जगदंबा उपाध्याय की रिपोर्ट
आजमगढ़ के सठियांव खंड शिक्षा क्षेत्र के अंतर्गत प्राथमिक विद्यालय कुकुड़ीपुर में सोमवार को एक बड़ी घटना हुई, जब अभिभावकों की शिकायतों को लेकर स्कूल में हंगामा मच गया। सुबह करीब 8 बजे ग्रामीण अभिभावक, जिनमें महिलाएं और पुरुष शामिल थे, अपनी शिकायतें लेकर स्कूल पहुंचे। उनके गुस्से को देखते हुए विद्यालय की शिक्षिकाओं ने खुद को अंदर बंद कर लिया और स्कूल के बाउंड्री गेट का ताला लगा दिया। इस दौरान, बाहर खड़े ग्रामीण अभिभावकों और अंदर शिक्षिकाओं के बीच बहस और नोकझोंक होने लगी।
इस घटना की जानकारी मिलते ही खंड शिक्षा अधिकारी सुरेंद्र यादव मौके पर पहुंचे। उन्होंने स्कूल का ताला खुलवाया और अभिभावकों की शिकायतों को सुना। उन्होंने आश्वासन दिया कि सभी समस्याओं का समाधान किया जाएगा, जिसके बाद मामला शांत हुआ।
अभिभावकों का आरोप था कि स्कूल में बच्चों की पढ़ाई सही ढंग से नहीं हो रही है, मिड-डे मील (एमडीएम) की गुणवत्ता खराब है, और साफ-सफाई की भी भारी कमी है। अभिभावकों ने कहा कि ये शिकायतें पहले भी खंड शिक्षा अधिकारी को दी गई थीं, लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। अभिभावक राधिका देवी, लालती देवी, राधिका कुमारी, सुनीता देवी और ग्राम प्रधान धर्मेंद्र राजभर ने आरोप लगाया कि स्कूल की शिक्षिकाएं बच्चों की पढ़ाई पर ध्यान देने के बजाय दिनभर मोबाइल में व्यस्त रहती हैं। साथ ही, मिड-डे मील का भोजन न तो मेनू के अनुसार होता है और न ही साफ-सुथरा।
स्कूल की प्रधानाध्यापिका रौशन आरा ने बताया कि विद्यालय में 75 छात्र पंजीकृत हैं, जिनकी शिक्षा के लिए चार शिक्षिकाएं, दो शिक्षा मित्र (एक महिला और एक पुरुष), और मिड-डे मील के लिए तीन रसोइये नियुक्त हैं। हालांकि, हाल ही में एक रसोइया को निकाल दिया गया है।
इस हंगामे के दौरान स्कूल में पढ़ाई लगभग सवा दो घंटे तक बाधित रही, जिससे पूरे सठियांव क्षेत्र में यह मामला चर्चा का विषय बन गया। खंड शिक्षा अधिकारी सुरेंद्र यादव ने मौके पर पहुंचकर ग्रामीणों की शिकायतों को ध्यान से सुना और उन्हें समाधान का आश्वासन दिया, जिसके बाद स्थिति को नियंत्रित किया जा सका।
इस घटना ने शिक्षा क्षेत्र में हो रही अनियमितताओं को उजागर किया और अभिभावकों की नाराजगी का कारण बना, जो चाहते हैं कि उनके बच्चों की शिक्षा और मिड-डे मील जैसी योजनाएं सुचारू रूप से चलें।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."