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November 2, 2024 7:58 am

बलिदानियों की शौर्य गाथा का जिंदा गवाह है पैना गांव का सतीहड़ा घाट

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राकेश तिवारी की रिपोर्ट 

देवरिया। वर्ष 1857 के स्वाधीनता संग्राम के दौर में ब्रिटिश हुकूमत के आगे बड़ी-बड़ी रियासतें सिर उठाने से सहम जाया करती थीं। उस समय पैना के क्रांतिकारियों ने दो माह तक ब्रिटिश हुकूमत से लोहा लिया था। अपने को आजाद घोषित करते हुए विद्रोह का बिगुल फूंक दिया था। जिससे खार खाए ब्रिटिश अधिकारियों ने 31 जुलाई 1857 को पैना गांव को तीन तरफ से घेरकर भीषण गोलाबारी की थी। मां भारती के सपूतों को मौत की नींद सुलाने की कोशिश की थी। ब्रिटिश हुकूमत से लड़ते हुए 395 ग्रामीणों ने प्राणों की आहुति दी थी।

सरयू नदी के किनारे स्थित पैना गांव का सतीहड़ा घाट स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई का गवाह है। 31 जुलाई 1857 को पैना के रणबांकुरों व वीरांगनाओं ने देश के लिए खुद को बलिदान कर दिया। इस घटना को देश कभी नहीं भूल पाएगा। इतिहास के पन्ने में यह घटना दर्ज है। बलिदानियों के सम्मान में शहीद स्मारक स्थल पर हर वर्ष मेला लगता है, जो उनके बलिदान को याद दिलाता है।

इतिहास

बहादुर शाह जफर के नेतृत्व में 31 मई 1857 को पैना गांव के वीरों ने अपने को स्वतंत्र घोषित किया था। उसी दिन सरकारी मशीनरी को मजबूरन बरहज से कब्जा हटाना पड़ा। दो जून 1857 को नरहरपुर के राजा हरी सिंह ने पैना के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के प्रमुख ठाकुर सिंह से मुलाकात की। छह जून 1857 को ठाकुर सिंह, पलटन सिंह व राजा हरी सिंह ने बड़हलगंज पर धावा बोलकर थाने को कब्जे में लिया। सरयू नदी पर अंग्रेजों के आवागमन को बंद करते हुए पानी के जहाजों के आवागमन पर रोक लगा दी। क्रांतिकारियों ने मेजर होम (सिंगौली कंपनी प्रमुख) को सलेमपुर से खदेड़ा और अफीम कोठी पर कब्जा जमा लिया। 15 जुलाई 1857 को पैना के रणबांकुरों ने अंग्रेजों की रसद व गोला बारूद से भरी दो पानी की जहाजों को सतीघड़ा घाट पर रोक लिया। ब्रिटिश सेना के कर्नल रोक्राप्ट ने जल व थल मार्ग से पूरे गांव को घेर कर रक्तपात किया।

पैना से जुड़े बलिदानी

वीरगति पाने वाले वीर ग्रामीण: 95

सामूहिक जौहर करने वाली वीरांगनाएं: 100

जलते हुए गांव में जले हुए बच्चे, वृद्ध, नर व नारियां: 200

कुल: 395

शहीद स्मारक का सुंदरीकरण शुरू

बरहज: ग्राम पैना में सरयू नदी तट पर शहीद स्मारक स्थल का सुंदरीकरण कार्य का शुरू हुआ है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर पर्यटन विकास विभाग से 45.10 रुपये की स्वीकृति मिली। जिससे स्मारक का सुंदरीकरण कार्य कराया जा रहा है।

samachar
Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."