हरजिंदर सिंह की रिपोर्ट
भोपाल। 9th क्लास की स्टूडेंट ने फांसी लगाकर जान दे दी। खुदकुशी से पहले वह फैमिली के साथ मैजिक शो देखकर मस्ती-मजाक करते हुए घर लौटी थी। उसने शो ज्यादा पसंद नहीं आने की बात का जिक्र भी फैमिली से किया था। घर आकर आर्मी से रिटायर्ड पापा को मुस्कुराते हुए चाय दी और कमरे में चली गई। इसके बाद उसने आत्महत्या कर ली।
मौके से पुलिस को कोई सुसाइड नोट नहीं मिला। परिजन भी ऐसा कदम उठाने की वजह नहीं समझ पा रहे हैं। पेरेंट्स का रो-रोकर बुरा हाल है। मृतका ने 8th क्लास में टॉप किया था। बेटी की आखिरी मुस्कान जीवन भर का दर्द बन गया।
खजूरी कला पूर्वांचल फेस, पिपलानी में रहने वाले अवधेश प्रजापति सेना से रिटायर्ड हैं। उनकी दो बेटियों और एक बेटे में अंशु (15) दूसरे नंबर की बेटी थी। वह सीबीएसई स्कूल में पढ़ती थी। रविवार को वह पेरेंट्स और पड़ोसियों के साथ टीटी नगर मैजिक शो देखने गई थी। शाम साढ़े 5 बजे सभी घर लौट आए।
अवधेश ने पुलिस को बताया कि मार्केट जाने के पहले अंशु ने उन्हें चाय बनाकर दी। तब भी वह मुस्कुरा रही थी। चाय देकर वह पहली मंजिल पर स्थित अपने कमरे में चली गई और मैं मार्केट चला गया। दो घंटे तक कमरे के बाहर नहीं आने पर पत्नी उसे बुलाने गई। काफी देर तक दरवाजा खटखटाया, लेकिन अंदर से आवाज नहीं आई। पड़ोसियों ने दरवाजा तोड़ा। अंशु पंखे पर दुपट्टे के फंदे पर लटकी मिली। उसे उतारकर अस्पताल ले गए। डॉक्टर ने मृत घोषित कर दिया।
SI विजय सिंह ने बताया कि बच्ची ने पलंग पर स्टूल रखकर सीलिंग फैन से दुपट्टे का फंदा बांधा। फिर उसे गले में डालकर स्टूल को लात मार दी। इससे वह फांसी पर झूल गई। प्रारंभिक जांच में सुसाइड के कारणों का पता नहीं चल पाया है। वह स्कूल की टॉपर थी। सोमवार से उसे स्कूल जाना था। उसने अपना बैग भी एक दिन पहले ही तैयार कर लिया था। देर रात पुलिस को घटना की सूचना मिली। पुलिस ने रात को शव एम्स में पोस्टमॉर्टम के लिए रखवा दिया। सोमवार दोपहर शव का पोस्टमॉर्टम हुआ।
परिजन ने बताया कि अंशु को मैजिक शो ज्यादा पंसद नहीं आया था। उसने कहा था कि यह कोई मैजिक शो है, इससे अच्छा तो फिल्म देख लेते। हालांकि, शो के बाद वह मस्ती करती रही। सभी के साथ के फोटो खींचे। रास्ते में उसने सभी के साथ आइस्क्रीम भी खाई। इस दौरान वह हंसती-मुस्कुराती रही। कहीं किसी को कुछ संदिग्ध नहीं लगा।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."