कमलेश कुमार चौधरी की रिपोर्ट
लखनऊ की ग्राम पंचायत नीवा में एक अप्रत्याशित घटना के दौरान भारी विवाद खड़ा हो गया, जब सरकारी भूमि पर गोविंद रावत का शव दफनाने का प्रयास किया गया। परिजनों और ग्रामीणों ने शव दफनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी थी, लेकिन तभी स्वर्गीय गोविंद रावत की सगी चाची अनीता रावत मौके पर पहुंचीं और विरोध जताते हुए शव को निकालने की जिद करने लगीं।
घटनाक्रम का विवरण
गोविंद रावत की मृत्यु के बाद उनके परिवार और ग्राम पंचायत के लोग अंतिम संस्कार के लिए एकत्र हुए। उन्होंने ग्राम पंचायत की सरकारी भूमि पर गड्ढा खोदकर शव को आधा दफना दिया। इसी बीच अनीता रावत, जो एक राजनीतिक महिला हैं, वहां पहुंचीं और उक्त भूमि पर अपना दावा जताते हुए शव को दफनाने से मना कर दिया।
स्थिति बिगड़ती देख ग्रामीणों में आक्रोश फैल गया और तीन थानों की पुलिस को बुलाया गया। पुलिस प्रशासन ने अनीता रावत को समझाने का हर संभव प्रयास किया, लेकिन वह अपनी जिद पर अड़ी रहीं। अंततः नायब तहसीलदार के हस्तक्षेप और निर्देश के बाद शव को दफनाया गया।
राजनीतिक पृष्ठभूमि
अनीता रावत भारतीय जनता पार्टी की पूर्व प्रत्याशी हैं और केंद्रीय मंत्री कौशल किशोर के संरक्षण में क्षेत्र में अपनी राजनीतिक पकड़ बनाए रखने की कोशिश कर रही हैं। उनके पति का कई वर्ष पहले निधन हो चुका है, और परिवारिक विवादों के चलते उनका परिजनों से कोई संबंध नहीं है।
सामाजिक और प्रशासनिक पहलू
घटना के दौरान समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष और अन्य कार्यकर्ताओं ने मौके पर पहुंचकर पीड़ित परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की और शव का अंतिम संस्कार सुनिश्चित कराने में मदद की। ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि खाली पड़ी सरकारी भूमि को श्मशान घाट के रूप में आवंटित किया जाए।
नायब तहसीलदार ने आश्वासन दिया कि ग्राम प्रधान के प्रस्ताव को उपजिलाधिकारी सरोजिनी नगर को भेजा जाएगा ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचा जा सके।
यह घटना परिवारिक विवाद और राजनीतिक हस्तक्षेप के चलते प्रशासनिक लाचारी का उदाहरण बन गई। ग्रामीणों की मांग पर ध्यान देकर अगर श्मशान घाट का आवंटन होता है, तो ऐसे विवादों से बचा जा सकेगा।