राजेंद्र कुमार की रिपोर्ट
करनाल । महापुरुष किसी एक वर्ग अथवा जाति के नहीं होते अपितु पूरे समाज के होते हैं। इसका साक्षात दर्शन आज शहर में उस समय देखने को मिला जब वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप की जयंती के उपलक्ष्य में जागो जगाओ ट्रस्ट द्वारा आयोजित कार्यक्रम में समाज की 36 बिरादरी के प्रतिनिधियों ने शिरकत कर उन्हें नमन किया।
इस अवसर पर शहर केसरिया रंग में रंग गया जब भगवा पगड़ी पहने सैकड़ों युवाओं जिनमें महिलाएं भी शामिल थी ने शहर में मोटरसाइकिल पर शोभा यात्रा निकाली।
जागो जगाओ यूनिवर्सल ट्रस्ट की ओर से आयोजित कार्यक्रम में महाराणा प्रताप के वंशज गाडिय़ा लोहार पायल , अंग्रेज , किन्नर ज्योति बराड़, खिलाड़ी रीनू, अंतरराष्ट्रीय व्हील चेयर फेंसिंग खिलाड़ी राजीव सहित अन्य ने शोभा यात्रा को हरी झंडी देकर रवाना किया। महाराणा प्रताप और भारत माता की जय के नारों के बीच शोभायात्रा शहर के कमेटी चौक अंबेडकर चौक कुंजपुरा रोड से होते हुए महाराणा प्रताप स्मृति भवन सेक्टर 8 में पहुंची जहां सामाजिक समरसता सम्मान समारोह का आयोजन किया गया।
इस मौके पर करनाल की मेयर रेणु बाला गुप्ता, इंद्री विधायक रामकुमार कश्यप मुख्यमंत्री प्रतिनिधि संजय बठला, विश्व विख्यात संत महामंडलेश्वर स्वामी रिशिपाल आनंद , हरियाणा साहित्य अकादमी के उपाध्यक्ष वीरेंद्र चौहान, ऋषि पाल शास्त्री , रितु सहित अन्य गणमान्य लोगों ने महाराणा प्रताप के जीवन पर अपने विचार व्यक्त किए।
मंच का संचालन विख्यात शिक्षाविद चांद कश्यप ने किया। कार्यक्रम में जागो जगाओ ट्रस्ट के चेयरमैन रणधीर सिंह राणा ने अतिथियों का स्वागत किया स्वागत करने वाले अन्य लोगों में में नीरज , तेजस्वनी, संरक्षक दलबीर सिह, सुशील राणा, जिले सिंह शामिल थे। इससे पूर्व सभी अतिथियों ने महाराणा प्रताप के चित्र पर माल्यार्पण कर महाराणा प्रताप के गौरवशाली इतिहास को याद किया।
विचार गोष्ठी में बोलते हुए मुख्य वक्ता ऋषि पाल शास्त्री ने कहा कि महाराणा प्रताप हिन्दू धर्म एवं संस्कृति के रक्षक और स्वतंत्रता प्रेमी के रूप में विश्वविख्यात है। कई देशों के लोगो ने महाराणा प्रताप से प्रेरणा लेकर स्वतंत्रता आन्दोलन चलाये है। उन्होंने कहा कि सामाजिक समरसता को महाराणा प्रताप ने अपने जीवन मे जिया जिन्होंने उस समय में अपनी आजादी को लेकर सभी वर्गों को साथ लेकर लंबा संघर्ष किया। उनकी सेना में हर जाति के लोग शामिल थे। हम उस महान संस्कृति के वाहक हैं। हम वह लोग हैं जिन्होंने पूरी दुनिया को जीना सिखाया। इंद्री विधायक रामकुमार कश्यप ने महाराणा प्रताप के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने महाराणा प्रताप के ऐतिहासिक प्रसंगों की व्याख्या करते हुये उन्हें विश्व नायक बताया। उन्होंने महाराणा प्रताप के उज्जवल इतिहास को सामने लाने की आवश्यकता जताते हुये महाराणा प्रताप के जीवनवृत्त व उनके समाज और राष्ट्र को दिये योगदान को याद किया।
मेयर रेणु बाला ने कहा कि आज महाराणा प्रताप की जयंती को सामाजिक समरसता के रूप में मनाया गया जो एक सराहनीय पहल है। राणा प्रताप ऐसे योद्धा थे जिन्होंने देश की रक्षा के लिए अपना सारा ऐशो आराम छोड़ दिया। उन्होंने हमें यह शिक्षा दी कि अपने देश और धर्म पर जब भी कोई संकट आए तो महाराणा प्रताप की तरह उसका सामना करना चाहिए।
