संजय सिंह राणा की रिपोर्ट
चित्रकूट- जन सूचना अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 6(3) के अन्तर्गत किसी भी सरकारी कार्यालयों से जन सूचना का अधिकार जनता को प्राप्त है जिसके चलते आम आदमी जन सूचना अधिकार अधिनियम के अंतर्गत सूचनाएं प्राप्त कर सकता है लेकिन सूचना का अधिकार अधिनियम की जिम्मेदार अधिकारी खुलेआम धज्जियां उड़ाते हुए नजर आ रहे हैं l
*ऐसा ही एक मामला सामने आया है चित्रकूट जिले के रामनगर विकास खण्ड का l*
खण्ड विकास अधिकारी रामनगर से आवेदक नीरज द्विवेदी ने जन सूचना अधिकार अधिनियम के अंतर्गत सूचनाएं उपलब्ध कराने हेतु आवेदन दिया था जिसकी सूचनाएं आज दिनांक तक खण्ड विकास अधिकारी द्वारा उपलब्ध नहीं कराई गई जिसके कारण आवेदक ने पुनः रिमाइंडर भेज कर सूचनाएं उपलब्ध कराए जाने की मांग की है l
आवेदक नीरज द्विवेदी ने रामनगर विकास खण्ड के ग्राम पंचायत पिपरौध, ढढ़वार व सुहैल में हुए विकास कार्यों के स्टीमेट, कार्य स्वीकृति के पूर्व का सत्यापन प्रमाण पत्र, वित्तीय एवं प्रशासनिक स्वीकृति आदेश, सामग्री आपूर्ति आदेश, एम.बी., सामग्री भुगतान प्रमाण पत्र, ब्लाक सत्यापन प्रमाण पत्र, जिला सत्यापन प्रमाण पत्र व ब्लाक से जिला सत्यापन हेतु जारी पत्रों की प्रमाणित सूची उपलब्ध कराए जाने की मांग की गई थी l
वहीं ग्राम पंचायत घुरेहटा में राजकुमार के घर से शंकर जी मंदिर तक इंटरलॉकिंग खडंजा निर्माण कार्य ग्रामीण अभियंत्रण विभाग द्वारा वित्तीय वर्ष 2020/21 में कराया गया एवं भुगतान भी किया गया था व उसी कार्य को दो भागों में विभाजित कर एवं नाम परिवर्तित कर वित्तीय वर्ष 2020/21 में मनरेगा योजना के अंतर्गत ग्राम पंचायत द्वारा दूसरी बार भुगतान कराया गया जिसमें वित्तीय अनियमितता करते हुए खण्ड विकास अधिकारी, ग्राम विकास अधिकारी/ग्राम पंचायत अधिकारी, तकनीकी सहायक, ग्राम प्रधान व सामग्री आपूर्ति कर्ता प्रोप्राइटर द्वारा राजकीय धन का गबन कर बंदरबाट भी किया गया था उक्त कार्य में की गई वित्तीय अनियमितता व राजकीय धन के गबन के लिए कौन कौन जिम्मेदार हैं व उनके विरुद्ध क्या कार्यवाही की गई व की गई कार्यवाही की प्रमाणित सूची आवेदक द्वारा सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत मांगी गई है जिसकी सूचनाएं समयावधि पूर्ण होने के बाद भी उपलब्ध नहीं कराई गई है जिसके चलते आवेदक ने पुनः रिमाइंडर भेज कर सूचनाएं उपलब्ध कराए जाने की मांग की है l
रामनगर विकास खण्ड में तैनात खण्ड विकास अधिकारी धनंजय सिंह द्वारा मनरेगा योजना में बिना कराए गए कार्यों का बिना सत्यापन किए हुए ही मनमाने तरीके से भुगतान करने का काम किया गया था व जमकर कमीशनखोरी की गई थी l
जिसका जीता जागता उदाहरण है ग्राम पंचायत घुरेहटा में बिना कार्य कराए इंटरलॉकिंग खडंजा निर्माण का…
जिसमें कागजी कोरम पूरा कर भुगतान करने का काम किया गया था जिसमें शिकायत होने पर कमप्यूटर आपरेटर को बलि का बकरा बनाया गया था व उसका निष्कासन किया गया था बाद में सचिव आलोक सिंह के विरुद्ध कार्रवाई की गई थी व निलंबन किया गया था लेकिन दोषी ग्राम प्रधान, तकनीकी सहायक व खुद खण्ड विकास अधिकारी मामले में साफ़ बचते हुए दिखाई दिए थे l
वहीं ग्राम पंचायत पिपरौध, ढढ़वार व सुहैल में ग्राम विकास अधिकारी के पद पर सनत कुमार तैनात हैं जो ग्राम प्रधानों व अपने चहेते ठेकेदारों की मिलीभगत से ग्राम पंचायतों के विकास कार्यों में भ्रष्टाचार की नई परिभाषा लिख रहे हैं जिसमें ग्राम विकास अधिकारी को बचाने व उसके द्वारा किए गए भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने के लिए खण्ड विकास अधिकारी धनंजय सिंह द्वारा आवेदक को सूचनाएं उपलब्ध नहीं कराई जा रही है l
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."