चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश की अपराध की दुनिया में जब भी कुख्यात नामों की बात होती है, तो श्री प्रकाश शुक्ला का जिक्र जरूर आता है। यह वह नाम था, जिसने अपने खौफ से न सिर्फ उत्तर प्रदेश बल्कि बिहार तक में दहशत फैला रखी थी। अपराध की दुनिया में वह इतना बड़ा नाम बन चुका था कि उसे खत्म करने के लिए यूपी पुलिस को स्पेशल टास्क फोर्स (STF) का गठन करना पड़ा। श्री प्रकाश शुक्ला अपने दौर में अपराध जगत का ऐसा खिलाड़ी था, जिसने कानून-व्यवस्था को खुली चुनौती दी थी।
खून-खराबे का सिलसिला और अपराध की दुनिया में उदय
गोरखपुर का रहने वाला श्री प्रकाश शुक्ला शुरू से ही हिंसक प्रवृत्ति का था। कहा जाता है कि उसने पहली हत्या एक व्यक्तिगत दुश्मनी के कारण की थी। लेकिन इसके बाद उसका अपराध का सफर शुरू हो गया, और उसने कई हत्याएं, रंगदारी, फिरौती वसूली, और राजनीतिक हत्याओं को अंजाम दिया। अपराध की दुनिया में उसका सिक्का इस कदर चलने लगा कि वह एके-47 जैसी घातक हथियारों के साथ खुलेआम घूमता था।
बाहुबली सूरजभान सिंह का संरक्षण और ‘अशोक सिंह’ नाम
बिहार के बाहुबली सूरजभान सिंह के साथ उसकी करीबी दोस्ती थी। कहा जाता है कि सूरजभान को वह ‘दादा’ कहकर बुलाता था। इसी दौरान, श्री प्रकाश शुक्ला को एक नया नाम दिया गया—‘अशोक सिंह’। यह नाम उसकी पहचान छिपाने के लिए रखा गया था, लेकिन उसका आतंक इतना था कि नाम बदलने से भी कुछ फर्क नहीं पड़ा।
हरीशंकर तिवारी से अदावत और खौफ का साम्राज्य
पूर्वांचल में बाहुबल और राजनीति का गढ़ माने जाने वाले हरीशंकर तिवारी से भी उसकी अदावत चल रही थी। हरीशंकर तिवारी का नाम भी प्रदेश के बड़े बाहुबलियों में शुमार था, और ‘हाता’ नामक उनकी गढ़ी हुई सत्ता पूरे क्षेत्र में जानी जाती थी। कहा जाता है कि पूर्वांचल में संगठित गैंगवार की शुरुआत हरीशंकर तिवारी ने ही की थी। लेकिन जब श्री प्रकाश शुक्ला ने अपराध की दुनिया में कदम रखा, तो उसने हरीशंकर तिवारी के साम्राज्य को खुली चुनौती दी।
वरिष्ठ पत्रकार ज्ञानेश्वर बताते हैं कि एक समय ऐसा आया जब खुद हरीशंकर तिवारी को अपनी सुरक्षा की चिंता सताने लगी। वह अपने काफिले में दो मिनी बसों और कई गाड़ियों का काफिला लेकर चलते थे। यहां तक कि अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए वे अपनी गाड़ी में श्री प्रकाश शुक्ला के पिता को भी बैठाकर रखते थे। उन्हें भरोसा था कि जब तक उसके पिता साथ होंगे, तब तक श्री प्रकाश शुक्ला उन पर हमला नहीं करेगा। लेकिन इस अपराधी की मानसिकता को समझना आसान नहीं था। एक बार उसने हरीशंकर तिवारी को फोन कर सीधा धमकी दे दी— “तुम मेरे बाप को लेकर घूम रहे हो ना, तुम्हें जरूर गोली मारूंगा।”
स्टाइलिश और ब्रांडेड चीजों का शौकीन
IPS राजेश पांडेय के अनुसार, श्री प्रकाश शुक्ला सिर्फ अपराधी ही नहीं, बल्कि देखने में भी बेहद स्मार्ट और आकर्षक था। वह हमेशा महंगे और ब्रांडेड कपड़े पहनता था। स्टाइलिश जूते, चश्मे और विदेशी घड़ियों का उसे खास शौक था। वह आधुनिक हथियारों का शौकीन था और हमेशा अत्याधुनिक बंदूकों से लैस रहता था।
एसटीएफ का गठन और एनकाउंटर
उत्तर प्रदेश में श्री प्रकाश शुक्ला के बढ़ते आतंक के चलते पुलिस के लिए उसे पकड़ना एक बड़ी चुनौती बन गया था। वह इतना शातिर था कि किसी भी वारदात को अंजाम देने के बाद पुलिस को चकमा देकर आसानी से फरार हो जाता था। अंततः यूपी सरकार ने उसे खत्म करने के लिए एक विशेष टास्क फोर्स (STF) का गठन किया।
1998 में, जब STF को उसकी मौजूदगी की सूचना मिली, तो पुलिस टीम ने उसका पीछा किया। यह मुठभेड़ गाजियाबाद के इंदिरापुरम इलाके में हुई। पुलिस और श्री प्रकाश शुक्ला के बीच लंबी गोलीबारी हुई, जिसमें आखिरकार उसे मार गिराया गया।
अपराध की दुनिया का खौफनाक अध्याय समाप्त
श्री प्रकाश शुक्ला की मौत के साथ ही उत्तर प्रदेश के अपराध जगत का एक बड़ा अध्याय समाप्त हो गया। हालांकि, उसके नाम की दहशत अभी भी कई लोगों के जेहन में जिंदा है। वह अपराध की दुनिया में उस दौर का चेहरा था, जिसने अपनी सनक और हिंसा से पूरे प्रदेश को हिला कर रख दिया था।
श्री प्रकाश शुक्ला की कहानी सिर्फ अपराध की नहीं, बल्कि सत्ता, बाहुबल और पुलिस के संघर्ष की भी है। उसका अंत यह दिखाता है कि चाहे अपराधी कितना भी ताकतवर क्यों न हो, उसका अंजाम अंततः बुरा ही होता है।