दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट
फर्रुखाबाद: त्वचा के रंग के आधार पर भेदभाव के आपने कई मामले सुने होंगे, लेकिन यूपी के फर्रुखाबाद से आया एक मामला आपको हैरान कर देगा। जहां केवल गोरा रंग को ही सुंदरता की निशानी मानने वाली मानसिकता एक शख्स की मौत का कारण बन गई। दरअसल, दूल्हे का रंग गोरा ना होने की बात कह कर वरमाला के टाइम पर ही दुल्हन ने जयमाला डालने से इंकार कर दिया। काफी अधिक खर्चा हो जाने के बाद भी बिना दुल्हन के ही बारात को वापस लौटना पड़ा। बिना फेरे लिए बारात लौटी तो निराश दूल्हे ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। जिसके बाद परिवार में हड़कंप मच गया।
घटना कोतवाली कायमगंज क्षेत्र के गांव सलेमपुर टिलियां की बताई जा रही है। बताया जा रहा है कि इसी माह की 20 तारीख को यहां के निवासी 21 वर्षीय युवक की बारात जिला जौनपुर की सदर कोतवाली स्थित गांव हमजापुर गई थी। बारात पहुंचने पर वधू पक्ष के लोगों ने स्वागत सत्कार भी किया। जयमाला स्टेज सजी थी। दूल्हा स्टेज पर दुल्हन के आने का इंतजार कर रहा था। स्टेज के पास तक सधे कदमों से दुल्हन आई। उसने नजर डालकर दूल्हे को देखा और चुपचाप वापस लौट गई। यह देख कर वहां मौजूद बाराती तथा अन्य लोग हक्के बक्के रह गए। कुछ समझ पाते की तब तक दुल्हन ने यह कहते हुए कि दूल्हे का रंग अच्छा नहीं है। मैं इससे शादी नहीं करूंगी।
दुल्हन का यह फैसला सुनते ही बारातियों में सन्नाटा सा पसर गया। इसके बाद दुल्हन को मनाने के साथ ही दोनों पक्षों में पंचायत का दौर चला। लेकिन दुल्हन के साफ इंकार कर देने के बाद बात नहीं बन सकी। ऐसी स्थिति में अधिकांश बाराती वापस लौट आए। कुछ लोग वहां इसलिए रुक गए कि किसी दूसरी लड़की को तलाश कर शादी करा दी जाए। काफी प्रयास के बाद भी कोई लड़की नहीं मिल सकी। ऊपर से वधू पक्ष ने बारात के स्वागत सत्कार में हुआ खर्चा लगभग 50 हजार रुपया भी दूल्हे से ले लिया। निराश युवक बिना दुल्हन के घर वापस आ गया।
इसके अलावा भी बेचारे का और काफी रुपया दुल्हन लाने की उम्मीद में खर्च हो चुका था। लेकिन उम्मीदों पर पानी ही फिर गया। जिस सदमे को युवक बर्दाश्त नहीं कर सका और उसने अपने मकान के कमरे में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। घबराए परिजनों ने फांसी के फंदे पर झूलते हुए शव को नीचे उतारा और इसके बाद युवक का अंतिम संस्कार कर दिया गया । इस दुखद एवं निराशाजनक घटना से गांव में तरह-तरह की चर्चाओं के साथ शोक का वातावरण दिखाई दे रहा था।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."