Explore

Search
Close this search box.

Search

10 January 2025 11:32 pm

लेटेस्ट न्यूज़

“अखिलेश यादव एसटी को प्रतिनिधित्व देने का ढोंग रचने की बजाय कोई चुनाव तो ढंग से लड लेते…”

31 पाठकों ने अब तक पढा

दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट 

समाजवादी पार्टी ने उत्तर प्रदेश विधान परिषद उपचुनाव (UP Vidhan Parishad By Election) में अपनी किरकिरी करा ली। पार्टी ने एमएलसी चुनाव में प्रत्याशी घोषित करने में न्यूनतम उम्र की अर्हता का भी ध्यान नहीं रखा। मुख्य विपक्षी दल सपा ने एमएलसी पद के लिए 28 वर्ष की आदिवासी महिला कीर्ति कोल (Kirti Cole) को उम्मीदवार बना दिया, जबकि उच्च सदन के चुनाव लड़ने के लिए 30 वर्ष न्यूनतम उम्र पहले से तय है।

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आदिवासी महिला कीर्ति कोल को चुनाव में उतारकर यह संदेश देने की कोशिश की थी कि भाजपा व सुभासपा दोनों आदिवासी विरोधी हैं, किंतु उनका यह दांव उलटा पड़ गया। अब पार्टी इस मामले में खुद ही घिर गई है।

सपा प्रत्याशी कीर्ति कोल का नामांकन कराने के लिए सोमवार को खुद सपा के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल व कई विधायक साथ गए थे। पार्टी के जिम्मेदार किसी भी नेता ने यह तक नहीं देखा कि जिसे नामांकन करा रहे हैं वह चुनाव लड़ने के लिए न्यूनतम उम्र का मानक तक पूरा नहीं करती हैं।

मंगलवार को नामांकन पत्रों की जांच में सपा प्रत्याशी का पर्चा खारिज हो गया। इस बारे में सपा के मुख्य प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी कहते हैं कि तकनीकी कारणों से सपा प्रत्याशी का पर्चा निरस्त हुआ है, इसके बारे में और जानकारी फिलहाल उनके पास नहीं है।

सुभासपा का तंज-कोई तो चुनाव गंभीरता से लड़ लेते : सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अरुन राजभर ने विधान परिषद उपचुनाव में सपा उम्मीदवार कीर्ति कोल का पर्चा खारिज होने पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पर तंज कसते हुए कहा कि ‘कोई तो चुनाव गंभीरता से लड़ लेते राजनितिक अपरिपक्वता फिर सामने आ गई। एमएलसी उपचुनाव में सपा प्रत्याशी कीर्ति कोल का पर्चा खारिज। आदिवासी हितैषी होने का ढोंग रचने की जल्दबाजी में अपने प्रत्याशी की आयु देख नहीं पाए यह आदिवासियों को अपमानित करने की साजिश थी जो अब उजागर हो गई।’

भाजपा ने भी घेरा

भाजपा ने भी इस मामले में सपा को घेरा है। योगी सरकार में समाज कल्याण राज्यमंत्री संजीव गोंड ने अखिलेश यादव की नीयत पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि अनुसूचित जनजाति को प्रतिनिधित्व देने का जो ढोंग सपा ने रचा था, उसकी कलई खुल गई है। भाजपा गठबंधन की तुलना में बहुत कम वोट होने के बावजूद सपा ने अपना प्रत्याशी खड़ा कर आदिवासी समाज के साथ भद्दा मजाक किया है। सपा यह पहले से जानती थी कि कीर्ति कोल की जीत संभव नहीं है फिर भी उन्हें प्रत्याशी बना दिया।

samachar
Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

लेटेस्ट न्यूज़