विवेक चौबे की रिपोर्ट
देश के 12 ज्योतिर्लिंग में एक बाबा बैद्यनाथ का दरबार देवघर में है। होली की बात होती है तो वृंदावन की ठिठोली और लट्ठमार होली का नजारा जेहन में आता है। बावजूद बाबा बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग दरबार की होली तो बेहद अनूठी है। यह भी भारतीय संस्कृति का अलौकिक प्रतिबिंब है। यह वह स्थान है जहां हरि और हर ही नहीं, शिव और शक्ति का मिलन हुआ था। हरि और हर के मिलन के बाद मंदिर प्रांगण में भक्त होली खेलने में सराबोर हो जाते हैं। पूरे देवघर में होली मनती है।
देवघर के शिवलिंग को रावणेश्वर बैद्यनाथ कहा जाता है। लंकापति रावण के कारण बाबा देवघर आए। बैद्यनाथ मंदिर स्टेट पुरोहित श्रीनाथ महाराज कहते हैं कि पौराणिक मान्यताओं के अनुसार त्रेता काल में लंकापति रावण कैलाश पर्वत से शिवलिंग लेकर लंका जा रहा था। ताकि भोलेनाथ को वहां स्थापित कर सके। देवताओं को यह नहीं भाया। बस उनके मायाजाल में रावण घिर गया। लंका तक शिवलिंग नहीं ले जा सका।
दरअसल, शंकर भगवान ने शर्त रखी थी कि बिना कहीं रुके शिवलिंग को लंका ले जाओ, कहीं रख दिया तो वहीं विराजमान हो जाएंगे। रावण उनको लेकर चला, मगर जब देवघर से गुजर रहा था तभी उसे लघुशंका लगी। जमीन पर वह शिवलिंग नहीं रख सकता था। तभी चरवाहे के रूप में भगवान विष्णु वहां आए। उसने उनको शिवलिंग सौंपा व लघुशंका करने चला गया।
हरि के हाथ हर यानि शंकर को दिया गया था, दोनों का यहां मिलन हुआ। उसी समय भगवान विष्णु ने देवघर में अवस्थित सती के हृदय पर शिवलिंग स्थापित कर दिया। वह चैत्र प्रतिपदा का समय था। बस वह परंपरा चल पड़ी। आज भी निभाई जा रही है।
इस साल 17 मार्च की आधी रात करीब 1:30 बजे हरि और हर का मिलन होगा। भगवान विष्णु की मूर्ति को शिवलिंग पर रख मंदिर के पुजारी उन दोनों को अबीर लगाते हैं। उसके बाद भक्त अबीर व गुलाल उड़ाकर होली खेलने लगते हैं। जी हां, देवघरवासी बाबा को अबीर अर्पित करके ही एक दूसरे को अबीर लगाते हैं।
तीर्थपुरोहित दुर्लभ मिश्र बताते हैं यहां से जुड़ी एक परंपरा और है। हरि और हर के मिलन से पहले मंदिर परिसर में बने राधा कृष्ण मंदिर से हरि को पालकी पर बिठा कर शहर के आजाद चौक स्थित दोलमंच ले जाया जाता है। वहां बाबा मंदिर के भंडारी उनको झूले पर झुलाते हैं। देवघरवासियों को भी उनको झुलाने का मौका मिलता है।
इस साल रात्रि 1:10 बजे मंदिर पुजारी व आचार्य परंपरा अनुसार मंदिर स्टेट की ओर से होलिका दहन की विशेष पूजा करेंगे। 1:28 पर होलिका दहन के पश्चात भगवान को पालकी पर बिठा कर बड़ा बाजार होते हुए पश्चिम द्वार से मंदिर लाया जाएगा। रात 1:30 बजे कृष्ण व बाबा बैद्यनाथ का मिलन होगा। उसके बाद होली के रंग बरसने लगेंगे।
Author: samachar
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