मोहन द्विवेदी
देश की अर्थव्यवस्था को लेकर बीते कुछ समय से कई प्रकार की चिंताएं जताई जा रही थीं। जीडीपी वृद्धि दर में गिरावट, रुपए का अवमूल्यन, बढ़ती मुद्रास्फीति, उपभोग में कमी, व्यापार घाटे में इजाफा और विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट जैसी चुनौतियों ने आर्थिक परिदृश्य को जटिल बना दिया था। इन चुनौतियों के बीच मध्यम वर्ग के करदाताओं को कर राहत देने की मांग भी तेज हो रही थी।
लेकिन, इन नकारात्मक संकेतकों के बावजूद देश की राजकोषीय सेहत मजबूत बनी रही। राजकोषीय घाटे में कमी, प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर संग्रह में वृद्धि, एनआरआई द्वारा भारी मात्रा में धन प्रेषण और निजी निवेश की बढ़ती घोषणाएं अर्थव्यवस्था में सकारात्मक संकेत दे रही थीं। इस वित्तीय मजबूती ने सरकार को मध्यम वर्ग, विशेष रूप से वेतनभोगी तबके, को कर राहत देने का अवसर प्रदान किया। इसी संदर्भ में वित्त मंत्री ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए एक लाख करोड़ रुपए की कर राहत की घोषणा की और 12 लाख रुपए वार्षिक (एक लाख रुपए मासिक) तक की आय को कर मुक्त कर दिया।
बजट 2025-26 की एक और अहम विशेषता यह रही कि इसमें कॉर्पोरेट टैक्स को लगभग अछूता छोड़ दिया गया है। यह कदम आर्थिक संतुलन बनाए रखने के उद्देश्य से उठाया गया प्रतीत होता है। आश्चर्यजनक रूप से, इतनी कर राहत देने के बावजूद बजट का कुल आकार 50 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गया, जो सरकार की वित्तीय मजबूती और दीर्घकालिक योजना का संकेत है।
विनिर्माण को बढ़ावा: आत्मनिर्भर भारत की दिशा में कदम
बजट 2025-26 में विनिर्माण क्षेत्र को खासतौर पर प्रोत्साहित किया गया है। हालांकि यह प्रोत्साहन किसी एक विशेष क्षेत्र तक सीमित नहीं है, लेकिन इसमें स्वच्छ तकनीक विनिर्माण (ग्रीन टेक मैन्युफैक्चरिंग) को प्राथमिकता दी गई है। पिछले कुछ वर्षों में इलेक्ट्रिक वाहनों, सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा और जलवायु अनुकूल तकनीकों को बढ़ावा देने के प्रयास किए गए हैं। इस बजट में विशेष रूप से लिथियम बैटरियों, इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए मोटरों और अन्य स्वच्छ तकनीकों के विनिर्माण को प्रोत्साहित किया गया है।
देश में वर्तमान में इलेक्ट्रिक वाहनों और सौर ऊर्जा से जुड़े उत्पादों के लिए बड़े पैमाने पर आयात पर निर्भरता है, जिससे आयात बिल बढ़ रहा है। इस स्थिति में यदि स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा नहीं दिया गया तो भविष्य में देश की ऊर्जा आवश्यकताएं विदेशी आपूर्ति पर निर्भर हो सकती हैं। ऐसे में, यह बजट आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम प्रतीत होता है।
इसके अतिरिक्त, एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) के लिए राष्ट्रीय विनिर्माण मिशन, स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने की योजनाएं और भारत को खिलौना निर्माण का वैश्विक केंद्र बनाने के प्रयास भी सराहनीय हैं।
कृषि क्षेत्र को सशक्त बनाने की पहल
बजट 2025-26 में कृषि क्षेत्र को मजबूती देने के लिए कई महत्वपूर्ण घोषणाएं की गई हैं। बिहार के किसानों के लिए मखाना बोर्ड की स्थापना की चर्चा हो रही है, जो स्थानीय कृषि उत्पादों को बाजार में उचित स्थान दिलाने में सहायक हो सकता है।
इसके अलावा, दालों में आत्मनिर्भरता बढ़ाने के लिए प्रयास किए गए हैं, जिससे भारत को आयात पर निर्भरता कम करने में मदद मिलेगी। कपास मिशन और खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए विशेष योजनाएं लाई गई हैं। ये सभी पहल ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत कर सकती हैं और किसानों की आय बढ़ाने में सहायक हो सकती हैं।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का यह कथन कि ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी पलायन अब मजबूरी नहीं बल्कि एक विकल्प हो सकता है, इस बजट की ग्रामीण केंद्रित नीतियों को दर्शाता है। सरकार का ध्यान ग्रामीण क्षेत्रों में आय बढ़ाने और आधारभूत सुविधाओं के विकास पर है, जिससे पलायन की प्रवृत्ति को रोका जा सके।
