जगदंबा उपाध्याय की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसमें पुलिसकर्मियों पर रिश्वत मांगने और मना करने पर निर्दोष लोगों को झूठे आरोपों में फंसाने का गंभीर आरोप लगा है।
इस मामले में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सत्यवीर सिंह ने आजमगढ़ के पवई थाना प्रभारी और 15 अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने और विवेचना करने का आदेश दिया है। न्यायालय ने विवेचना के बाद प्राप्त परिणामों से अवगत कराने के लिए भी कहा है।
इस मामले की शुरुआत तब हुई जब अहरौला थाना क्षेत्र की निवासी गीता ने न्यायालय में वाद दाखिल किया। गीता का आरोप है कि उसके पति इंद्रजीत यादव और संचित यादव, जो कि फुलवरिया में स्थित बीयर की दुकान पर सेल्समैन हैं, उनसे पुलिस ने होली के दौरान अवैध धन की मांग की थी।
जब उनके पति और साथी ने रिश्वत देने से मना किया, तो पवई थाना प्रभारी संजय कुमार और अन्य पुलिसकर्मी उनके घर पहुंचे। पुलिसकर्मियों ने उनके स्कार्पियो वाहन की चाबी लेकर, उनके पति और साथी को स्कॉर्पियो में बैठाकर पवई थाने ले गए।
इसके बाद पुलिस ने वाहन चेकिंग के नाम पर झूठी कार्यवाही करते हुए आरोप लगाया कि वाहन से शराब और गांजा बरामद हुआ है। पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। गीता ने बताया कि पुलिस ने यह सब फर्जी तरीके से किया ताकि उनके पति को फंसाया जा सके।
इस घटना के बाद, गीता ने न्यायालय में अपने पति और संचित यादव की जमानत के लिए आवेदन किया, जिसे उच्च न्यायालय ने चार जून 2020 को मंजूरी दी। इसके साथ ही, गीता ने 29 मई 2020 को न्यायिक मजिस्ट्रेट आजमगढ़ से अपने वाहन को छुड़वाने के लिए भी अर्जी दी। कोर्ट ने 26 जून 2020 को आदेश जारी कर वाहन को वापस सौंपने का निर्देश दिया, लेकिन थाना प्रभारी संजय कुमार ने कोर्ट के आदेश की अवहेलना की और वाहन नहीं लौटाया।
जब किसी अधिकारी ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की, तो गीता ने पुनः न्यायालय की शरण ली। न्यायालय ने मामले की गंभीरता को देखते हुए पवई थाना प्रभारी और अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने और जांच के आदेश दिए हैं।