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November 23, 2024 6:00 am

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यूपी विधानसभा चुनाव ; बसपा की है राह कठिन कांग्रेस के सूपड़े पर भी है सवालिया निशान

12 पाठकों ने अब तक पढा

जीशान मेंहदी की रिपोर्ट

अधिकांश एग्जिट पोल उत्तर प्रदेश में बीजेपी की वापसी का इशारा कर रहे हैं। एक बार फिर से समाजवादी पार्टी के लिए गठबंधन की रणनीति विफल होती दिखाई दे रही है, वहीं बहुजन समाज पार्टी एक बार फिर से अपने कोर वोट बैंक आधार तक सिमटती हुई नजर आ रही है। कांग्रेस की बात की जाए तो इस बार भी वह यूपी में अपने 2017 के प्रदर्शन के आस-पास सिमटती नजर आ रही है, जबकि बीजेपी अपने वोट बैंक को मजबूती से अपने साथ बांधे रखने में सफल होती नजर आ रही है।

2017 का चुनाव समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा था और समाजवादी पार्टी 47 सीटों के साथ मुख्य रूप से तीन प्रमुख क्षेत्रों (दोआब, रोहिलखंड और पूर्वांचल) में सिमट कर रह गई थी। इस बार समाजवादी पार्टी ने सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) और राष्ट्रीय लोक दल के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा और एग्जिट पोल्स के आंकड़ों को आधार बनाकर देखा जाए तो एक बार फिर से सपा गठबंधन के बावजूद सत्ता में आती नजर नहीं आ रही है। हालांकि, अखिलेश यादव ने सपा गठबंधन के कम से कम 300 सीटें जीतने का दावा किया है।

एग्जिट पोल्स के मुताबिक भले ही सपा सरकार बनाती हुई नजर नहीं आ रही है लेकिन पिछले चुनाव के मुकाबले इस बारे उसकी सीटों की संख्या में जोरदार इजाफा होता हुए दिख रहा है। अगर एग्जिट पोल के नतीजे वास्तविक नतीजों से मेल खाते हैं तो सपा 2017 के मुकाबले बेहद मजबूत स्थिति में होगी और बीजेपी अगर सत्ता में वापसी करती है तो यह निष्कर्ष निकाला जाएगा कि बीजेपी ने जिन मुद्दों के आधार पर मतदाताओं से समर्थन मांगा, उन्होंने उस पर विश्वास कर लिया। इस चुनाव में भी पिछली बार की तरह बीजेपी ने धर्म, कानून व्यवस्था और विकास को मुद्दा बनाया और एग्जिट पोल के आंकड़ों के मुताबिक मतदाताओं ने इस मुद्दे पर बीजेपी को समर्थन भी दिया।

एक्सिस माय इंडिया के एग्जिट पोल के मुताबिक बीजेपी को उत्तर प्रदेश में 288-326 सीटें मिलने का अनुमान है, वहीं समाजवादी पार्टी को 71-101 सीटें मिल रही है, जबकि कांग्रेस 01-03 और बीसएपी 03-09 सीटों पर सिमटती हुई नजर आ रही है।

वहीं सी वोटर बीजेपी को 228-244 सीटें, चाणक्य 294 सीटें, वीटो 225 और डिजाइन बाक्स्ड ने उत्तर प्रदेश में बीजेपी को 223-248 सीटें मिलने का अनुमान लगाया है। सभी पोल्स में बीजेपी सरकार बनाने के लिए जरूरी 202 सीटों से काफी आगे है। यह स्पष्ट बहुमत से भारी बहुमत के बीच की स्थिति है और अगर ये रुझान नतीजों में तब्दील होते हैं तो बीजेपी बेहद आसानी के साथ सरकार में वापसी करेगी।

इन रुझानों के आधार पर कहा जा सकता है कि समाजवादी पार्टी को सुभासपा और राष्ट्रीय लोक दल जैसे छोटे दलों के साथ गठबंधन करने का वांछित परिणाम नहीं मिला। पिछले चुनाव में सुभासपा, बीजेपी के साथ मैदान में थी और उसे 4 सीटें मिली थीं। वहीं राष्ट्रीय लोक दल को पिछले विधानसभा चुनाव में मात्र एक सीट मिली थी।

एक्सिस माय इंडिया के सर्वे के मुताबिक पहले चरण के यूपी चुनाव में बीजेपी को 58 में से 49 सीटें और सपा गठबंधन को 8 सीटें मिलती हुई नजर आ रही है और अगर वोट फीसदी के आधार पर बात की जाए तो बीजेपी को 49 फीसदी और सपा को 34 फीसदी वोट मिलता नजर आ रहा है। इस पोल के मुताबिक सात चरणों में से केवल दूसरे चरण में समाजवादी पार्टी, बीजेपी को मजबूत टक्कर देती हुई नजर आ रही है, जबकि बाकी के चरणों में इस पोल के मुताबिक बीजेपी एकतरफा बढ़त की स्थिति में है।