ग्रामीण-शहरी असमानता को कम करने की दिशा में प्रयास
भारत में शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों की आय में असमानता एक बड़ी चुनौती रही है। आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, मासिक प्रति व्यक्ति उपभोग व्यय (MPCP) का अंतर 84% से घटकर 70% रह गया है। यह संकेत देता है कि ग्रामीण क्षेत्रों में आय बढ़ाने के लिए किए गए प्रयास कुछ हद तक सफल रहे हैं।
बजट 2025-26 में इस प्रवृत्ति को और आगे बढ़ाने की योजना है। किसान क्रेडिट कार्ड की सीमा को 5 लाख रुपए तक बढ़ाना, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को प्रोत्साहन और ग्रामीण सड़कों, बिजली, पानी और स्वास्थ्य सेवाओं के लिए अतिरिक्त बजट आवंटन ग्रामीण भारत को आर्थिक रूप से सशक्त बना सकता है।
स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र को मजबूती
स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार के लिए बजट में 98,311 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है। जीवनरक्षक दवाओं पर सीमा शुल्क में छूट दी गई है, जिससे आवश्यक दवाएं सस्ती हो सकती हैं। इसके अलावा, मेडिकल कॉलेजों में सीटें बढ़ाने और डेकेयर कैंसर केंद्रों की स्थापना की योजनाएं भी स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूती देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं।
शिक्षा क्षेत्र में भी कुछ महत्वपूर्ण घोषणाएं की गई हैं। पीएम रिसर्च फेलोशिप योजना के तहत 10,000 छात्रवृत्तियों की घोषणा स्वागत योग्य है, लेकिन भारत की शिक्षा प्रणाली में सुधार की आवश्यकता बनी हुई है। सरकार को अनुसंधान और नवाचार पर ध्यान देना होगा, ताकि शिक्षा और उद्योग की जरूरतों के बीच सामंजस्य स्थापित किया जा सके।
उपभोक्ताओं को राहत : महंगाई पर नियंत्रण की कोशिश
इस बजट में कई उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतों में कमी लाने की कोशिश की गई है। इलेक्ट्रिक वाहनों को सस्ता करने से पर्यावरण संरक्षण को मजबूती मिलेगी, जबकि मोबाइल फोन, एलईडी लाइट्स और कपड़ों की कीमतों में कमी से करोड़ों उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी।
इसके अलावा, आवश्यक दवाओं को सस्ता करने के प्रयास किए गए हैं, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं की लागत में कमी आएगी। हालांकि, यह भी सच है कि किसी भी बजट की सफलता उसके कार्यान्वयन पर निर्भर करती है। यदि योजनाओं को जमीनी स्तर पर प्रभावी रूप से लागू किया जाता है, तो ही इन राहतों का वास्तविक लाभ जनता तक पहुंच सकेगा।
रोजगार और निजी निवेश : भविष्य की संभावनाएं
युवाओं को रोजगार देने के लिए सरकार ने कुछ महत्वपूर्ण प्रयास किए हैं। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि निजी क्षेत्र को प्रोत्साहित किए बिना बेरोजगारी की समस्या का समाधान संभव नहीं है।
बजट 2025-26 में निजी निवेश को बढ़ावा देने के संकेत मिले हैं। यदि सरकार सही नीतियों के साथ निवेश और उद्यमिता को समर्थन देती है, तो देश में रोजगार के अवसर बढ़ सकते हैं।
बजट 2025-26 कई मायनों में संतुलित और दूरदर्शी बजट कहा जा सकता है। मध्यम वर्ग को कर राहत, विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा, कृषि और ग्रामीण विकास पर ध्यान, स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र में सुधार के प्रयास और उपभोक्ताओं को राहत देने के उपाय इसे व्यापक और समावेशी बनाते हैं।
हालांकि, बजट की सफलता इस पर निर्भर करेगी कि नीतियों को कितनी प्रभावी तरीके से लागू किया जाता है। यदि योजनाओं का सही ढंग से क्रियान्वयन होता है, तो यह बजट भारत को आत्मनिर्भरता की दिशा में एक और मजबूत कदम साबित हो सकता है।

Author: मुख्य व्यवसाय प्रभारी
जिद है दुनिया जीतने की