कमलेश कुमार चौधरी की रिपोर्ट
लखनऊ, उत्तर प्रदेश की राजधानी, इन दिनों अवैध झुग्गी बस्तियों के मुद्दे को लेकर चर्चा में है। शहर के कई इलाकों में बड़ी संख्या में अवैध झोपड़ियां बसी हुई हैं, जिनसे स्थानीय निवासियों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। रविवार को इंदिरानगर इलाके में झुग्गी हटाने पहुंची लखनऊ नगर निगम की टीम को भारी विरोध का सामना करना पड़ा। हालात इस कदर बिगड़े कि पांच थानों की फोर्स और पीएसी को बुलाना पड़ा। इसके बाद बुलडोजर की मदद से अवैध झुग्गियों को जमींदोज कर दिया गया।
गोविंद विहार कॉलोनी के पीछे बसी अवैध बस्ती
इस्माइलगंज द्वितीय वॉर्ड के गोविंद विहार कॉलोनी के पीछे एक और बड़ी समस्या बनी हुई है। यहां पर प्राइवेट कूड़ा उठाने वाले लोगों ने अवैध रूप से झुग्गी बस्ती बसा रखी है। लगभग 150 झोपड़ियों में 10,000 से अधिक लोग रह रहे हैं। स्थानीय निवासियों का कहना है कि इन बस्तियों में कई संदिग्ध गतिविधियां भी होती हैं, जिससे इलाके में असुरक्षा का माहौल बना हुआ है।
शिकायतों के बावजूद कार्रवाई नहीं
गोविंद विहार ट्रस्ट के मुख्य ट्रस्टी विनोद कुमार कुशवाहा ने बताया कि इंदिरानगर थाने के पीछे नगर निगम की टीम पर हमले के बाद वहां की झुग्गियां तुरंत हटा दी गईं। लेकिन गोविंद विहार के पास की अवैध बस्तियों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही है। यह बस्ती बिजली और पानी जैसी सुविधाओं का अवैध उपयोग कर रही है। स्थानीय निवासियों ने इस संबंध में सीएम पोर्टल, पुलिस आयुक्त और नगर आयुक्त से शिकायतें कीं, लेकिन अब तक केवल खानापूर्ति की गई है।
अराजक तत्वों का जमावड़ा और बढ़ता अपराध
स्थानीय लोगों के मुताबिक, इन बस्तियों में अक्सर अराजकतत्वों का जमावड़ा लगता है। यहां रहने वाले लोग नियमित रूप से कूड़ा जलाते हैं, जिससे वायु प्रदूषण भी बढ़ रहा है। इसके अलावा, झगड़े और मारपीट की घटनाएं आम हैं। इन अवैध गतिविधियों से कॉलोनी के आसपास रहने वाले लोगों को सुरक्षा का खतरा महसूस होता है।
स्थानीय निवासियों की मांग
गोविंद विहार कॉलोनी के निवासियों ने एक बार फिर मेयर और नगर आयुक्त से अपील की है कि इन झुग्गियों को जल्द से जल्द हटवाया जाए। उनका कहना है कि यदि समय पर कार्रवाई नहीं हुई तो समस्या और गंभीर हो सकती है।
निगम और प्रशासन की भूमिका सवालों के घेरे में
इस पूरे मामले में नगर निगम और पुलिस की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं। निवासियों का आरोप है कि अधिकारियों ने अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। केवल औपचारिक जांच के नाम पर पूछताछ की गई और फिर मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।
झुग्गी बस्तियों के इस बढ़ते मुद्दे ने प्रशासन की कार्यशैली और लापरवाही पर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्थानीय लोग इस समस्या का जल्द समाधान चाहते हैं, ताकि उन्हें सुरक्षित और स्वच्छ वातावरण मिल सके।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."