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27 December 2024 7:36 pm

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व्यावहारिक मतभेद और उपेक्षाओं की केंद्र बिंदु बनी “किन्नर” समाज की कड़वी सच्चाई

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दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट

होश सम्भालते ही अपने परिवार में भेदभाव और फिर समाज में तिरस्कार, परिहास का विषय बनने वाले किन्नर समुदाय के लोगों को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ‘ट्रांसजेण्डर’ जैसा सम्मानजनक शब्द तो मिल गया। मगर सामाजिक अपमान व मजाक का विषय बनने से आज भी वह मुक्त नहीं हो सके हैं।  दिल्ली व नोएडा में किन्नर समुदाय के लिए कार्य करने वाली रामकली ने अपना दर्द बयान करते हुए कहा-आज भी हमारे लोगों को राह चलते पकड़ कर अपमानित किया जाता है, बाल काट दिये जाते हैं, कपड़े फाड़ दिये जाते हैं, मजाक उड़ाया जाता है।

यही नहीं सरकारी तौर पर भी उनके साथ भेदभाव होता है। सरकार सबको मुफ्त राशन बांट रही है, मगर इन लोगों को यह सुविधा भी नसीब नहीं। इनके डेरे, ठिकाने कहां हैं सरकारी एजेंसियों को भी पता नहीं इसलिए इनके राशन कार्ड भी नहीं, आधार कार्ड भी नहीं। अब पहल हुई है, केन्द्र सरकार ने इनके लिए पोर्टल बनाया है और उस पर आवेदन करने पर इन्हें परिचय पत्र मिल रहे हैं ताकि इन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ मिल सके।  मगर तस्वीर का सिर्फ यही एक पहलू नहीं है। यह सिर्फ गले में ढोलक टांग कर, पैरों में घुंघरू बांध तालियां बजाते मांगने-खाने का ही काम नहीं करते। इनमें से तमाम ऐसे भी है जो पीएचडी हैं। डबल एमए हैं और अपने समुदाय के साथ ही साथ समाज की सेवा में भी सक्रिय हैं।

पंजाब से आईं मोहिनी महंत राजस्थान से डबल एमए और पीएचडी हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि दूसरे राज्यों में ट्रा़ंसजेंडर और किन्नर समुदाय के लिए जो काम हो रहे ह़ैं, वह पंजाब में क्यों नहीं हो रहे? समुदाय को शिक्षा में आरक्षण मिलना चाहिए। उन्होंने मांग की कि केंद्र और पंजाब सरकार उनके समुदाय के हित के लिए जल्द जरूरी कदम उठाए। 

निर्णय के बावजूद अर्द्धसैनिक बलों में ट्रांसजेण्डर को मौका नहीं

उ.प्र.किन्नर कल्याण बोर्ड की सदस्य आगरा से आईं देविका देवेन्द्र एस.मंगलामुखी अंग्रेजी में देश की पहली ट्रांसजेण्डर डाक्टरेट हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि रक्षा मंत्रालय में निर्णय होने के बावजूद ट्रांसजेण्डर समुदाय को अर्द्धसैनिक बलों की भर्ती में मौका क्यों नहीं दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अगर ट्रांसजेण्डर को उनके सभी न्यायोचित अधिकार मांगने पर नहीं मिले तो वह लड़कर अधिकार हासिल करेंगे।

पंजाब यूनिवर्सिटी में देश का पहला ट्रांसजेण्डर शौचालय बनवाया

चण्डीगढ़ से आईं धनंजय चौहान भी एमए हैं। उन्होंने पंजाब यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की। उन्होंने इस यूनिवर्सिटी में ट्रा़ंसजेंडर के लिए पृथक टायलेट बनवाया। अलग छात्रावास की मांग की जा रही है। फीस माफ करवाई गई। उन्होंने मुद्दा उठाया कि पंजाब में ट्रा़ंसजेंडर पुरुषों को मुफ्त राशन नहीं मिलता। इस मामले में केन्द्र सरकार दखल दे।

ट्रांसजेण्डर प्रमाण पत्र मिलने में हो रही देरी

संगोष्ठी में ट्रांसजेण्डर पुरुष निहाल ने सवाल उठाया कि ऐसे लोग परिवार से बाहर होने पर आखिर कहां जाएं? उन्होंने कहा कि ट्रांसजेण्डर प्रमाण पत्र मिलने में काफी समय लग रहा है। इससे कई परेशानियां बढ़ रही हैं। उन्होंने ट्रांसजेण्डर पुरुषों के साथ मैट्रो व अन्य स्थानों पर सुरक्षा तलाशी की दिक्कतों का भी मुद्दा उठाया।

बोर्ड से इस्तीफा देकर चुनाव लड़ेंगी सोनम चिश्ती

उत्तर प्रदेश किन्नर कल्याण बोर्ड की उपाध्यक्ष सोनम चिश्ती को यह पद रास नहीं आ रहा। संगोष्ठी में उन्होंने मंच से घोषणा कि वह जल्द ही इस पद से इस्तीफा देंगी और सुल्तानपुर नगर पालिका के चेयरमैन पद का चुनाव लड़ेंगी। इसके लिए उन्होंने भाजपा नेतृत्व से टिकट भी मांगा है। नवगठित उ.प्र.किन्नर कल्याण बोर्ड के प्रति समाज कल्याण विभाग के कुछ अधिकारियों के रवैये से सोमन नाखुश हैं। उन्होंने कहा कि यह बोर्ड मुख्यमंत्री की पहल पर गठित हुआ। मुझे मालूम था कि इस राह म़ें दिक्कतें  हैं।

किन्नर समुदाय को समझा पाना बहुत मुश्किल है। जिम्मेदारी ग्रहण करने के बाद सबसे पहले मैंने खुद में सुधार किया। उन्होंने कहा कि यह देश का पहला बोर्ड है। मगर समाज कल्याण विभाग के कुछ अधिकारियों का रवैया ठीक नहीं है। ऐसी मानसिकता है इन लोगों की कि हमारे गले में ढोलक और पैरों में घुंघरू ही देखना चाहते हैं। हम आज ही मुख्यमंत्री से मिलेंगे। बोर्ड के पदाधिकारियों को आज तक भत्ता मानदेय नहीं मिला। 

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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