अनिल अनूप
आम आदमी पार्टी (आप) की नेता आतिशी ने शनिवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, और इस प्रकार वह राष्ट्रीय राजधानी की तीसरी महिला मुख्यमंत्री बनने के साथ-साथ स्वतंत्र भारत की 17वीं महिला मुख्यमंत्री भी बन गईं। 37 वर्ष की आयु में, वह इस पद पर बैठने वाली सबसे कम उम्र की मुख्यमंत्री हैं।
आतिशी का कार्यकाल हालांकि संक्षिप्त होगा, क्योंकि दिल्ली में विधानसभा चुनाव फरवरी में होने वाले हैं। मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद, उन्होंने जनता से अनुरोध किया कि वे अगले चुनाव में अरविंद केजरीवाल को फिर से चुनें। आतिशी ने चेतावनी दी कि यदि केजरीवाल को वोट नहीं दिया गया, तो भाजपा दिल्ली के नागरिकों के लिए कई सुविधाएँ समाप्त कर सकती है, जैसे मुफ्त बिजली और पानी।
भाजपा नेता अपर्णा यादव ने आतिशी को बधाई दी और कहा कि उनका कार्यकाल बहुत छोटा है, लेकिन दिल्ली की जनता को तय करना होगा कि वे किसे सत्ता में लाना चाहते हैं। उन्होंने आतिशी को सलाह दी कि अच्छा काम करें, यह महत्वपूर्ण है।
आतिशी ने मुख्यमंत्री बनने के बाद अपने मंत्रियों के विभागों की घोषणा की। वह खुद कई महत्वपूर्ण विभागों का कार्यभार संभालेंगी, जिसमें वित्त, शिक्षा, जल, ऊर्जा और लोक निर्माण शामिल हैं। इस प्रकार, वह दिल्ली की सबसे अधिक विभाग संभालने वाली मुख्यमंत्री बन गईं।
इसके विपरीत, पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपने पास कोई विभाग नहीं रखा था, जिससे कयास लगाए जा रहे थे कि आतिशी बिना विभाग के नहीं रहेंगी।
आतिशी, जिन्होंने दिल्ली की कालकाजी सीट से पहली बार विधायक के रूप में जीत हासिल की थी, केजरीवाल के सबसे करीबी सहयोगियों में से एक मानी जाती हैं। उनके मुख्यमंत्री बनने की संभावनाएँ पहले से ही चर्चा का विषय थीं, और अंततः एAP की विधायक दल की बैठक में उन्हें इस पद के लिए चुना गया।
दिल्ली में महिला मुख्यमंत्री के रूप में आतिशी की वापसी, शीला दीक्षित के एक दशक बाद हुई है। इससे पहले, सुषमा स्वराज ने 1998 में सिर्फ 52 दिनों के लिए मुख्यमंत्री पद संभाला था। शीला दीक्षित ने 15 साल तक इस पद पर रहकर दिल्ली की राजनीति में एक स्थायी प्रभाव छोड़ा था।
आतिशी का यह कार्यकाल नई चुनौतियों और अवसरों से भरा होगा, और उनके कार्यों का मूल्यांकन आने वाले विधानसभा चुनावों में जनता द्वारा किया जाएगा।
आतिशी का मुख्यमंत्री पद और राजनीतिक परिप्रेक्ष्य
आतिशी का मुख्यमंत्री बनना न केवल उनके व्यक्तिगत करियर के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह दिल्ली की राजनीति में भी एक नया मोड़ है। पिछले कुछ वर्षों में, दिल्ली की राजनीति में महिलाओं की भूमिका बढ़ी है, लेकिन आतिशी की नियुक्ति इस दिशा में एक विशेष कदम है।
महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी
आतिशी के मुख्यमंत्री बनने से यह स्पष्ट होता है कि आम आदमी पार्टी महिलाओं को नेतृत्व के अवसर देने के लिए प्रतिबद्ध है। यह भारतीय राजनीति में महिलाओं की आवाज को मजबूती देने का एक प्रयास है। इस समय, जब महिलाओं की सुरक्षा और उनके अधिकारों पर चर्चा हो रही है, आतिशी का पदभार संभालना एक प्रेरणादायक उदाहरण है।
आर्थिक और सामाजिक मुद्दे
आतिशी को विभिन्न महत्वपूर्ण विभागों का कार्यभार सौंपा गया है, जो उनके लिए चुनौतीपूर्ण होगा। दिल्ली में शिक्षा, स्वास्थ्य, जल, और बिजली जैसी बुनियादी सेवाओं में सुधार के लिए उनकी नीति और दृष्टिकोण बहुत महत्वपूर्ण होंगे।
भविष्य की चुनौतियाँ
आगामी विधानसभा चुनावों में, उन्हें न केवल अपने कार्यकाल के दौरान किए गए काम का मूल्यांकन करना होगा, बल्कि उन्हें अपने नेतृत्व में पार्टी की छवि को भी सहेजना होगा। उनकी कार्यप्रणाली, विशेष रूप से विपक्षी दलों के साथ समन्वय, उन्हें राजनीतिक रूप से स्थिरता प्रदान कर सकती है।
विपक्ष की प्रतिक्रिया
भाजपा और अन्य विपक्षी दल आतिशी के मुख्यमंत्री बनने के बाद उनकी कार्यशैली की कड़ी निगरानी करेंगे। वे यह सुनिश्चित करेंगे कि दिल्ली की समस्याओं का समाधान हो, और उनके कार्यकाल का सही मूल्यांकन किया जाए।
आतिशी का मुख्यमंत्री बनना एक नया अध्याय है, जो भारतीय राजनीति में महिलाओं की बढ़ती भूमिका को दर्शाता है। उनके नेतृत्व में, यह देखना दिलचस्प होगा कि वह कैसे दिल्ली की चुनौतियों का सामना करती हैं और क्या वे अपने विजन को वास्तविकता में बदल पाती हैं।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."