दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट
चुनावी ड्यूटी पर जाते समय इंस्पेक्टर की कविता वाले वीडियो ने इंटरनेट मीडिया पर इस कदर धमाल मचाया था कि यूपी पुलिस ने भी ट्वीट किया था। एक बार फिर इंस्पेक्टर धर्मराज का वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें उन्होंने एक मशूहर शायर पर तीखा व्यंग किया है लेकिन किस पर का प्रश्न करने कहते हैं कि समझदार के लिए इशारा काफी है..। उनकी कविता का पुट रखा.. कहूं न जाओ चच्चा, कोई कुछौ न बोली.., जो काफी चर्चित हो गया है। उनकी यह कविता एक बार फिर इंटरनेट मीडिया के सोशल प्लेटफार्म पर छा गई है।
श्रावस्ती जिला के मूल निवासी धर्मराज उपाध्याय पुलिस विभाग में इंस्पेक्टर हैं और वर्तमान में उन्नाव मैं तैनात हैं। वर्ष 2001 में दारोगा से भर्ती होकर 2016 में इंस्पेक्टर बने। साहित्य में रुचि होने से वे कविताएं लिखने लगे। यूपी विधानसभा चुनाव से पहले सात फरवरी को उन्होंने ‘न कोई के डर मा न कोई के दबाव मा, चले हैं दीवान जी ड्यूटी चुनाव मा’ का वीडियो बनाया तो इंटरनेट पर धूम मच गई। वीडियो इस कदर पसंद किया गया कि यूपी पुलिस ने भी ट्वीट कर दिया था। वैसे तो उनके कई वीडियो वायरल हुए लेकिन इस वीडियो ने खासा सुर्खियां बटोरी थी। अब चुनाव पूरा होने के बाद उनका एक और वीडियो धूम मचा रहा है। उन्होंने देश के एक मशूहर शायर के भाजपा सरकार बनने पर प्रदेश छोड़ने वाले बयान पर पलटवार किया है और कविता के जरिये व्यंग किया है। उनकी बेटी भी उन्नाव की एक विधानसभा सीट से देश की बड़ी पार्टी की टिकट पर चुनाव लड़कर हार गई हैं और अपनी जमानत तक जब्त करा चुकी हैं। ऐसे में इंस्पेक्टर धर्मराज का वीडियो लोगों के बीच चर्चा का विषय बना है।
इंस्पेक्टर धर्मराज ने वीडियो के माध्यम से कविता सुनाई है:- ‘न चली लाठी न चली गोली कहूं न जाओ चच्चा कोई कुछौ न बोली। अब तोहरी बात का कोई बुरा नहीं मानत है चटक गे हौ यह सभी कोई जानत है। इहैं करो ईद इहैं खेलो होली, कहूं न जाओ चच्चा, कोई कुछौ न बोली। जे जरत है तेहका जरै देव अपराधी मरत हैं मरै देव, बुढ़ौती वक्त है अब न बदलौ खोली। जलन बुरी चीज है यहिसे मुंह मोड़ो, मुशायरा करौ राजनीति छोड़ो। काहे करावत हौ हंसी-ठिठोली। कहूं न जाओ चच्चा कोई कुछौ न बोली’। अब उनकी इस कविता ने इंटरनेट मीडिया में धमाल मचा रखा है। इस संबंध में इंस्पेक्टर से जब पूछा गया कि ये कविता आपने किस पर सुनाई है। तो उन्होंने समझदार के लिए इशारा ही काफी है कह कर बात को टाल दिया।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."