दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट
वृंदावन: गर्मी का प्रकोप भी ठा. बांकेबिहारी के भक्तों की आस्था को डिगा नहीं पा रहे हैं। रविवार को भोर से ही तीर्थनगरी में भक्तों की भीड़ जुटना शुरू हुई तो शाम तक शहर की हर सड़क पर भक्तों के कदम मंदिरों की ओर बढ़ते नजर आए। मंदिर के अंदर भीड़ का दबाव बना रहा, तो सड़कों पर श्रद्धालुओं के वाहनों ने यातायात व्यवस्था को ध्वस्त कर दिया। ऐसे में पैदल राहगीरों व श्रद्धालुओं को जाम के झाम से दिनभर जूझना पड़ा।
आसमान से बरसती आग और पसीने तरबतर श्रद्धालुओं की आस्था ऐसी कि आराध्य बांकेबिहारी की एक झलक पाने को हर कठिनाई से जूझते हुए आगे बढ़ते नजर आए। सुबह मंदिर खुलने से पहले ही श्रद्धालुओं की भीड़ का दबाव मंदिर के बाहर बन गया। मंदिर के पट खुले तो मंदिर के अंदर व्यवस्थाओं को संभालना सुरक्षागार्डों के लिए मुश्किल हो गया। पसीने से तरबतर श्रद्धालु की गर्मी से व्याकुल हो गए। मंदिर के अंदर पहुंचने की ललक से उनके कदम बढ़ते ही रहे। दोपहर को राजभोग आरती के बाद मंदिर के पट बंद हुए, तो जिन श्रद्धालुओं को दर्शन सुलभ न हुए मंदिर के आसपास ही दुकानों के फड़ और जहां छांव मिली, डेरा डालकर विश्राम करते नजर आए। शाम को जैसे ही मंदिर के पट खुले, तो श्रद्धालुओं की भीड़ एक बार फिर मंदिर में पहुंच गई।
जाम से जूझे श्रद्धालु : ठा. बांकेबिहारी मंदिर के आसपास विद्यापीठ चौराहा, हरिनिकुंज चौराहा, किशोरपुरा तिराहा, सीएफसी, अटल्ला चुंगी, इस्कान मंदिर, प्रेममंदिर, वीआइपी रोड पर श्रद्धालुओं के वाहनों की लंबी कतार लगी रही। पार्किंग में वाहनों को खड़ा करने को जगह नहीं मिली। तो श्रद्धालुओं ने सड़क किनारे ही वाहनों को खड़ा किया और मंदिर में दर्शन करने पहुंच गए। जिससे मंदिर के आसपास सुबह से शाम तक वाहनों का जाम लगा रहा और ई-रिक्शा व टेंपो चालकों की मनमानी ने इसे और विकराल कर दिया। पैदल राहगीरों को वाहनों के जाम के बीच से गुजरने में दिक्कत का सामना करना पड़ा।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."