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9 February 2025 5:28 am

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महाज्ञानी रावण का अहंकार चूर हो गया तो ये अखिलेश अवधेश क्या चीज हैं… मिल्कीपुर में सपा की हार की बड़ी वजह

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अंजनी कुमार त्रिपाठी की रिपोर्ट

अयोध्या। छह महीने पहले हुए लोकसभा चुनाव में फैजाबाद (अब अयोध्या) सीट से भाजपा को हराकर सबको चौंकाने वाले सपा नेता अवधेश प्रसाद इस बार मिल्कीपुर उपचुनाव में अपना करिश्मा नहीं दोहरा सके। यह चुनाव उनके लिए न केवल राजनीतिक बल्कि व्यक्तिगत प्रतिष्ठा का भी सवाल था, क्योंकि यहां से उनके बेटे अजीत प्रसाद समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रहे थे।

लोकसभा की जीत के बाद उपचुनाव पर नजर

मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर यह उपचुनाव अवधेश प्रसाद के लोकसभा सांसद बनने के कारण हुआ था। इससे पहले वह मिल्कीपुर के विधायक थे, लेकिन लोकसभा चुनाव जीतने के बाद यह सीट खाली हो गई, जिसके चलते उपचुनाव की जरूरत पड़ी।

लोकसभा में मिली अप्रत्याशित सफलता के बाद समाजवादी पार्टी और स्वयं अवधेश प्रसाद के लिए यह चुनाव सम्मान और वर्चस्व की लड़ाई बन गया था। दूसरी ओर, भाजपा के लिए यह सीट जीतना प्रतिशोध की तरह था, क्योंकि फैजाबाद में मिली हार ने उसे झटका दिया था।

भाजपा और सपा की जबरदस्त टक्कर

मिल्कीपुर उपचुनाव में भाजपा और सपा के बीच सीधी टक्कर देखी गई। भाजपा ने राम मंदिर, हिंदुत्व, राष्ट्रवाद और अयोध्या के विकास जैसे मुद्दों को आगे रखा, जबकि सपा ने पीडीए (पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक) गठजोड़ के सहारे चुनाव लड़ा। लोकसभा चुनाव में सपा को इस रणनीति से भारी सफलता मिली थी, जिससे पार्टी आत्मविश्वास से भरी हुई थी।

सपा के लिए इस चुनाव का महत्व इसलिए भी ज्यादा था क्योंकि खुद अखिलेश यादव ने लोकसभा में अवधेश प्रसाद की जीत का जिक्र करते हुए उन्हें “अयोध्या का राजा” कहकर सम्मानित किया था। भाजपा समर्थकों ने इसे भगवान राम का अपमान माना और इस चुनाव को अपनी प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया।

भाजपा ने किया पलटवार, अवधेश प्रसाद को झटका

जब चुनाव परिणाम सामने आया, तो सपा के लिए बड़ा झटका साबित हुआ। अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद को करारी हार का सामना करना पड़ा। भाजपा की जीत ने न केवल मिल्कीपुर बल्कि पूरे क्षेत्र में पार्टी कार्यकर्ताओं का उत्साह बढ़ा दिया।

भाजपा के युवा नेता एवं शिक्षाविद डॉ. अवधेश वर्मा ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा,

“अखिलेश यादव ने जिसे अयोध्या का राजा बताया था, जनता ने उसे जमीन दिखा दी।”

वहीं, भाजपा के समाजसेवी अभय सिंह ने कहा,

“अहंकार तो रावण का नहीं चला, तो अखिलेश और अवधेश का कैसे चलता? भगवान को चुनौती देने वालों का यही हश्र होता है।”

राजनीतिक समीकरण और भविष्य की दिशा

मिल्कीपुर उपचुनाव का परिणाम भाजपा के लिए बड़ी जीत और सपा के लिए बड़ी हार साबित हुआ। यह चुनाव यह भी दर्शाता है कि अयोध्या और आसपास के क्षेत्रों में राम मंदिर, हिंदुत्व और भाजपा की पकड़ मजबूत बनी हुई है।

अब सपा के लिए यह चुनौती होगी कि वह इस हार से सबक लेकर अपनी रणनीति में बदलाव करे। वहीं, भाजपा समर्थकों में उत्साह है कि फैजाबाद लोकसभा की हार का बदला उन्होंने इस उपचुनाव में ले लिया।

इस चुनाव के नतीजे ने स्पष्ट कर दिया कि अयोध्या की राजनीति में अभी भी भगवा लहर बरकरार है और भाजपा ने मिल्कीपुर में अपनी मजबूत पकड़ बना ली है।

मुख्य व्यवसाय प्रभारी
Author: मुख्य व्यवसाय प्रभारी

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