Explore

Search
Close this search box.

Search

November 23, 2024 9:22 am

लेटेस्ट न्यूज़

इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर, नई दिल्ली में महफिल-ए-सुखन मुशायरा 2022 का आयोजन

11 पाठकों ने अब तक पढा

रिया शर्मा की रिपोर्ट

नई दिल्ली। एशियन लिटरेरी सोसाइटी (एएलएस) और एडवेंचर वुमन इंडिया (एडब्ल्यूआई) ने 26 मार्च 2022 को नई दिल्ली में इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर में महफिल-ए-सुखन मुशायरा 2022 का आयोजन किया।

श्री मनोज कृष्णन ने अपने उद्घाटन भाषण में कुछ मशहूर उर्दू शेर  सुनाया और कहा, “उर्दू सिर्फ एक भाषा नहीं है, यह जीवन शैली है और महफिल-ए-सुखन जैसे कार्यक्रम इस उर्दू भाषा के प्रसार में महत्वपूर्ण रोल अदा करते हैं  साथ ही नई पीढ़ी को इस भाषा के  समृद्ध विरासत से रु-ब-रु कराते हैं ।”

सुश्री मीनल माथुर ने अपने स्वागत भाषण में महफिल-ए-सुखन जैसे आयोजनों के महत्व पर अपने विचार पेश किए । उन्होंने कहा, “महफिल-ए-सुखन साहित्य प्रेमी लोगों के लिए समान विचारधारा वाले प्रशंसकों के साथ जुड़ने और उनसे सीखने का एक अद्भुत अवसर है। इसके अलावा, यह नए कवियों को अपनी प्रतिभा साझा करने का मौका प्रदान करता है।”

डॉ अमरेंद्र खटुआ (पूर्व सचिव, विदेश मंत्रालय), सुश्री नसीरा शर्मा (लेखिका, साहित्य अकादमी विजेता), प्रोफेसर खालिद अल्वी (लेखक और उर्दू विद्वान) सुश्री अलीना इतरत (लेखिका,और उर्दू विद्वान), डॉ मृदुला टंडन (संस्थापक, जश्न-ए-हिंद), श्री प्रताप सोमवंशी (कवि और कार्यकारी संपादक, हिंदुस्तान, सुश्री अनीता चंद (लेखिका, और कवि) और परवेज शहरयार (वरिष्ठ संपादक, एनसीईआरटी)  जैसे कई जाने-माने कवि एवं विद्वान् इस कार्यक्रम में शामिल हुए।  

इस कार्यक्रम में एक स्लैम पोएट्री सत्र का भी आयोजन किया गया था जिसमें एशियन लिटरेरी सोसाइटी और एडवेंचर वुमन इंडिया के कई कवियों ने अपनी कविताओं का पाठ किया।

महफिल-ए-सुखन को दर्शकों से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली, जिन्होंने उर्दू भाषा और साहित्य को बढ़ावा देने के लिए इस पहल की बेहद सराहना की।

एशियन लिटरेरी सोसाइटी,  एलसफेयर फाउंडेशन का एक लोकप्रिय  मंच है जो एशियाई साहित्य, कला एवं  स्वदेशी भाषाओं का  प्रसार करता है और दिव्यांगों तथा बुजुर्गों के लिए कार्य करता है।

एडवेंचर वुमन इंडिया महिलाओं में आपसी सहयोग को बढ़ावा देती है। इस समूह की महिलाएँ एक दूसरे को उनकी यात्रा से जुड़ी सलाह तो देतीं ही हैं, साथ में एक दूसरे को घर की दहलीज़ के पार क़दम रखने के फ़ैसले को बढ़ावा देती हैं और पूरा सहयोग भी। 

samachar
Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

लेटेस्ट न्यूज़