सर्वेश द्विवेदी की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश के जौनपुर में यूपी बोर्ड परीक्षा के दौरान नकाब उतारने को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया। सोमवार को हाईस्कूल की हिंदी परीक्षा के पहले सत्र में चार छात्राओं को नकाब नहीं उतारने पर परीक्षा देने से रोक दिया गया। परीक्षा केंद्र प्रशासन का कहना है कि प्रवेश पत्र से पहचान सुनिश्चित करने के लिए चेहरा दिखाना अनिवार्य था, जबकि छात्राओं ने इसे मानने से इनकार कर दिया।
कैसे शुरू हुआ विवाद?
खेतासराय स्थित मॉडर्न कॉन्वेंट स्कूल की चार छात्राओं की परीक्षा सर्वोदय इंटर कॉलेज, खुदौली में थी। चेकिंग के बाद परीक्षार्थियों को अंदर जाने की अनुमति दी जा रही थी। इसी दौरान नकाब पहनी चार छात्राएं जब परीक्षा हॉल में जाने लगीं, तो उन्हें रोक दिया गया।
परीक्षा केंद्र पर मौजूद शिक्षकों और अधिकारियों ने उन्हें समझाने की कोशिश की कि परीक्षा के दौरान चेहरा दिखाना आवश्यक है। हालांकि, छात्राओं ने इस शर्त को मानने से इनकार कर दिया और परीक्षा देने से मना कर दिया।
परिवार का क्या कहना है?
इन छात्राओं के पिता अहमदुल्लाह ने बताया कि उनके परिवार की 10 बच्चियों की परीक्षा थी। लेकिन परीक्षा में नकाब उतारने की शर्त के कारण पहले ही 6 लड़कियां परीक्षा देने नहीं गईं। बाकी 4 लड़कियों ने परीक्षा केंद्र जाकर नकाब में बैठने की अनुमति मांगी, लेकिन उन्हें इसकी इजाजत नहीं मिली।
उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि महिला शिक्षक द्वारा चेकिंग कराकर नकाब पहनने की अनुमति दी जाए, लेकिन परीक्षा केंद्र प्रशासन ने इससे साफ इनकार कर दिया।
विद्यालय प्रशासन का बयान
विद्यालय प्रबंधक अनिल कुमार उपाध्याय ने स्पष्ट किया कि परीक्षा केंद्र पर अन्य मुस्लिम छात्राएं भी आईं, जिन्होंने चेहरे की पहचान के बाद नकाब हटाकर परीक्षा दी। मगर इन चार छात्राओं ने परीक्षा देने से इनकार कर दिया।
वहीं, विद्यालय प्रिंसिपल दिनेश गुप्ता ने कहा कि परीक्षा के दौरान अटेंडेंस शीट से मिलान के लिए चेहरा दिखाना अनिवार्य है। चूंकि छात्राओं ने यह शर्त मानने से इनकार कर दिया, इसलिए उन्हें परीक्षा से वंचित कर दिया गया।
क्या कहता है नियम?
यूपी बोर्ड परीक्षा के नियमों के अनुसार, परीक्षार्थियों की पहचान सत्यापित करने के लिए चेहरे की मिलान प्रक्रिया आवश्यक है। इस मामले में भी प्रशासन ने इन्हीं नियमों के तहत कार्रवाई की।
जौनपुर में हुआ यह विवाद धार्मिक आस्था और परीक्षा नियमों के बीच टकराव का उदाहरण बन गया है। हालांकि, प्रशासन का कहना है कि परीक्षा की निष्पक्षता बनाए रखने के लिए यह प्रक्रिया जरूरी है, जबकि छात्राओं और उनके परिवार ने इसे आस्था से जोड़कर देखा। अब देखना यह होगा कि इस मुद्दे पर कोई समाधान निकलता है या नहीं।
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Author: जगदंबा उपाध्याय, मुख्य व्यवसाय प्रभारी
जिद है दुनिया जीतने की