कमलेश कुमार चौधरी की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश के झांसी जिले में महिला पुलिसकर्मियों ने देश सेवा के अपने कर्तव्यों के बीच करवाचौथ का त्योहार पूरी श्रद्धा और उत्साह से मनाया। इस बार, ड्यूटी के चलते घर पर त्योहार की तैयारी संभव न हो पाने के कारण उन्होंने थाने में ही समय निकालकर एक-दूसरे के हाथों में मेहंदी रचाई और पारंपरिक गीत गुनगुनाए। ये महिला पुलिसकर्मी, जिनमें सिपाही से लेकर थानेदार और एसएसआई तक शामिल थीं, न केवल अपनी ड्यूटी पर पूरी निष्ठा से तैनात रहीं बल्कि करवाचौथ के पारंपरिक उत्सव को भी जीवित रखा।
महिला थाना प्रभारी किरन रावत ने बताया कि ड्यूटी के बीच में भी वे अपनी परंपराओं का पालन करती हैं। परिवार परामर्श केंद्र पर तैनात रहने के दौरान, जब थोड़ी सी फुर्सत मिली, तो सभी महिला पुलिसकर्मियों ने मेहंदी लगवानी शुरू कर दी। उन्होंने बताया कि सभी विवाहित महिलाएं करवाचौथ का व्रत रखती हैं और अपने पतियों की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करती हैं। किरन रावत ने अपने पति के प्रति अपने प्रेम को व्यक्त करते हुए कहा, “जिंदगी में कुछ न मिले तो क्या गम है, आप जैसा हमसफर मिला ये क्या कम है।”
ड्यूटी पर तैनात महिला सिपाहियों ने भी इसी भावना को दोहराया। एक महिला सिपाही ने कहा कि उनकी पहली प्राथमिकता हमेशा ड्यूटी होती है, लेकिन त्योहार भी महत्वपूर्ण है। इसलिए, ड्यूटी के दौरान जो भी समय मिलता है, उसी में वे त्योहार की तैयारी करती हैं। परिवार परामर्श केंद्र की ड्यूटी समाप्त होने के बाद, उन्होंने थाने में ही मेहंदी लगवाई। उनके अनुसार, ड्यूटी और परंपरा दोनों को निभाने का यह तरीका संतोषजनक है।
इन महिला पुलिसकर्मियों का यह जुनून और समर्पण न केवल देश सेवा के प्रति उनकी निष्ठा को दर्शाता है, बल्कि यह भी प्रमाणित करता है कि वे अपने व्यक्तिगत और पारिवारिक जीवन को भी पूरी गरिमा और आदर के साथ निभाती हैं। करवाचौथ जैसे पारंपरिक त्योहार को मनाने की उनकी यह भावना इस बात का उदाहरण है कि कर्तव्य और परंपरा, दोनों को एक साथ निभाया जा सकता है।
करवाचौथ महिलाओं के लिए एक विशेष पर्व है, जहां वे पूरे दिन उपवास रखकर अपने पतियों की लंबी उम्र और स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना करती हैं। आज की महिला पुलिसकर्मियों ने दिखाया कि चाहे कोई भी जिम्मेदारी हो, वे अपने पारिवारिक कर्तव्यों को भी पूरी श्रद्धा से निभाने का सामर्थ्य रखती हैं।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."