ठाकुर प्रसाद वर्मा की रिपोर्ट
हरदोई। काशी विश्वनाथ का नाम आते ही आपके ज़हन में वाराणसी के ख़्याल आता होगा लेकिन क्या आपको पता है कि उत्तर प्रदेश में काशी विश्वनाथ सिर्फ वाराणसी में नहीं बल्कि हरदोई में भी है। जी हां, हरदोई जिला मुख्यालय से करीब 60 किलोमीटर दूर मल्लावां क्षेत्र में स्थित सुनासीर नाथ मंदिर को भी काशी के नाम से जाना जाता है।
लगभग 200 वर्ष पूर्व इस मंदिर का निर्माण हुआ. मान्यता है कि यहां शंकर जी के मंदिर में शिवलिंग की स्थापना स्वयं भगवान इंद्र ने की थी और इसका नाम पड़ा सुनासीरनाथ जो भगवान शंकर का ही दूसरा नाम है। इस मंदिर का इतिहास इसके प्रति लोगों के आस्था को और मज़बूत करता है।दरअसल सोलहवीं शताब्दी में मुगल बादशाह औरंगजेब ने आक्रमण कर यहां जड़ा सोना लूट लिया था व यहां भगवान इंद्र द्वारा स्थापित शिवलिंग को भी ध्वस्त करने का प्रयास किया था। औरंगजेब की बर्बरता के निशान आज भी इस शिवलिंग पर मौजूद हैं। इसकी ख्याति देश ही नहीं विदेशों तक फैली हुई है।
मल्लावां कस्बे से तीन किलोमीटर दूर इस मंदिर के विषय मे मंदिर के पुजारी राम गोविंद मिश्र बताते हैं कि यहां के शिवलिंग की स्थापना इंद्र देव ने कराई थी। सोलवी शताब्दी में मुगल बादशाह औरंगजेब ने मंदिर में जड़ा सोना लूटने के लिए यहां आक्रमण किया था।
गौराखेड़ा के शूरवीरों ने किया डटकर मुकाबला
औरंगजेब की सेना की भनक जैसे ही क्षेत्र के गौराखेड़ा के लोगों को लगी तो वहां के शूरवीरों मुगल बादशाह की फौज के आगे चट्टान की तरह खड़े हो गए। दोनों में भीषण युद्ध हुआ जिसमें सैकड़ों सैनिक मारे गए।
मुगल बादशाह की भारी फ़ौज के आगे गौराखेड़ा के शूरवीर ज्यादा देर नहीं टिक नही पाए और उन्हें हार का सामना करना पड़ा। हालांकि इसके बाद मुगल सेना को मढ़िया के गोस्वामियों ने भी चुनौती दी लेकिन उनको भी हार झेलनी पड़ी। मंदिर का सोना लूट लिया।
मुगल बादशाह के सैनिक मंदिर के अंदर पहुंचकर मंदिर को लूटने लगे। मंदिर में लगे दो सोने का कलश, फर्श में जड़ी सोने की गिन्नियां व सोने के घंटे व दरवाजे सब लूट लिए।इसके बाद मुगल बादशाह ने मंदिर को ध्वस्त करने का आदेश दिया। सैनिकों ने मंदिर पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया और इसके बाद सैनिक शिवलिंग को खोदने लगे और जब वह इसमें सफल नहीं हुए तो शिवलिंग पर आरा चलाकर काटने की कोशिश की।
शिवलिंग से निकली बर्रैयों ने किया हमला
बताते हैं कि जब शिवलिंग पर सैनिकों ने आरी चालाई तो पहले शिवलिंग से दूध की धारा बाहर निकलने और फिर असंख्य बर्रैया व ततैया निकल आयीं और उन्होंने मुगल बादशाह की फ़ौज पर हमला बोल दिया। जिसके बाद सैनिक भाग खड़े हुए। बरैया व ततैयों ने शुक्लापुर गांव तक फ़ौज का पीछा किया। शिवलिंग पर आरे का निशान आज भी देखा जा सकता है ।
विदेशों तक फैली है मंदिर की ख्याति
इस मंदिर की ख्याति विदेशों तक है। यहां देश के कोने-कोने से लोग पूजा करने आते ही हैं विदेशों से भी लोग इस मंदिर में दर्शन और मन्नत मांगने आते हैं। सावन के सोमवार को लाखों श्रदालु गंगा जल लाकर भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं। मान्यता है कि यंहा सच्चे मन से की गई मन्नत जरूर पूरी होती है। हालांकि इस सावन यह मंदिर आम लोगों के लिए बन्द है लेकिन क्षेत्रीय लोग यहां आकर पूजा अर्चना करते हैं।
Author: samachar
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