मास्टर लालमन की रिपोर्ट
अतर्रा(बांदा)। संस्मरण यादों का खजाना है जो स्मृतियों में रुक गया है, बस गया है। संस्मरण का पहला पात्र लेखक स्वयं है। संस्मरण में लेखक मौजूद होते हुए भी कभी नहीं दिखाई देता है पर पाठक उसकी उपस्थिति महसूस करते हैं। संस्मरण लेखन साक्षी भाव से करना उचित होता है। संस्मरण लेखन में कल्पना से बचते हुए वास्तविकता बहुत आवश्यक है ताकि पाठकों का विश्वास बना रहे। लेखक द्वारा स्वयं नायक के रूप में उपस्थित हो अपनी प्रशंसा या अपनी उपलब्धियों का अंकन करना संस्मरण को कमजोर करता है।संस्मरण जीवन के प्रसंगों की सहज एवं सरस साहित्यिक प्रस्तुति है।
उक्त विचार देश के लब्ध प्रतिष्ठित कथाकार एवं संस्मरण लेखक डॉ. देवेंद्र मेवाड़ी (नई दिल्ली) ने शैक्षिक संवाद मंच उत्तर प्रदेश द्वारा गत दिवस आयोजित दो दिवसीय ऑनलाइन संस्मरण लेखन कार्यशाला में बतौर संदर्भदाता उपस्थित अर्ध शताधिक सहभागी शिक्षक-शिक्षिकाओं के मध्य मार्गदर्शन करते हुए व्यक्त किए।
श्री मेवाड़ी ने कहा कि संस्मरण लिखने के लिए जीवन के प्रमुख आकर्षक घटनाओं का चयन करना चाहिए। हर व्यक्ति के जीवन में तमाम रोचक एवं अच्छे-बुरे प्रसंग आते हैं। उन्हें सरस एवं लालित्य के साथ प्रस्तुत करना होगा। उसमें सम्प्रेषणीयता अवश्य हो अन्यथा पाठक का जुड़ाव नहीं होगा। एक अच्छा संस्मरण पाठक को आरंभ में ही बांध लेता है, उसमें जिज्ञासा बनी रहनी चाहिए।
इस अवसर पर शैक्षिक दखल के संपादक महेशचंद्र पुनेठा ने सहभागी रचनाकारों को शुरुआत में छोटे भावपूर्ण संस्मरण लिखने का सुझाव दिया। इसके लिए परिवेश में आपसे जुड़े पात्र और घटनाएं आधार का काम करेंगी।
इसके पूर्व कार्यशाला की शुरुआत करते हुए शैक्षिक संवाद मंच के संस्थापक प्रमोद दीक्षित मलय ने अतिथियों का परिचय कराते हुए सभी का स्वागत किया और कहा कि संवाद मंच द्वारा हिंदी साहित्य की विभिन्न विधाओं पर शिक्षक-शिक्षिकाओं से रचनाएं लिखवाकर साझे संकलन प्रकाशित किये जा रहे हैं।
इस संस्मरण लेखन कार्यशाला में सहभागी रचनाकारों से प्राप्त होने वाले संस्मरण लेखों में चयनित 30 संस्मरणों को शामिल कर एक संकलन प्रकाशित किया जायेगा।
कार्यशाला में अब्दुर्रहमान, आभा त्रिपाठी, अमिता सचान, विजय मेंहदी, अंजू सैनी, अनुराधा दोहरे, विवेक पाठक, अपर्णा नायक, पायल मलिक, आराधना शुक्ला, अनिल राजभर, अर्चना वर्मा, बबिता यादव, प्रतिमा उमराव, सीमा मिश्रा, बिधू सिंह, अनिल वर्मा, वर्षा श्रीवास्तव, दुर्गेश्वर राय, सुषमा मलिक, सुधारानी, डॉ. श्रवण कुमार गुप्त, स्मृति दीक्षित, बुशरा सिद्दीक, डा. रेणु सिंह, डॉ. प्रीति चौधरी, सीमा कुमारी, ऋतु श्रीवास्तव, लता शर्मा, शाहिद आब्दी, शैला राघव, राजेंद्र राव, श्रुति त्रिपाठी, रीना सिंह, पूजा चतुर्वेदी, शीतल सैनी, प्रतिभा यादव, माधुरी त्रिपाठी, डा. रचना सिंह, ओमकार पाण्डेय, नीलम गुप्ता, माधुरी जायसवाल, कुमुद, कंचन बाला, कमलेश कुमार पांडेय, सारिका गोयल, डा. सुमन गुप्ता, मंजू चौरसिया, प्रीति गुप्ता, मोनिका सिंह, मीना भाटिया आदि शिक्षक-शिक्षिकाओं ने सहभागिता की।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."