दुर्गा प्रसाद शुक्ला और चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट
निर्भीकता और सफलता की सीख देने वाली मां के प्रथम स्वरूप के गुणों को आत्मसात करते हुए नारी शक्ति भी स्वावलंबन की नई परिभाषाएं गढ़ रही है। आत्मनिर्भरता की ऐसी ही एक देवी हैं झांसी की रहने वाली वर्षा। वह वर्तमान में लखनऊ मेट्रो में इलेक्ट्रिकल मेंटेनेंस की नौकरी कर रहीं हैं लेकिन इससे पहले ट्यूशन पढ़ाकर तीन बहनों की शिक्षा और पिता के कैंसर का इलाज में सहयोग किया।
कहते हैं कि अगर इंसान में कुछ करने की इच्छा शक्ति है तो वह बड़े से बड़े लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है और बड़ी से बड़ी कठिनाइयों का समाधान पा सकता है। कुछ ऐसा ही वर्षा शर्मा के साथ हुआ। बचपन से लेकर नौकरी करने तक वर्षा का संघर्ष जारी है।
लखनऊ मेट्रो में कार्यरत वर्षा कहती हैं कि वर्ष 2005 में पिता राम किशोर को कैंसर हो गया। इलाज के दौरान मानसिक और आर्थिक संकट दोनों का सामना करना पड़ा। घर में तीन सगी छोटी बहनों की शिक्षा प्रभावित होने लगी, तो घर में हाथ बटाने के लिए ट्यूशन पढ़ाने का काम शुरू किया। ट्यूशन से मतलब भर के पैसे मिलने शुरू हुए लेकिन घर चलाने और इलाज के लिए पैसे ज्यादा चाहिए थे। फिर ट्यूशनों की संख्या और बढ़ा दी।
24 घंटे में दस घंटे अपने लिए रखती, इसमें सोना, पढ़ना सब शामिल था। बाकी चौदह घंटे में चार घंटे बाहर के काम और घर के काम निपटाती। बाकी दस घंटे टुकड़ों में ट्यूशन पढ़ाती। इससे घर की स्थिति कुछ पटरी पर आयी और एमएससी पूरी की। इसके बाद वर्ष 2018 में लखनऊ मेट्रो में इलेक्ट्रिकल मेंटेनेंस के पद निकले तो आवेदन कर दिया।
वर्षा कहती हैं कि ट्यूशन और पढ़ाई के संपर्क में रहने के दौरान बेहतर तरीके से मेट्रो की परीक्षा पास कर ली और चयन हो गया। मेट्रो में चयन होने के बाद बहनों की शिक्षा और बेहतर हो सकी और घर की स्थितयां सुधरने के साथ ही बहनों में भी अपने भविष्य को लेकर जागरूकता बढ़ी है। वह लोगों को भी बेहतर भविष्य बनाने के लिए जागरूक कर रही हैं।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."