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November 23, 2024 8:37 am

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दो दिवसीय संस्मरण लेखन कार्यशाला सम्पन्न ; प्रमोद दीक्षित मलय के संपादन में प्रकाशित होगा संस्मरण संग्रह

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मास्टर लालमन की रिपोर्ट

अतर्रा(बांदा)। शैक्षिक संवाद मंच उत्तर प्रदेश द्वारा 1 एवं 2 जून को आयोजित आनलाइन दो दिवसीय संस्मरण लेखन कार्यशाला के दूसरे दिन लेखक एवं संपादक महेश चंद्र पुनेठा (पिथौरागढ़, उत्तराखंड) ने उपस्थित शिक्षक-शिक्षिकाओं को रचनात्मक लेखन की बारीकियां बताते हुए सर्जना के लिए प्रतिभा, अनुभव एवं अभ्यास को महत्वपूर्ण बताया। सूक्ष्म अवलोकन की दक्षता को लेखन विकास में सहायक बताते हुए कहा की कथ्य, शिल्प, भाषा के रूप में पुराने ढांचे को ढहाते हुए रचनाओं में कथ्य, शिल्प, भाषा एवं प्रस्तुति हेतु नवीन पगडंडियां पर बढ़ना जरूरी होता है तभी कोई रचना भाव एवं इन्द्रिय बोध में नयेपन के साथ अपनी पहचान बनाती है।

आगे कहा कि एक रचनात्मक लेखन के लिए लेखक में कल्पनाशीलता, संवेदना, नया एवं अलग तरह से देखने की दृष्टि एवं चिंतन बहुत जरूरी होता है तभी रचनाकर्म लीक से हटकर मौलिक, भिन्न एवं नवीनता लिए हुए होता है। लगातार अध्ययन कर तमाम विचारों से गुजर अपनी एक दृष्टि विकसित करें जो मानवता के पक्ष में हो और वैश्विक संदर्भ से जुड़ी हो। संस्मरण को आत्मकथात्मक, जीवनीपरक, यात्रा एवं घटना परक, मूल्यांकन एवं श्रद्धांजलि परक श्रेणी में लिख सकते हैं पर संस्मरण लेखन में कथातत्व, देखे-भोगे यथार्थ एवं रोचकता के साथ सच्चाई, ईमानदारी, जिज्ञासा, तत्कालीन समाज एवं समय का अंकन, पात्रानुकूल सरस-सहज भाषा एवं आंचलिकता तथा लोकोक्तियों- और मुहावरों का प्रयोग आदि जरूरी अंग हैं। एक अच्छे संस्मरण के लिए शब्दकोशीय क्लिष्ट भाषा, तेज प्रवाह एवं लम्बे बोझिल वाक्य विन्यास से बचना हितकर होता है।

इसके पूर्व सत्र आरम्भ करते हुए आयोजक शिक्षक साहित्यकार प्रमोद दीक्षित मलय ने संदर्भदाता महेश चंद्र पुनेठा का स्वागत करते हुए कार्यशाला के पहले दिन डा. देवेंद्र मेवाड़ी के उद्बोधन के महत्वपूर्ण बिंदु साझा कर कहा कि शैक्षिक संवाद मंच उ.प्र. इस संस्मरण लेखन कार्यशाला में शामिल प्रतिभागियों द्वारा लिखित संस्मरणों में से चयनित 30 संस्मरणों का एक संग्रह प्रकाशित करेगा। तदुपरांत आठ प्रतिभागियों ने अपने ताजा संस्मरण पढ़े जिस पर सुधार हेतु आवश्यक सुझाव दिये गये। कार्यशाला में तीस से अधिक जनपदों से आधा सैकड़ा से अधिक शिक्षक-शिक्षिकाओं ने सहभागिता की। अंत में शैक्षिक संवाद मंच के संस्थापक प्रमोद दीक्षित मलय ने सभी के प्रति धन्यवाद व्यक्त किया।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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