संजय कुमार वर्मा की रिपोर्ट
गोरखपुर में बीबीए की तैयारी करने वाले शिवम निषाद और कोचिंग चलाने वाले राजन साहनी ने साइबर अपराध के जरिए रामगढ़ताल स्थित लेक क्वीन क्रूज की वेबसाइट हैक कर फर्जी तरीके से टिकट बुक कर पार्टी की। रामगढ़ताल पुलिस और एसटीएफ ने मिलकर दोनों को नौकायान के पास से गिरफ्तार किया।
आरोपियों का परिचय
शिवम निषाद पीपीगंज के वार्ड नंबर तीन बगहीभारी का रहने वाला है। पहले वह नीट की तैयारी करता था, लेकिन असफलता के बाद अब बीबीए की पढ़ाई कर रहा है। वहीं, राजन साहनी उरुवा बाजार के गोहलिया का निवासी है और कोचिंग चलाता है।
अपराध का तरीका
शिवम ने ब्रूप स्वीट कम्युनिटी एडिशन एप की मदद से लेक क्वीन क्रूज की वेबसाइट हैक कर ली। इसके बाद उसने फर्जी तरीके से 27 दिसंबर को राजन के यूपीआई नंबर से 3000 रुपये का टिकट केवल 1 रुपये में बुक किया। उसी दिन क्रूज पर जाकर पार्टी की। इसके बाद 31 दिसंबर को चार टिकट (कुल 12,000 रुपये की कीमत) भी 1 रुपये में बुक कर पार्टी की।
पकड़ में कैसे आए आरोपी?
31 दिसंबर को पार्टी के बाद जब क्रूज संचालक ने अगले दिन अपने साफ्टवेयर मैनेजर से खातों की जांच कराई तो फर्जीवाड़े का पता चला। साफ्टवेयर में टिकट बुकिंग सफल दिख रही थी और भुगतान कन्फर्म नजर आ रहा था, लेकिन असल में प्रत्येक टिकट का केवल 1 रुपये ही क्रूज के खाते में जमा हुआ था।
संचालक ने पुलिस को सूचना दी। सीसीटीवी फुटेज की मदद से आरोपियों की पहचान की गई और रामगढ़ताल पुलिस व एसटीएफ ने शिवम और राजन को गिरफ्तार कर लिया।
गिरफ्तारियों के दौरान बरामदगी
गिरफ्तारी के वक्त शिवम के पास से एक लैपटॉप और 1.5 लाख रुपये की कीमत का एप्पल मोबाइल फोन बरामद किया गया, जिसे उसने ऑनलाइन फ्रॉड के जरिए अर्जित धन से खरीदा था। पुलिस ने शिवम के अन्य ऑनलाइन लेनदेन की भी जांच शुरू कर दी है।
टेलीग्राम ग्रुप “लिंक हंटर” की भूमिका
शिवम ने टेलीग्राम पर “लिंक हंटर” नामक एक ग्रुप से जुड़कर इस फर्जीवाड़े का तरीका सीखा। इस ग्रुप में कई कंपनियों की वेबसाइट के लिंक साझा किए जाते थे, जिनके जरिए सस्ते में टिकट बुक करने का दावा किया जाता था। पुलिस अब इस ग्रुप के अन्य सदस्यों और इसके संचालकों का पता लगाने के लिए टेलीग्राम से उपयोगकर्ता आईडी और आईपी एड्रेस की जानकारी मांग रही है।
परिवार की प्रतिक्रिया
गिरफ्तारी के बाद शिवम और राजन के परिवार वालों ने दुख जताया। शिवम के पिता, जो मजदूरी करके परिवार का भरण-पोषण करते हैं, ने कहा कि उनका बेटा उनके हाथ से निकल गया है और महंगी चीजों का शौक पाल लिया था।
आगे की जांच
पुलिस ने दो अन्य युवकों पर भी इस फर्जीवाड़े में शामिल होने का शक जताया है। हालांकि, अभी उनके खिलाफ ठोस सबूत नहीं मिले हैं। पुलिस जांच पूरी होने पर उनकी गिरफ्तारी भी संभव है।
गोरखपुर का यह मामला साइबर अपराध के बढ़ते खतरे की ओर इशारा करता है। पुलिस अब न केवल इस मामले की तह तक जाने में जुटी है, बल्कि ऐसी गतिविधियों को रोकने के लिए तकनीकी उपायों पर भी ध्यान केंद्रित कर रही है।
Author: samachar
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