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19 January 2025 8:43 am

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विश्व में धार्मिक सद्भाव की नई इबारत लिखी जाती है यहां ; आप भी चौंक जाएंगे जानकर

43 पाठकों ने अब तक पढा

नौशाद अली की रिपोर्ट

किसी भी समस्या का समाधान झगड़े से नहीं, बल्कि आपसी संवाद से निकाला जा सकता है। यह छोटी सी बात कई लोगों को समझ में नहीं आती। इसलिए दंगे फसाद होते हैं। मजहब के नाम पर एक-दूसरे को लड़ाकर समाज और देश को अस्थिर करने की कोशिशें होती हैं।

इस हालात में ऋषिकेश के “परमार्थ निकेतन” और “राष्ट्रीय इमाम संघ” ने अंतर धार्मिक संवाद का ऐसा रास्ता दिखाया है, जिस पर अमल कर पूरे देश में धार्मिक सद्भाव की नई इबादत लिखी जा सकेगी। इस अनूठे और अभिनव पहल में धार्मिक शिक्षण संस्थान-मदरसे और गुरुकुल साथ आए हैं। इनमें पढ़ने और पढ़ाने वाले साथ आए हैं और कुछ दिन साथ गुजारकर और संवाद कर एक-दूसरे को और धर्म को समझने की कोशिश करेंगे।

विशेष बात यह है कि इस पहल की शुरुआत हो चुकी है। देवबंद के मदरसों के छात्रों व धार्मिक शिक्षकों ने न सिर्फ ऋषिकेश स्थित परमार्थ निकेतन के गुरुकुल में तीन दिन गुजारे हैं, बल्कि वहां के छात्रों और गुरुओं के साथ रहकर वैदिक धर्म, शास्त्र, श्लोक व कर्मकांड को नजदीक से जाना था।

इसी तरह गुरुकुल की दैनिक गतिविधियों में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। इसकी अगली कड़ी में जून में गुरुकुल के छात्र अब देवबंद के मदरसों में तीन दिन गुजारेंगे। साथ ही धार्मिक गतिविधियों के साथ इस्लाम धर्म की मूल भावना को समझने की कोशिश करेंगे।

राष्ट्रीय इमाम संघ के मुख्य इमाम डा. उमेर अहमद इलियासी ने बताया कि परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष व आध्यात्मिक गुरु स्वामी चिदानंद से अंतर धार्मिक संवाद बढ़ाने की कोशिशों पर चर्चा बहुत पहले से होती रही।

यह प्रयास मूर्त हुआ वर्ष 2018 के मई माह में, जब उत्तर प्रदेश के सहारनपुर स्थित देवबंद के विभिन्न मदरसों में पढ़ने वाले 100 छात्रों को परमार्थ निकेतन की ओर से संचालित गुरुकुल में तीन दिनों के लिए ठहराया गया। वे आश्रम में पढ़ने वाले छात्रों के साथ ही रहे। उनके बीच का संवाद और साथ रह कर एक-दूसरे को समझने का दृश्य अद्भुत था।

मुस्लिम छात्र संध्या आरती में शामिल होते तो उनके नमाज के लिए गुरुकुल के ऋषि कुमार गंगा तट धोकर साफ करते। मदरसे के छात्रों ने गुरुकुल में शाकाहारी व सात्विक भोजन ही ग्रहण किया। तीन दिनों में ही दोनों ओर से इतनी घनिष्ठता हो गई कि मदरसे के छात्र जब विदा होने लगे तो दोनों ओर के छात्रों की आंखों में आंसू थे।

उन्होंने बताया कि कोरोना के कारण गुरुकुल के बच्चों को मदरसे में ठहराने की कोशिशों में देरी हुई है। अब जब संक्रमण के मामले कम हुए हैं तो जून माह में परमार्थ निकेतन के 100 ऋषि कुमार को देवबंद के मदरसे में तीन दिन ठहराने की तैयारी है। उन्होंने कहा कि यह प्रयास यहीं नहीं रुकेगा, बल्कि मंदिर के पुजारियों और मस्जिदों के इमामों को भी इसी तरह साथ लाने की तैयारी है।

samachar
Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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