सुशील कुमार मिश्रा की रिपोर्ट
बांदा पुलिस ने 38 साल पुराने हत्या के मामले में फरार चल रहे एक आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। चौंकाने वाली बात यह है कि आरोपी साधु का भेष धारण कर चित्रकूट के फलहारी आश्रम में छिपकर रह रहा था। पुलिस अधीक्षक अंकुर अग्रवाल के निर्देश पर चलाए जा रहे विशेष अभियान के तहत थाना बिसंडा पुलिस ने यह कार्रवाई की।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, 30 जुलाई 1985 को बाबूलाल पुत्र सिकदार, निवासी पल्हरी, थाना बिसंडा, बांदा ने जमीन विवाद के चलते अपनी लाइसेंसी बंदूक से पड़ोसी की हत्या कर दी थी। इस हमले में एक अन्य व्यक्ति गंभीर रूप से घायल हो गया था। मामले की सुनवाई के बाद जिला एवं सत्र न्यायालय ने 28 जुलाई 1986 को बाबूलाल को आजीवन कारावास और 2000 रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई थी।
कैसे हुआ फरार?
बाद में उच्च न्यायालय ने बाबूलाल को सशर्त जमानत दे दी थी और समय-समय पर न्यायालय में उपस्थित होने के निर्देश दिए थे। हालांकि, आरोपी फरार हो गया और पुलिस के लिए पहेली बन गया।
38 साल बाद पुलिस के हाथ लगा सुराग
आखिरकार, बांदा एसपी ने क्षेत्राधिकारी बबेरु सौरभ सिंह के नेतृत्व में एक विशेष टीम का गठन किया। पुलिस टीम ने गुप्त सूचना के आधार पर आरोपी का सुराग लगाया और उसे सतना (मध्य प्रदेश) स्थित फलहारी आश्रम से गिरफ्तार कर लिया।
साधु बनकर छिपा था आरोपी
गिरफ्तारी के समय बाबूलाल साधु का भेष धारण कर अपनी असली पहचान छिपाए हुए था। इतने वर्षों तक वह चित्रकूट के आश्रम में छिपकर रह रहा था, लेकिन पुलिस की सतर्कता के चलते वह कानून के शिकंजे से बच नहीं सका।
यह मामला न केवल पुलिस की कुशलता को दर्शाता है, बल्कि यह भी साबित करता है कि अपराध करने के बाद कोई कितने भी सालों तक छिपा रहे, लेकिन कानून से बच नहीं सकता। बांदा पुलिस की यह कार्रवाई अपराधियों के लिए एक बड़ा संदेश है कि न्याय से बच पाना नामुमकिन है।
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Author: जगदंबा उपाध्याय, मुख्य व्यवसाय प्रभारी
जिद है दुनिया जीतने की