अंकिता की रिपोर्ट
आजमगढ़, शहर में बिकने वाला दूध अब मिलावट की चपेट में आ चुका है। खाद्य सुरक्षा विभाग की जांच में दूध के 72 में से 43 नमूने फेल पाए गए, जिससे दूध की शुद्धता और गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
खाद्य सुरक्षा विभाग की सख्ती, फिर भी मिलावट जारी
अप्रैल 2024 से जनवरी 2025 के बीच, खाद्य सुरक्षा विभाग ने दूध के 78 नमूने जांच के लिए फॉरेंसिक लैब भेजे। इनमें से 72 की रिपोर्ट आई, जिनमें 43 नमूने मानकों पर खरे नहीं उतरे। इतना ही नहीं, इस वर्ष दो मिलावटखोरों को तीन-तीन महीने की सजा और तीन-तीन हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया। बावजूद इसके, मिलावट का खेल थमने का नाम नहीं ले रहा।
स्वास्थ्य के लिए हानिकारक, पोषक तत्वों की कमी
दूध, जिसे स्वास्थ्य के लिए अमृत माना जाता है, वह अब अपने असली पोषक तत्वों से वंचित होता जा रहा है। मानकों के अनुसार, दूध में मौजूद वसा, प्रोटीन और खनिज तत्वों की एक निर्धारित मात्रा होनी चाहिए। लेकिन मिलावट के कारण, बाजार में उपलब्ध दूध में कृत्रिम सफेदी, पानी की अधिकता और फैट की कमी पाई जा रही है।
दूध से बने उत्पाद भी मिलावट की चपेट में
मिलावटी दूध का असर सिर्फ कच्चे दूध तक ही सीमित नहीं है, बल्कि खोवा, घी, पनीर और लस्सी जैसे दुग्ध उत्पादों की गुणवत्ता भी प्रभावित हो रही है। लोग पूरा पैसा चुकाने के बावजूद शुद्ध उत्पाद नहीं पा रहे।
बड़े ब्रांड भी शक के दायरे में
मिलावट का यह खेल सिर्फ स्थानीय डेयरियों और खुले दूध तक सीमित नहीं है, बल्कि नामी कंपनियों के पैकेटबंद दूध में भी गड़बड़ियां सामने आई हैं। अधिक मुनाफे की चाहत में, दूध में पानी की मिलावट, फैट की कमी और हानिकारक तत्वों का मिलाया जाना आम होता जा रहा है।
बीते छह वर्षों में 100 से अधिक नमूने फेल
खाद्य सुरक्षा टीम लगातार कार्रवाई कर रही है, लेकिन आंकड़े चिंताजनक हैं। पिछले छह वर्षों में सौ से अधिक नमूने जांच में फेल हो चुके हैं। हालिया जांचों से पता चला है कि हर साल एक तिहाई से अधिक सैंपल मानकों पर खरे नहीं उतरते।
समाधान और कड़े कदम उठाने की जरूरत
मिलावट को रोकने के लिए खाद्य सुरक्षा विभाग को और अधिक सख्ती बरतने की जरूरत है। आम जनता को भी सतर्क रहना होगा और शुद्धता की जांच के लिए एफएसएसएआई प्रमाणित दूध खरीदने पर जोर देना चाहिए। सरकार को सख्त कानून लागू कर मिलावटखोरों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करनी होगी, ताकि नागरिकों को शुद्ध और पौष्टिक दूध उपलब्ध हो सके।
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Author: जगदंबा उपाध्याय, मुख्य व्यवसाय प्रभारी
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