दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट
प्रतापगढ़। बकरी को बचाने के लिए मुर्गा कुत्ते से भिड़ गया और अपनी जान देकर बचा भी लिया। मुर्गे की मौत से आहत मालिक ने उसका शव दफन कर तेरहवीं करने की घोषणा की तो लोग चौंक उठे। मंगलवार को जब मुर्गे की तेरहवीं हुई तो उसमें शामिल होने के लिए इलाके की भीड़ उमड़ पड़ी।
फतनपुर थानाक्षेत्र के बेहदौल कला गांव निवासी डॉ. शालिकराम सरोज अपना क्लीनिक चलाते हैं। घर पर उन्होंने बकरी व एक मुर्गा पाल रखा था। मुर्गे से पूरा परिवार इतना प्यार करने लगा कि उसका नाम लाली रख दिया। 8 जुलाई को एक कुत्ते ने डॉ शालिकराम की बकरी के बच्चे पर हमला कर दिया। यह देख लाली कुत्ते से भिड़ गया।
बकरी का बच्चा तो बच गया लेकिन लाली खुद कुत्ते के हमले में गंभीर रूप से घायल हो गया। 9 जुलाई की शाम लाली ने दम तोड़ दिया। घर के पास उसका शव दफना दिया गया। यहां तक सब सामान्य था लेकिन जब डॉ शालिकराम ने रीतिरिवाज के मुताबिक मुर्गे की तेरहवीं की घोषणा की तो लोग चौंक उठे।
इसके बाद अंतिम संस्कार के कर्मकांड होने लगे। सिर मुंडाने से लेकर अन्य कर्मकांड पूरे किए गए। मंगलवार सुबह से ही हलवाई तेरहवीं का भोजन तैयार करने में जुट गए। शाम छह बजे से रात करीब दस बजे तक 600 से अधिक लोगों ने तेरहवीं में पहुंचकर खाना खाया। इसकी चर्चा दूसरे दिन भी इलाके में बनी रही।
Author: samachar
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