ठाकुर बख्श सिंह की रिपोर्ट
रायबरेली जिले में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने हाल ही में मंडल अध्यक्षों और जिला प्रतिनिधियों की सूची जारी की है। इस सूची में 22 मंडल अध्यक्षों और 22 जिला प्रतिनिधियों के नाम शामिल हैं, लेकिन इस लिस्ट में एक नाम ऐसा है, जो अब इस दुनिया में नहीं है। यह नाम है संजय मौर्य का, जिन्हें जिला प्रतिनिधि बनाया गया है। संजय मौर्य की मृत्यु 18 मई 2022 को हो चुकी थी, और इस तरह बीजेपी की इस लिस्ट में उनका नाम शामिल होने से पार्टी के पदाधिकारियों की संवेदनहीनता पर सवाल उठने लगे हैं।
समाज में यह खबर तेजी से फैल रही है और लोग इस बात पर हैरान हैं कि बीजेपी के जिला अध्यक्ष और उनके पदाधिकारी यह तक नहीं जान पाए कि उनका कोई नेता अब जीवित नहीं है और फिर भी उसे जिम्मेदारी दे दी गई। यह घटना खासतौर पर पार्टी के कार्यकर्ताओं और नेताओं के बीच चर्चा का विषय बन गई है, क्योंकि यह दिखाता है कि पार्टी की प्रशासनिक व्यवस्था में कितनी लापरवाही हो सकती है।
यह सूची बीजेपी प्रदेश कमेटी द्वारा जारी की गई है, और इस लिस्ट को पूर्व प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडेय की संस्तुति पर अंतिम रूप दिया गया है। मंडल अध्यक्ष चुनाव की जिम्मेदारी राकेश मिश्रा के पास थी, जबकि पीयूष मिश्रा और प्रदेश महामंत्री संजय राय की देखरेख में यह चुनाव संपन्न हुआ था। मंडल अध्यक्षों की नियुक्तियों में जातीय समीकरणों को ध्यान में रखने की कोशिश की गई, लेकिन इसमें यादव बिरादरी को पूरी तरह से दरकिनार किया गया। इसके अलावा ओबीसी वर्ग के अन्य जातियों को भी कम प्रतिनिधित्व मिला है, जिससे लोगों में नाराजगी है।
सबसे बड़ी बात यह है कि मृतक संजय मौर्य को यह जिम्मेदारी दिए जाने से यह सवाल उठता है कि क्या बीजेपी ने सिर्फ नाम देखकर ही पदों की जिम्मेदारी सौंपी है। पार्टी के इस कदम को जातीय वोट बैंक साधने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है, लेकिन सवाल यह है कि क्या इस तरह की लापरवाही से पार्टी की छवि पर असर नहीं पड़ेगा।
बीजेपी के भीतर इस मुद्दे को लेकर विरोध और नाराजगी बढ़ रही है, खासकर वैश्य समाज से। सोशल मीडिया पर बीजेपी नेता राकेश गुप्ता ने लिखा है कि पार्टी ने वैश्य समाज को पूरी तरह से नजरअंदाज किया है, क्योंकि जिले में मंडल अध्यक्ष के पद पर वैश्य समाज से एक भी व्यक्ति को नहीं चुना गया है। उन्होंने इसे पार्टी की नीतियों और प्रशासनिक व्यवस्था की बड़ी खामी बताया है। व्यापारी नेता अतुल गुप्ता ने भी इस मामले पर नाराजगी जताते हुए कहा कि जनपद में बीजेपी के लोग अपनी पार्टी को बर्बाद करने में लगे हैं और प्रदेश संगठन को इस पर पुनः विचार करना होगा।
इस पूरे घटनाक्रम ने बीजेपी के अंदर असंतोष की हवा को तेज कर दिया है और यह मामला पार्टी की केंद्रीय कमेटी और प्रदेश संगठन के लिए एक बड़ी चुनौती बन चुका है।
Author: samachar
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