विकास कुमार की रिपोर्ट
लुधियाना। काउंसिल आफ साइंटिफिक एंड इंस्ट्रीयल रिसर्च (सीएसआइआर), सेंट्रल मैकेनिकल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीएमईआरआइ) और सेंटर आफ एक्सीलेंस फार फार्म मशीनरी गिल रोड ने 309.83 वर्ग मीटर में सोलर ट्री तैयार किया है। इन संस्थानों का दावा है कि यह दुनिया में अब तक का सबसे बड़ा सोलर ट्री है। इससे सालाना करीब 60 हजार यूनिट क्लीन व ग्रीन एनर्जी तैयार की जा सकती है। इसे एक पेड़ की तरह इसलिए डिजाइन किया गया है ताकि इसके प्रत्येक सोलर फोटोवोल्टिक (पीवी) पैनल को सूरज की अधिक से अधिक रोशनी मिल सके।
सीएसआइआर, सीएमईआरआइ दुर्गापुर के डायरेक्टर प्रोफेसर हरीश हिरानी के नेतृत्व में सीनियर प्रिंसिपल साइंटिस्ट अश्विनी कुमार कुशवाहा, डा. मलाया करमाकर और प्रिंसिपल साइंटिस्ट एचपी इक्कुर्ति की टीम ने इसे विकसित किया है। इस सोलर ट्री को 21 जनवरी 2022 को गिनीज बुक आफ वर्ल्ड रिकार्डस में भी शामिल किया जा चुका है। प्रोफेसर हरीश हिरानी ने बताया कि इस सोलर ट्री को तैयार करने में उन्हें नौ महीने लगे हैं। इसकी क्षमता 53.7 किलोवाट है यानी रह रोज करीब 160-200 यूनिट और साल में करीब 60 हजार यूनिट ग्रीन एनर्जी पैदा की जा सकती है।
उन्होंने बताया कि इसे अपनी जरूरत के अनुसार सेट किया जा सकता है। इसकी ऊंचाई इतनी है कि नीचे फसल लगाई जा सकती है। सोलर ट्री ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी लाने में सहायक होगा। इस सोलर ट्री की सबसे बड़ी खासियत यह है कि जिन स्थानों पर अब भी बिजली नहीं है यह वहां पर ऊर्जा की जरूरतों को पूरा कर सकता है।
क्या है खासियत
25 साल है लाइफ, सोलर ट्री की 53.7 किलोवाट है क्षमता
200 यूनिट तक बिजली रोज पैदा कर सकता है
40 लाख रुपये हुए खर्च, तैयार करने में लगे 9 महीने
335 वाट वाले 160 पैनलों को जोड़कर बनाया गया है
ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने में होगा सहायक
Author: samachar
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