हरजिंदर सिंह की रिपोर्ट
जयपुर। तारपीन फैक्ट्री में लगी भीषण आग में 3 बच्चों सहित 4 लोग जिंदा जल गए हैं। आग बुझाने के प्रयास में अंदर घुसी सिविल डिफेंस की टीम के सामने रौंगटे खड़े कर देने वाला सीन था।
एक युवक के सीने से चिपके 2 बच्चे मिले। सभी जिंदा जल गए थे। जिसके सीने से बच्चे चिपके थे, वह कोई और नहीं, उनका चाचा रमेश था। वह एक बच्ची को सकुशल बाहर निकालने में कामयाब रहा, पर दूसरी बार अंदर गया था तो लौटा नहीं। 3 भतीजे अंदर आग में फंसे थे। उन्हीं को बचाने रमेश धधकती आग की परवाह किए बगैर फैक्ट्री में घुसा था।
दिल दहला देने वाली यह घटना जयपुर शहर से करीब 27 किलोमीटर दूर जमवारामगढ़ के धुलारावजी गांव में हुई। वहां तारपीन की फैक्ट्री में रविवार सुबह नौ बजे आग लग गई थी। हादसे के 15 घंटे बाद भी वहां रखे सामान सुलग रहे थे। हादसे में मालिक की पत्नी बुरी तरह से झुलस गई है।
जयपुर ग्रामीण एसपी मनीष अग्रवाल ने बताया कि एफएसएल की टीम सोमवार को मामले की जांच कर सबूत जुटाएगी। फैक्ट्री करीब पांच साल से चल रही थी। शंकरलाल ने खेत में ही घर के पास टीन शेड लगाकर अवैध रूप से फैक्ट्री बना रखी थी। फैक्ट्री से केमिकल टीन के छोटे डिब्बों में भर कर आसपास के इलाकों में सप्लाई किया जाता था। फैक्ट्री में कुछ मजदूर भी काम करते थे। रविवार होने के कारण वे आज नहीं आए थे।
फैक्ट्री के अंदर जाकर खेलने लगे बच्चे
रविवार का दिन होने के कारण शंकरलाल बाहर काम से गया हुआ था। घर पर उसकी पत्नी पार्वती, भाई व परिवार के बच्चे ही थे। बच्चे फैक्ट्री के अंदर जाकर खेलने लग गए। तभी केमिकल डिब्बे से बिखर गया और आग लग गई। धीरे-धीरे आग भभकने लगी। बच्चे एक हॉल के अंदर थे। आग लगने पर बच्चे घबरा गए। घर के बाहर फैक्ट्री मालिक का भतीजा रमेश खड़ा हुआ था। उसने आग देखी तो वह भाग कर फैक्ट्री में गया।
बच्चों को लेकर दरवाजे से बाहर नहीं निकल सका रमेश
हॉल का एक बड़ा कमरा फैक्ट्री के रूप में था। उसके अंदर ही केमिकल रखा हुआ था। रमेश अंदर पहुंचा तो आग फैलने लग गई। वह झट से अपनी भतीजी जिया को उठा कर बाहर ले गया। उसे बाहर छोड़ कर अंदर अंकुश व दिव्या को उठा कर ले जाने लगा। तभी सामने दरवाजे में आग लग गई। आग पूरी तरह से फैल गई। रमेश भी आग की चपेट में आ गया। सिविल डिफेंस टीम को रमेश व दोनों बच्चे दरवाजे की चौखट पर ही मिले। दोनों सीने से चिपके हुए थे।
बच्चों के शव देखकर आखों में आंसू
रमेश व दोनों बच्चों को देखकर सभी की आखों में आंसू आ गए। अंदर गरिमा का शव अलग से पड़ा हुआ था। सिविल डिफेंस के सदस्य महेंद्र ने बताया कि बच्चे करीब 70 फीसदी जल चुके थे। आग को देखकर परिवार के लोग भी पहुंचे। आग में गरिमा, अंकुश, दिव्या व रमेश की मौत हो चुकी है। वहीं जिया व पार्वती काफी झुलस गए हैं।
तेज धमाकों के साथ फटे सिलेंडर
फैक्ट्री के अंदर गैस के सिलेंडर भी रखे हुए थे। आग से सिलेंडर भी तेज धमाकों के साथ फट गए। आग की सूचना पर रविवार सुबह 11 सिविल डिफेंस के सदस्य, 8 फायर ब्रिगेड की गाड़ी पहुंची। आग बुझा कर रेस्क्यू करने में करीब 5 घंटे लग गए थे। आग पर काबू पाने के लिए फैक्ट्री की दीवार जेसीबी से तोड़ी गई।
Author: samachar
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