई और साकिब हुसैन का कहना है कि ज्यादातार बांस आसाम से आता है।

कुछ बांस सीतापुर से आते हैं, लेकिन वे बाजार के लिहाज से नाकाफी होते हैं। बोले, आसाम में बांस बाढ़ आने की वजह से जो बांस 11 से 12 रुपये का मिल जाता था वो अब 18 रुपये का मिल रहा है। तिरंगा झंडा में लगाने के लिए मांग बढ़ने की वजह से 40 रुपये तक बिक रहा है। तीन से चार फिट का डंडा 10 रुपये का बिक रहा है।

खादी आश्रम में भी खूब बिक रहे झंडे

नावेल्टी चौराहा के पास स्थित श्रीगांधी आश्रम (Khadi Aashram) के कर्मचारी रमेश पाल का कहना है कि इस बार उनके यहां भी तिरंगे झंडों की बिक्री खूब हो रही है। उन्होंने बताया कि उनके यहां पर 450 रुपये, 600 रुपये और 800 रुपये और 1500 रुपये तक के झंडे बिक रहे हैं। अब बड़े झंडे तो सारे बिक चुके हैं लेकिन छोटे झंडों की उपलब्धता अभी भी है।

samachar
Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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