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November 22, 2024 7:21 pm

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देश में बढ़ती कट्टरता के खिलाफ सूफी संतों का बजा बिगुल ; महिलाओं को आगे लाने पर दिया जोर

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परवेज़ अंसारी की रिपोर्ट

नई दिल्ली। मुस्लिम समाज में बढ़ती कट्टरता के खिलाफ देशभर की दरगाहों से सज्जादानशीं बाहर निकलेंगे तथा समाज में जाकर अमन-शांति का पैगाम फैलाएंगे। समाज में धर्म के नाम पर फैले भ्रम को दूर करेंगे। यह अहम और बड़ा फैसला निजामुद्दीन दरगाह इलाके में हुई देशभर के 50 से अधिक प्रमुख दरगाहों के सज्जादानशीं की बड़ी बैठक में लिया गया।

यह इस तरह की पहली बैठक है, जिसमें निजामुद्दीन औलिया, अजमेर शरीफ, लखनऊ स्थित शाहमीना दरगाह व हजरत ख्वाजा औरंगाबादी जैसी दरगाहों के प्रमुख शामिल थे। सभी ने एक स्वर में देश समेत विश्व भर में समाज में बढ़ रही कट्टरता वाली विचारधारा पर चिंता जताई और एक साथ सिर जोड़कर इससे समाज को निकालने के रास्तों पर गहन चिंतन-मनन किया।

इस बैठक और लिए गए निर्णयों को इसलिए जरूरी बताया गया क्योंकि, धर्म और धार्मिक ग्रंथों की गलत व्याख्या कर समाज में टकराव को बढ़ाया जा रहा है। इसी तरह इंटरनेट माध्यम से भ्रामक खबरों की आड़ लेकर युवाओं को गुमराह किया जा रहा है। मनमाने फतवों से समाज में जड़ता आ रही है।

ऐसे में वक्त आ गया है कि जब सज्जादनशीं आध्यात्म के साथ ही साथ समाज और देश की भी चिंता करें। वे इसके लिए दरगाहों से बाहर निकलकर समाज के बीच सूफी विचारधारा को बढ़ाएं। उनके द्वारा समाज के बीच आपसी भाईचारे व प्रेम का पाठ पढ़ाना वक्त की मांग है। तय हुआ कि समाज में इसके लिए गोष्ठियाें व बैठकों के साथ ऐसे साहित्यों का वितरण किया जाएं। इसके लिए इंटरनेट माध्यमों का भी इस्तेमाल हो। इसी तरह इसके लिए देशभर में स्थित सभी दरगाहों को साथ लाने व दरगाहों में ही आध्यात्मिक आधारित सूफी विचारधारा की शिक्षा को आगे बढ़ाने वाले केंद्र खोलने पर भी रायशुमारी बनी।

यह बैठक आल इंडिया सूफी सज्जादानशीं काउंसिल (एआइएसएससी) के बैनर तले थी, जो तकरीबन चार साल पहले ही अस्तित्व में आया है। विशेष बात कि इसके लिए महिलाओं को आगे लाने पर जोर दिया गया, क्योंकि बच्चों की पहली शिक्षक मां होती हैं। वह बच्चों को सही शिक्षा देने के साथ उनकी गतिविधियों पर नजर रखेंगी तो काफी हद तक समाज में बदलाव लाया जा सकता है।

एआइएसएससी के अध्यक्ष व अजमेर दरगाह के उत्तराधिकारी हजरत सैयद नसीरूद्दीन चिश्ती ने बताया कि इसके लिए आल इंडिया नेशनल ख्वातिन काउंसिल बनाने का निर्णय लिया गया है। इससे समाज की प्रबुद्ध व पढ़ी-लिखी महिलाओं को जोड़ा जाएगा।

एआइएसएसी दिल्ली के इंजार्च व निजामुद्दीन दरगाह के नायब सज्जादानशीं सैयद फरीद अहमद निजामी ने कहा कि सूफी धर्म की नहीं प्रेम और भाईचारे की बात करता है। समाज और देश की बात पहले होती है, लेकिन आज समाज में इसके ठीक उलट हो रहा है। इसलिए यह पहल की गई है, जिसका असर समाज में दिखेगा

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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