कमलेश कुमार चौधरी की रिपोर्ट
लखनऊ। बड़ा सवाल, इस बार आजमगढ़ लोकसभा सीट पर कौन जीत का परचम फहराएगा? भारतीय जनता पार्टी, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने इस सीट पर होने वाले उपचुनाव में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है।
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने 2019 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी के निरहुआ को दो लाख 60 हजार मतों के अंतर से परास्त कर यहां मुसलमान और यादवों के गठजोड़ का लाभ उठाया था। लेकिन इस बार उनके भाई धर्मेंद्र यादव मैदान में हैं। माहौल भी 2019 सरीखा नहीं है।
आजमगढ़ लोकसभा सीट पर 23 जून को होने वाले उपचुनाव में समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और भारतीय जनता पार्टी की साख दांव पर है। 2019 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर अखिलेश यादव ने दो लाख साठ हजार मतों के अंतर से जीत दर्ज की थी। लेकिन उस वक्त बहुजन समाज पार्टी अखिलेश के साथ थी। इस बार बहुजन समाज पार्टी ने गुड्डू जमाली को यहां से चुनाव मैदान में उतार कर समाजवादी पार्टी की पेशानी पर बल पैदा कर दिया है।
गुड्डू जमाली के मैदान में उतरने के बाद आजमगढ़ लोकसभा सीट के 20.29 फीसद मुसलमान मतदाता गुड्डू की तरफ देख रहे हैं। बसपा के चुनाव मैदान में उतरने के बाद भारतीय जनता पार्टी आलाकमान को लगता है कि जिस निरहुआ को 2019 के लोकसभा चुनाव में भारी मतों के अंतर से हार का सामना करना पड़ा था, इस दफा वे इस नए समीकरण के कारण अपनी चुनावी नैया पार कर पाने में सफल होंगे।
हाल ही में उत्तर प्रदेश में सम्पन्न हुए विधानसभा चुनाव में आजमगढ़ की सभी दस विधानसभा सीटों पर भारतीय जनता पार्टी दूसरे स्थान पर रही थी। मतलब उसका यहां खाता भी नहीं खुला था। अपनी इस करारी हार को आजमगढ़ उपचुनाव में जीत दर्ज कर भाजपा आलाकमान करारी हार से उबरने की कोशिश में है। जबकि समाजवादी पार्टी मुलायम सिंह यादव के समय से जीती इस सीट को अपनी नाक का सवाल बना कर मैदान में है।
आजमगढ़ में अखिलेश यादव का 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद न जाना स्थानीय लोगों के बीच नाराजगी का सबब बना हुआ है।
बसपा के गुड्डू जमाली का स्थानीय होना और लगातार आजमगढ़ में ही बने रहना बसपा सुप्रीमो मायावती के लिए उम्मीद की नई रौशनी लाने जैसा है।
विधानसभा चुनाव में सिर्फ एक विधायक की जीत के साथ अपना खाता खोलने वाली बसपा को उम्मीद है कि उप चुनाव में गुड्डू बहनजी को वो जीत का वो तोहफा दे सकते हैं जिसी उन्हें इस वक्त सर्वाधिक जरूरत है।
उधर भारतीय जनता पार्टी ने निरहुआ को एक बार फिर मैदान में उतार कर आजमगढ़ में जीत की नई तदबीर गढ़ने की कोशिश की है। आजमगढ़ में निरहुआ के समर्थन में भोजपुरी अभिनेता-अभिनेत्रियों की पूरी टीम उतार रखी है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 19 जून को आजमगढ़ में निरहुआ के लिए चुनावी सभा की है। बूथ व मंडल स्तर पर भाजपा के कई वरिष्ठ नेता भाजपा के मतदाताओं को यह समझाने में जुटे हैं कि आखिर क्यों आजमगढ़ में भाजपा की जीत जरूरी है?
फिलहाल आजमगढ़ में 23 जून को होने वाले उपचुनाव भाजपा, सपा और बसपा के लिए किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं। सपा की तरफ से अखिलेश यादव, आजम खां, भाजपा की तरफ से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और बसपा सुप्रीमो मायावती की साख दांव पर है। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि कौन किसके वोट बैंक में सेंधमारी कर अपनी चुनावी नैया पार लगा पाने में कामयाब होता है?
यह चुनाव इस बात की पड़ताल भी करेगा कि मुसलमान मतदाता इस बार किसके साथ है? साथ ही यह भी देखना दिलचस्प होगा कि योगी आदित्यनाथ की छवि उपचुनाव में यहां निरहुआ का बेड़ा पार लगा पाने में कामयाब हो पाती है, या नहीं?
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."