ठाकुर बख्श सिंह की रिपोर्ट
मुरादाबाद। एक मां ही अपने बच्चे की सबसे बड़ी रक्षक होती है, लेकिन कांठ क्षेत्र में जो हुआ, उसने ममता को भी शर्मसार कर दिया।
आर्थिक तंगी और पारिवारिक तिरस्कार से जूझ रही एक महिला ने अपने डेढ़ साल के मासूम बेटे को मात्र 50 हजार रुपये में बेच दिया। सौदे के अनुसार पूरी रकम न मिलने पर उसने बेटे के अपहरण की झूठी कहानी गढ़कर पुलिस को गुमराह करने की कोशिश की। लेकिन पुलिस की सूझबूझ से साजिश बेनकाब हो गई, और मासूम को सुरक्षित बरामद कर लिया गया।
कैसे हुआ था अपहरण का नाटक?
जनपद बिजनौर के धामपुर स्थित मोहल्ला नई बस्ती की रहने वाली सोनी परवीन अपने डेढ़ वर्षीय बेटे मुहम्मद अर्श और चार साल की बेटी के साथ मंगलवार को कांठ पहुंची थी। वहां उसने पुलिस को बताया कि दो अज्ञात बाइक सवार युवक उसे काम दिलाने के बहाने अपने साथ ले गए और रास्ते में मनकुआं अड्डे के पास उसे धक्का देकर गिरा दिया, जबकि उसका बेटा उठा ले गए।
मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने तुरंत अपहरण की प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू कर दी। पूरे जिले की पुलिस को अलर्ट कर दिया गया और एसओजी टीम को भी जांच में लगा दिया गया। पुलिस ने कई संदिग्धों को हिरासत में लेकर पूछताछ की, लेकिन कोई ठोस सुराग नहीं मिला।
पुलिस को कब हुआ शक?
शुरुआत में पुलिस भी इसे एक सामान्य अपहरण का मामला मान रही थी, लेकिन सोनी परवीन की गतिविधियां लगातार संदेह पैदा कर रही थीं।
आमतौर पर, जब किसी मां का बच्चा लापता होता है, तो वह बेसुध हो जाती है, न कुछ खा पाती है, न चैन से बैठ पाती है। लेकिन सोनी परवीन पर इसका कोई असर नहीं था।
पुलिस ने उसकी हर हरकत पर नजर रखी। जब उसे खाना दिया गया, तो उसने बिना किसी झिझक के खा लिया। मिठाई और चाय भी खुशी-खुशी स्वीकार की। पूरे 12 घंटे तक पुलिस उसे परखती रही, लेकिन उसकी आंखों में आंसू तक नहीं आए। यही नहीं, उसके चेहरे पर चिंता की कोई लकीर भी नहीं थी। यह देखकर पुलिस को संदेह हुआ कि कुछ तो गड़बड़ है।
जब अधिकारियों ने उससे कड़ाई से पूछताछ की, तो उसने अपना जुर्म कबूल कर लिया।
50 हजार में हुआ था सौदा, 15 हजार में बेच दिया बेटा
पूछताछ में सोनी परवीन ने बताया कि उसने अपने बेटे को 50 हजार रुपये में बेचने का सौदा किया था। इस सौदे में अनिल निवासी साहूपुर मिलक, जनपद अमरोहा और सोनू उर्फ रोबिन सन गिल शामिल थे।
मंगलवार को योजना के अनुसार अनिल और सोनू बाइक से सोनी परवीन के पास पहुंचे। उन्होंने महिला और उसके दोनों बच्चों को बाइक पर बैठाया और थोड़ी दूर जाने के बाद उसे 15 हजार रुपये दे दिए। जब महिला ने 50 हजार रुपये की मांग की, तो दोनों युवकों से उसकी कहासुनी हो गई। युवकों ने बाकी पैसे बाद में देने का वादा किया और बच्चे को लेकर चले गए।
यहीं से यह साजिश शुरू हुई। जब तय रकम नहीं मिली, तो सोनी परवीन ने पुलिस में अपहरण की झूठी रिपोर्ट दर्ज करा दी।
बच्चे को तीसरे व्यक्ति को 70 हजार में बेच दिया गया
पुलिस जांच आगे बढ़ी, तो खुलासा हुआ कि अनिल और सोनू ने इस बच्चे को 70 हजार रुपये में बृजेश नाम के व्यक्ति को बेच दिया था। बृजेश जनपद अमरोहा के गजरौला थाना क्षेत्र के गांव अहरोला तेजवन का रहने वाला है।
बृजेश की पहले से पांच बेटियां थीं और वह एक बेटे की चाह में था। जब उसे यह मौका मिला, तो उसने पैसे देकर बच्चे को खरीद लिया।
पुलिस ने ऐसे पकड़ा आरोपितों को
जब पुलिस को इस मामले में कोई ठोस सुराग नहीं मिला, तो उसने फिर से सोनी परवीन से सख्ती से पूछताछ की। इस बार उसने उन सभी लोगों के नाम बता दिए, जिनसे सौदा हुआ था।
पुलिस ने मोबाइल लोकेशन के आधार पर अनिल और सोनू को गिरफ्तार कर लिया, लेकिन उनके पास बच्चा नहीं मिला। जब उनसे गहराई से पूछताछ की गई, तो उन्होंने बताया कि उन्होंने बच्चे को बृजेश को बेच दिया है।
इसके बाद पुलिस ने बृजेश को भी दबोच लिया और उसके पास से मासूम को सुरक्षित बरामद कर लिया।
पहले भी बेचने की कोशिश कर चुकी थी बेटा
यह पहली बार नहीं था, जब सोनी परवीन ने अपने बेटे को बेचना चाहा था। छह महीने पहले भी उसने बिजनौर में अपने बेटे को एक लाख रुपये में बेचने की कोशिश की थी, लेकिन पूरी रकम न मिलने के कारण सौदा नहीं हो पाया था।
चार शादियां कर चुकी थी महिला, अकेलेपन ने बनाया अपराधी
जांच में यह भी सामने आया कि सोनी परवीन अब तक चार शादियां कर चुकी थी। उसके चौथे पति की कुछ महीने पहले मौत हो गई थी। परिवार के अन्य सदस्य भी उससे संबंध नहीं रखते थे। अकेलेपन और आर्थिक तंगी के कारण उसने यह घिनौना कदम उठाया।
जब पैसे की जरूरत बढ़ गई, तो उसने अपने बेटे को ही बेचने का फैसला किया। लेकिन खरीदारों ने भी उसे पूरा पैसा नहीं दिया, जिसके बाद उसने अपहरण की झूठी कहानी बना दी।
चारों आरोपित जेल भेजे गए
पुलिस ने इस मामले में सोनी परवीन, अनिल, सोनू और बृजेश के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। सभी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है।
इस घटना ने न केवल मानवता को शर्मसार किया, बल्कि यह भी दिखाया कि लालच और मजबूरी किस हद तक किसी को गिरा सकती है। एक मां अपने ही मासूम बच्चे को बाजार में सामान की तरह बेचने को तैयार हो गई, जबकि एक व्यक्ति बेटे की चाहत में अपराधी बन गया। पुलिस की मुस्तैदी ने इस गुनाह को उजागर कर बच्चे को सुरक्षित बचा लिया, लेकिन यह सवाल छोड़ गया कि क्या समाज इस तरह के अपराधों को रोकने के लिए कोई ठोस कदम उठा सकता है?