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November 23, 2024 9:27 am

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’इनको बुल्डोजर की आवाज नहीं सुनाई पड़ रही लेकिन….. भड़क उठी बालीवुड अभिनेत्री स्वरा भास्कर, पढ़िए किस पर ?

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टिक्कू आपचे की रिपोर्ट

भाजपा नेता द्वारा पैगंबर मोहम्मद का अपमान करने के मामले में विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। मुस्लिम समुदाय के लोग नुपुर शर्मा का जमकर विरोध कर रहे हैं और उन्हें सख्त से सख्त सजा देने की मांग कर रहे हैं। इसी के साथ कई राज्यों में हिंसा भड़की,पत्थरबाजी और आगजनी की घटनायें दर्ज की गई हैं। इसी बीच प्रयागराज में हुई पत्थरबाजी के मुख्य आरोपी जावेद के घर बुलडोजर चला। अब इस मामले में पूर्व क्रिकेटर गौतम गंभीर ने भी नुपुर शर्मा के समर्थन में एक ट्वीट किया है, जिस पर भी विवाद खड़ा हो गया है। इस विवाद पर स्वरा भास्कर ने अपनी प्रतिक्रिया दी है।

गौतम गंभीर ने किया ट्वीट: नूपुर शर्मा को सपोर्ट करते हुए पूर्व क्रिकेटर ने लिखा, ‘माफी मांग चुकी महिला के खिलाफ पूरे देश में नफरत है। उसे जान से मारने की धमकी मिल रही है। इस पर तथाकथित धर्मनिरपेक्ष उदारवादियों की चुप्पी बहरा करने देने वाले है।’

गौतम पर भड़की स्वरा भास्कर

एक्ट्रेस तमाम समसामयिक मुद्दों पर बेबाकी से अपनी राय रखने के लिए मशहूर हैं। वह हर मुद्दे पर अपनी राय रखने से पीछे नहीं हटती हैं। स्वरा ने गौतम गंभीर के ट्वीट का स्क्रीनशॉर्ट अपनी इंस्टाग्राम स्टोरी पर शेयर करते हुए लिखा, ’इनको बुल्डोजर की आवाज नहीं सुनाई पड़ रही लेकिन।’

हांलाकि स्वरा के इस ट्वीट पर गौतम गंभीर का कोई जवाब नहीं आया है। बता दें कि इससे पहले भी स्वरा भास्कर ने एक ट्वीट किया था, जिसमें उन्होंने नुपुर शर्मा के खिलाफ हो रहे हिंसक प्रदर्शन का विरोध किया था।

 

कौन हैं नूपुर शर्मा: बता दें पैगंबर मोहम्मद पर विवादित बयान देने के आरोप में उन्हें बीजेपी पार्टी से निकाल दिया गया है। इसके साथ ही उन्हें मुंबई पुलिस (Mumbai Police) ने समन भी भेजा है। इस मामले में उनसे पूछताछ की जाएगी।

गौरतलब है कि निलंबित किए जाने से पहले तक 37 साल की वकील रही नूपुर शर्मा आधिकारिक तौर पर बीजेपी की प्रवक्ता थी। नूपुर ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के कानून विभाग से अपनी पढ़ाई की है।

उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत साल 2008 में उस वक्त की जब वो अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की उम्मीदवार के तौर पर दिल्ली यूनिवर्सिटी छात्रसंघ की अध्यक्ष चुनी गईं थीं।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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