मुख्यमंत्री के प्रतिनिधि संजय बटला ने कहा कि अमर बलिदानी महाराणा प्रताप ने मात्र 500 कोल भीलों की सेना लेकर हल्दी घाटी के युद्घ में अकबर की 80000 की सेना के दांत खट्टे कर दिए थे। इस भीषण युद्ध में अकबर की सेना के 17000 सैनिक भी मारे गए थे। अंतत: मेवाड़ हमेशा के लिए अजेय रहा। महाराणा प्रताप ने युद्ध के दौरान सूखी घास की रोटी तक खाई, पर मुगलों की अधीनता स्वीकार नहीं की। उन्होंने कई बार युद्ध में हराया। आज की पीढ़ी को ऐसे महानायक के जीवन से प्रेरणा लेने की जरूरत है। जसविंदर सिंह शंभूक ने कहा कि महाराणा प्रताप के जीवन को भावी पीढ़ी तक ले जाने की जरूरत है। पग पग पर उनका जीवन हमें संकटों से लडऩे और जूझने की प्रेरणा देता है। महाराणा प्रताप किसी एक जाति या समाज के नहीं थे बल्कि उन्होंने देश और धर्म के लिए अपना जीवन न्योछावर कर दिया। हम सभी उनके बलिदान को नमन करते हैं।
महामंडलेश्वर स्वामी रिशिपाल आनंद ने कहा की महाराणा प्रताप ने धर्म की रक्षा के लिए घास की रोटी खाना मंजूर किया लेकिन कभी दुश्मनों के आगे घुटने नहीं टेके। उन्होंने कहा कि महाराणा प्रताप उस समय अकेले ऐसे राजपूत राजा थे जिन्होंने अपने से कई गुना शक्तिशाली अकबर से लोहा लिया। उन्होंने अकेले मुगल साम्राज्य के विरुद्ध झंडा बुलंद किया। चित्तौड़ गढ़ दुर्ग पर जब अकबर ने आक्रमण किया तो उनके पिता उदय प्रताप सिंह ने अकबर की प्रधानता स्वीकार नहीं की। उनकी मृत्यु के बाद चित्तौड़ की विरासत को राणा प्रताप नेसंभाला और गोरिल्ला युद्ध के माध्यम से अकबर को नाको चना चबवाया। इस अवसर पर दलबीर , सुशील राणा, सोहन सिंह राणा, जिले सिंह, रिषी पाल जी, दिव्यांग प्रतिनिध मीनू,सुख दुख समाज से ज्योति बराड़ ,गाडिय़ा लुहार समाज के अ्रग्रेज सिंह तथा बलकार , हंसराज कश्यप, विजय कुमार, रेनू राणा , रणधीर, केशव, तारा चंद्र, प्रवीण सैनी, रिंकू शर्मा, अनिल राणा,शिव कुमार, प्रवीण, विकास राणा,राजेंद्र परमार, आदि उपस्थित थे।
पहली बार सम्मान मिलने से अभिभूत हुए गाडिय़ा लोहार
महाराणा प्रताप के वंशज माने जाने वाला गाडिय़ा लोहार समाज आज भी अछूता सा है। किसी संस्था की ओर से पहली बार इस समाज के प्रतिनिधियों को कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में बुलाया गया था जो उनके लिए हैरानी और खुशी का कारण था। केसरिया पगड़ी पहने गाडिय़ा लोहार समाज की पायल और उसके पति अंग्रेज के साथ आये अन्य लोग खुद को मिले इस सम्मान से काफी अभिभूत नजर आए। गाडिय़ा लोहार पायल ने कहा की आजादी के इतने सालों बाद भी किसी ने उनकी सुध नही ली और न ही अब तक उन्हें समाज में उचित सम्मान मिल पाया है। जबकि वह भी समाज की मुख्यधारा से जुडऩा चाहते हैं। उनके बच्चे शिक्षा प्राप्त कर उच्च पदों पर जाना चाहते हैं। गाडिय़ा लोहार समाज का दर्द इस बात को लेकर भी सामने आया कि ना तो सरकार और ना ही किसी ने उन्हें अब तक बसाने के लिए कोई स्थाई बंदोबस्त किया। उन्होंने कहा कि अब वे अपने बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित हैं और एक जगह रहना चाहते हैं।इसलिए सरकार उनकी ओर ध्यान देकर उन्हें भी वही सुविधाएं और सम्मान दें जो बाकी वर्गों को मिलता है।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."