जगदंबा उपाध्याय की रिपोर्ट
आजमगढ़। वरिष्ठ निर्देशक सुदीप चक्रवर्ती के निर्देशन में प्रसिद्ध रूसी नाटककार अलेक्सी द्वारा लिखित नाटक “ओल्ड वर्ल्ड” का हिंदी रूपांतरण “हम-तुम” का मंचन संगीत नाटक अकादमी के वाल्मीकि प्रेक्षागृह में किया गया। यह नाटक जीवन के हर पड़ाव पर प्रेम और मित्रता के महत्व को दर्शाता है।
नाटक का कथानक
“हम-तुम” की कहानी दो वृद्ध व्यक्तियों के बीच एक अनोखे प्रेम संबंध पर आधारित है। नाटक की पृष्ठभूमि एक सैनिटोरियम (स्वास्थ्य केंद्र) है, जहां 61 वर्षीय डॉक्टर सरदार भुल्लर सिंह अपने एकाकी जीवन में मरीजों के साथ व्यस्त रहते हैं। उनकी पत्नी का निधन हो चुका है, और उनकी बेटी जो बैंगलोर में रहती है, उनसे शायद ही कभी मिलने आती है।
एक दिन, 55 वर्षीय उत्साही और स्वतंत्र विचारों वाली महिला सरिता सैनिटोरियम में भर्ती होती हैं। उनकी जीवंतता और चंचलता डॉक्टर भुल्लर के शांत जीवन में एक हलचल पैदा कर देती है। प्रारंभ में, डॉक्टर भुल्लर उनकी चंचलता से परेशान होते हैं, लेकिन धीरे-धीरे सरिता के जीवन के प्रति उत्साह और सकारात्मक दृष्टिकोण से प्रभावित होकर उनके प्रति आकर्षित हो जाते हैं।
यह नाटक दिखाता है कि जीवन के किसी भी पड़ाव पर प्रेम और मित्रता संभव है। डॉक्टर भुल्लर और सरिता के बीच विकसित हुआ गहरा संबंध दर्शकों को यह संदेश देता है कि उम्र केवल एक संख्या है, और जीवन को हर क्षण जीने का आनंद लेना चाहिए।
कलाकार और प्रस्तुति
नाटक में: डॉक्टर भुल्लर सिंह की भूमिका गोविंद सिंह यादव ने निभाई। सरिता की भूमिका सुगंधा पांडे ने जीवंत तरीके से प्रस्तुत की।
नाटक के अन्य महत्वपूर्ण योगदानकर्ता, रूपांतरण: राहिल भारद्वाज, प्रकाश व्यवस्था: विवेक राणा, संगीत: राहुल शर्मा, सेट डिजाइन: विवेक राणा और विक्रम कटियार, पोस्टर डिजाइन: गोविंद सिंह यादव
दर्शकों की प्रतिक्रिया
नाटक के दौरान प्रेक्षागृह दर्शकों से खचाखच भरा रहा। दर्शकों में बुजुर्ग, महिलाएं, बच्चे और युवा शामिल थे। दुबई से आए इ. रविदत्त, उत्कर्ष, आयुष, और लखीमपुर खीरी के डॉ. भानु प्रताप सिंह “पेले”, राम अचल, प्रमोद कुमार जैसे गणमान्य व्यक्तियों ने भी नाटक का आनंद लिया।
वरिष्ठ नागरिक और समाजसेवी प्राग दत्त, राम नारायण, चंद्रसेन भारती, रमेश मनोरमा, और शक्ति कृष्ण त्रिपाठी सहित कई दर्शकों ने नाटक की प्रस्तुति की भूरि-भूरि प्रशंसा की।
नाटक का महत्व
निर्देशक सुदीप चक्रवर्ती, जो स्वयं एक वरिष्ठ नागरिक हैं, ने इस नाटक के माध्यम से जीवन के किसी भी पड़ाव पर सक्रिय और सकारात्मक बने रहने का संदेश दिया। नाटक का मंचन इमेन्स आर्ट एंड कल्चर सोसाइटी और रामादेवी चैरिटेबल ट्रस्ट के सहयोग से किया गया।
नाटक ने न केवल प्रेम और मित्रता की गहराई को छुआ, बल्कि दर्शकों को यह प्रेरणा भी दी कि जीवन का हर पल अनमोल है और इसे खुलकर जीना चाहिए।