इन रुझानों के आधार पर कहा जा सकता है कि समाजवादी पार्टी को सुभासपा और राष्ट्रीय लोक दल जैसे छोटे दलों के साथ गठबंधन करने का वांछित परिणाम नहीं मिला। पिछले चुनाव में सुभासपा, बीजेपी के साथ मैदान में थी और उसे 4 सीटें मिली थीं। वहीं राष्ट्रीय लोक दल को पिछले विधानसभा चुनाव में मात्र एक सीट मिली थी।

एक्सिस माय इंडिया के सर्वे के मुताबिक पहले चरण के यूपी चुनाव में बीजेपी को 58 में से 49 सीटें और सपा गठबंधन को 8 सीटें मिलती हुई नजर आ रही है और अगर वोट फीसदी के आधार पर बात की जाए तो बीजेपी को 49 फीसदी और सपा को 34 फीसदी वोट मिलता नजर आ रहा है। इस पोल के मुताबिक सात चरणों में से केवल दूसरे चरण में समाजवादी पार्टी, बीजेपी को मजबूत टक्कर देती हुई नजर आ रही है, जबकि बाकी के चरणों में इस पोल के मुताबिक बीजेपी एकतरफा बढ़त की स्थिति में है।

दूसरे चरण में एक्सिस माय इंडिया के पोल के मुताबिक बीजेपी को जहां 42 फीसदी मत मिलता नजर आ रहा है, वहीं सपा गठबंधन को 43 फीसदी मत मिलने का अनुमान है। सीटों के आधार पर देखें तो इस चरण में 55 सीटों के लिए मतदान हुआ था और इसमें से बीजेपी गठबंधन को 32 सीटें और सपा गठबंधन को 22 सीटें मिल रही हैं।

दूसरे चरण के मतदान के दौरान 9 जिलों की 55 सीटों पर वोटिंग हुई थी और इन 55 सीटों में से 40 सीटों पर मुस्लिम और दलित मतदाताओं की संख्या सर्वाधिक है।

बसपा के लिए आगे की राह मुश्किल

अगर सभी एग्जिट पोल का औसत देखा जाए तो यूपी में बहुजन समाज पार्टी लगातार कमजोर होती नजर आ रही है। सीटों के आधार पर देखा जाए तो यूपी में इस बार बसपा को 13-21 सीटें मिलने का अनुमान लगाया है, जो राज्य की राजनीति में बीएसपी के क्रमश: कमजोर होने की तरफ इशारा कर रहा है।

2017 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को केवल 19 सीटें मिली थीं, जो 1991 के बाद पार्टी के खाते में आई सर्वाधिक कम सीटें थी, जब बसपा 12 सीटों पर सिमट कर रह गई थी। एग्जिट पोल के रुझानों के आधार पर निष्कर्ष लगाया जाए बसपा एक बार फिर से 1991 की स्थिति की तरफ जाती नजर आ रही है। 2017 के चुनाव में बसपा को 22.23% फीसदी मत मिले थे, जबकि सपा की वोट हिस्सेदारी 21.82% रही थी।

रुझानों के आधार पर कहा जा सकता है कि बसपा एक बार फिर से अपने कोर जाटव वोट बैंक के बीच सिमटती नजर आ रही है और गैर जाटव वोट अब पार्टी से दूर छिटक गए हैं।

कांग्रेस के लिए जोर का झटका

सभी एग्जिट पोल्स के रुझानों को मिलाकर देखा जाए तो उत्तर प्रदेश में कांग्रेस अपने पुराने प्रदर्शन के आस-पास सिमटती हुई नजर आ रही है।

पोल्स के रुझानों के मुताबिक राज्य में इस बार कांग्रेस को 1-9 सीटें मिलने का अनुमान है, जो पिछले चुनाव में कांग्रेस को मिली 7 सीटों के आस-पास का आंकड़ा है। 2017 में कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन के तहत 114 सीटों पर चुनाव लड़ा था और वह 6.25 मत हिस्सेदारी के साथ 7 सीटें जीतने में सफल रही थी।

पिछले चुनाव के आंकड़ें

पिछले विधानसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन को कुल 403 सीटों में से 325 सीटों पर जीत मिली थी, जिसमें अकेले बीजेपी के खाते में 312 सीटें गई थीं। वहीं अपना दल एस को 9 जबकि ओमप्रकाश राजभर की पार्टी एसबीएसपी या सुभासपा को 4 सीटें मिली थीं। पिछले चुनाव में एसबीएसपी एनडीए गठबंधन में थी, जो इस बार समाजवादी पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही है। राष्ट्रीय लोक दल को पिछले चुनाव में मात्र एक सीटें मिली थीं, जबकि बहुजन समाज पार्टी के खाते में 19 सीटें आई थी। कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन में 114 सीटों पर चुनाव लड़ा और उसे मात्र 7 सीटों पर जीत मिली थी।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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