दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट
कानपुरः जिले में रविवार को एकल भारत लोक शिक्षा परिषद संस्था की ओर से एक शाम एकल के नाम से कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस दौरान गीतकार मनोज मुंतशिर शामिल हुए। ‘तेरी बाहों में देखूं सनम गैरों की बाहें, मैं लाऊंगा कहां से भला ऐसी निगाहें’ गीतकार एवं कवि मनोज मुंतशिर ने जैसे ही इन पंक्तियों को पढ़ा तो जीएसवीएम मेडिकल सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।
मनोज मुंतशिर ने इसके बाद अपने किस्सों से ऐसा समां बांधा कि लगातार तालियां बजती रहीं. वहीं, जब उन्होंने देशभक्ति पर आधारित गीतों को गुनगुनाया तो भारत माता की जय और जय श्री राम के नारे भी गूंजे। जैसे ही उन्होंने इन पंक्तियों को पढ़ा, ‘जो करना है आज कर लो, सर पर कल सूरज पिघलेगा..तो याद करोगे मां से घना कोई दरख्त नही था..’ इसके बाद तो श्रोताओं ने काफी देर तक तालियां बजाईं। यहां डाॅ. एएस प्रसाद, सुरेंद्र गुप्ता गोल्डी, ध्रुव रुइया डाॅ. प्रवीण कटियार, ममता अवस्थी, राव विक्रम सिंह समेत संस्था के कई पदाधिकारियों ने मनोज मुंतशिर का स्वागत किया।
उन्होंने कहा , बचपन से आज तक हमें और आपको कई झूठी प्रेम कहानियां पढ़ाई गईं हैं। जब बड़े हुए और हकीकत जानी तो सच्चाई सामने आई। माता सीता और भगवान राम का प्रेम ही सर्वश्रेष्ठ था। हम सभी को सीता-राम के प्रेम के चरम पर पहुंचने का प्रयास करना चाहिए। माता सीता से विश्वास व धैर्य, जबकि भगवान राम से माेहब्बत व मर्दानगी सीखना चाहिए।
उन्होंने दर्शकों से भरे आडिटोरियम में संवाद को पल भर के लिए रोका और फिर कहा, आपसे कुछ जरूरी बात करनी है। मैं यहां आप सभी को जगाने आया हूं। महर्षि अरविंद ने लिखा है कि जो राष्ट्र तीन पीढ़ियों तक अपनी संस्कृति को भूला देता है। उसकी संस्कृति हमेशा के लिए नष्ट हो जाती है। यह बात थोड़ी डरावनी भी है, क्योंकि हम-आप तीसरी पीढ़ी के हैं। पिछले कई दशकों से हमारी संस्कृति पर लगातार कुठाराघात हो रहे हैं, हम जिस तरह से सहते व बर्दाश्त करते चले आए। हम सोए रहे, वर्षों बरस तक सुसुप्तावस्था में रहे। अब अगर मेरी और आपकी नींद नहीं टूटी तो यह विशाल भारत वर्ष का माया महल है, उसका खंडहर भी नहीं बचेगा।
मनोज मुंतशिर ने इसके बाद अपने किस्सों से ऐसा समां बांधा कि लगातार तालियां बजती रहीं। वहीं, जब उन्होंने देशभक्ति पर आधारित गीतों को गुनगुनाया तो भारत माता की जय और जय श्री राम के नारे भी गूंजे। जैसे ही उन्होंने इन पंक्तियों को पढ़ा, ‘जो करना है आज कर लो, सर पर कल सूरज पिघलेगा..तो याद करोगे मां से घना कोई दरख्त नही था..’ इसके बाद तो श्रोताओं ने काफी देर तक तालियां बजाईं। यहां डाॅ. एएस प्रसाद, सुरेंद्र गुप्ता गोल्डी, ध्रुव रुइया डाॅ. प्रवीण कटियार, ममता अवस्थी, राव विक्रम सिंह समेत संस्था के कई पदाधिकारियों ने मनोज मुंतशिर का स्वागत किया।
गीतकार मनोज मुंतशिर ने मंच पर आते ही कहा कि कानपुर उनके दिल में बसा है। उन्होंने याद दिलाया कि सन 1989-90 में वह अमेठी से इंटरसिटी ट्रेन पकड़कर ग्रीनपार्क स्टेडियम में मैच देखने आते थे। इसके अलावा उन्होंने कानपुर के लड्डू खूब खाए हैं। मनोज मुंतशिर ने बताया कि कानपुर में बॉलीवुड गायक अंकित तिवारी रहते हैं जो उनके छोटे भाई की तरह हैं। साथ ही कहा कि उन्होंने अपने जीवन में जो सबसे अच्छा गाना- तेरी गलियां..लिखा उसमें अंकित का विशेष रूप से सहयोग रहा।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."