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December 14, 2024 6:07 am

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कांग्रेस से राकांपा तक का सफर : बाबा बाबा की हत्या से राजनीतिक हलकों में उथल-पुथल

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टिक्कू आपचे की रिपोर्ट

पूर्व मंत्री बाबा बाबा की हत्या शनिवार रात को मुंबई के खीरनगर इलाके में कर दी गई, जिससे देश के राजनीतिक और बॉलीवुड जगत में शोक की लहर दौड़ गई। बाबा बाबा, जो कभी महाराष्ट्र सरकार में खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति, श्रम एवं एफ.डी.ए. राज्य मंत्री के रूप में कार्यरत थे, का जीवन संघर्ष और राजनीतिक उथल-पुथल से भरा रहा। वह राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता थे और कई बार विधायक और नगर निगम प्रबंधन का पद संभाल चुके थे।

66 वर्षीय बाबा बाबा का जीवन केवल राजनीति तक सीमित नहीं था; वह मुंबई की फिल्म इंडस्ट्री में भी एक लोकप्रिय नाम थे। उनकी नजदीकियों में सलमान खान, शाहरुख खान, और संजय दत्त जैसे बॉलीवुड के बड़े सितारे शामिल थे। उन्होंने कोविड-19 महामारी के दौरान आदिवासी इलाकों में आवश्यक औषधियों की व्यवस्था की थी, जिससे उनका मानवीय पक्ष भी सामने आया। साथ ही, रमजान के महीने में भव्य इफ्तार पार्टियों के आयोजन में भी उनकी भागीदारी महत्वपूर्ण थी, जहां बॉलीवुड के कई सितारे शरीक होते थे।

बाबा बाबा का राजनीतिक सफर कांग्रेस से शुरू हुआ, लेकिन इस साल फरवरी में उन्होंने कांग्रेस छोड़कर राकांपा का दामन थाम लिया। हालांकि, उन्होंने कांग्रेस छोड़ने का स्पष्ट कारण नहीं बताया, उन्होंने इतना ही कहा कि कुछ बातें अनकही ही अच्छी होती हैं। बाबा बाबा का कांग्रेस से रिश्ता इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, और संजय गांधी के समय से चला आ रहा था। वर्तमान कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को वह अपने पिता के समान मानते थे।

उनकी हत्या शनिवार रात करीब साढ़े नौ बजे कोलगेट ग्राउंड के पास उनके बेटे जीशान के ऑफिस के बाहर तीन हमलावरों द्वारा की गई। उन्हें लीलावती अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। उनके बेटे जीशान वर्तमान में मुंबई से कांग्रेस के नेता हैं और अपने पिता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं।

बाबा बाबा की मौत न केवल एक राजनीतिक क्षति है, बल्कि बॉलीवुड और समाज में भी उनके असाधारण योगदान को याद किया जाएगा।

पूर्व मंत्री बाबा बाबा की हत्या से जुड़े और पहलुओं पर ध्यान दिया जाए तो, उनका राजनीतिक जीवन महाराष्ट्र में कांग्रेस और राकांपा के बीच गहरे जुड़ाव और अंतर्विरोधों का प्रतीक था। वह तीन बार विधायक चुने गए, जिनमें 1999, 2004, और 2009 शामिल हैं, और उन्होंने 2004 से 2007 तक राज्य सरकार में खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति, श्रम, और एफ.डी.ए. के राज्य मंत्री के रूप में कार्य किया। इसके अलावा, उन्होंने दो बार मुंबई नगर निगम में नगर प्रबंधन का नेतृत्व किया, जिससे उनकी राजनीतिक पकड़ शहर के विभिन्न स्तरों पर मजबूत हो गई थी।

उनका कांग्रेस के साथ लंबा नाता था, जिसे उन्होंने इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के समय से संजोया था। उन्होंने एक बार कहा था, “इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, और संजय गांधी के साथ मेरे रिश्ते बहुत पुराने और गहरे हैं।” यही कारण था कि मल्लिकार्जुन खड़गे, जो वर्तमान में कांग्रेस अध्यक्ष हैं, को बाबा बाबा अपने पिता समान मानते थे। हालांकि, पार्टी छोड़ने का कारण उन्होंने कभी स्पष्ट रूप से नहीं बताया, उन्होंने यह जरूर कहा कि “कुछ बातें अनकही ही बेहतर होती हैं।” फरवरी 2024 में, उन्होंने कांग्रेस से नाता तोड़कर राकांपा का दामन थामा था, जिससे राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई थी।

राजनीति के अलावा बाबा बाबा का सामाजिक और सांस्कृतिक योगदान भी उल्लेखनीय रहा। कोविड-19 महामारी के चरम समय में, उन्होंने आदिवासियों के लिए आवश्यक औषधियों की व्यवस्था करवाई थी, जिससे न केवल उनका सामाजिक दायित्व सामने आया, बल्कि यह भी स्पष्ट हुआ कि वह समाज के हर वर्ग की भलाई के लिए काम करने वाले नेता थे। इसके अलावा, रमजान के महीने में आयोजित उनके भव्य इफ्तार पार्टी का आयोजन बॉलीवुड सितारों के लिए एक विशेष आकर्षण था। बाबा बाबा और बॉलीवुड के बीच के रिश्ते ने उन्हें एक अलग पहचान दी थी, खासतौर से सलमान खान, शाहरुख खान, और संजय दत्त के साथ उनकी करीबी दोस्ती के कारण।

उनकी हत्या के मामले में पुलिस जांच अभी जारी है, और हमलावरों के बारे में फिलहाल अधिक जानकारी सामने नहीं आई है। तीन अज्ञात हमलावरों ने उनके बेटे जीशान के कार्यालय के बाहर गोली मारकर उनकी हत्या कर दी थी। जीशान बाबा बाबा के राजनीतिक उत्तराधिकारी हैं और वर्तमान में मुंबई से कांग्रेस के नेता हैं। उनके पिता की हत्या के बाद, मुंबई के मुस्लिम बहुल इलाकों में राकांपा को एक विशेष बढ़ावा मिलने की उम्मीद की जा रही थी, लेकिन यह घटना पार्टी के लिए एक झटका साबित हो सकती है।

बाबा बाबा की हत्या से राजनीतिक और सामाजिक हलकों में गहरा सदमा पहुंचा है। न केवल राकांपा, बल्कि कांग्रेस, बॉलीवुड, और मुंबई के विभिन्न सामाजिक वर्गों में उनकी लोकप्रियता के कारण उन्हें एक विशाल नेता के रूप में याद किया जाएगा।

कार्यकारी संपादक, समाचार दर्पण 24
Author: कार्यकारी संपादक, समाचार दर्पण 24

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