चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट
तारीख थी 31 अगस्त 2024, वक्त लगभग आधी रात का और जगह थी उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद का मझोला इलाका। यहां के गागन नामक मोहल्ले में अचानक एक घर के बाहर शोरगुल होने लगा। रात के सन्नाटे को चीरते इस शोर ने आसपास के घरों के लोगों को भी चौंका दिया।
घरों की बत्तियां जल उठीं और लोग समझने के लिए उस घर के बाहर जमा हो गए। कुछ ही देर में पुलिस की गाड़ी भी सायरन बजाते हुए मौके पर पहुंच गई। भीड़ के बीच अब कानाफूसी होने लगी थी, क्योंकि पुलिस के पहुंचने के साथ ही मामला गंभीर लग रहा था।
पुलिस ने घर का दरवाजा तोड़ा और अंदर दाखिल हुई। वहां एक महिला की लाश पड़ी मिली। शुरुआती जांच में पुलिस को अंदेशा हो गया था कि महिला की हत्या गला घोंटकर की गई है। पुलिस ने तुरंत लाश को कब्जे में लेकर पंचनामा किया और पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। इसके बाद पुलिस की जांच ने सवाल उठाया – इस महिला की हत्या आखिर किसने और क्यों की?
महिला की पहचान साक्षी चौहान के रूप में हुई, जो अपने पति अंकुर चौहान और 7 साल की बेटी के साथ इस घर में किराए पर रहती थी। जब पुलिस ने उसके पति के बारे में पूछताछ की, तो मकान मालिक ने बताया कि अंकुर को उसने सुबह घर में देखा था, लेकिन उसके बाद से उसकी कोई खबर नहीं थी। अब पुलिस ने अपनी छानबीन तेज कर दी। एक दिन बाद ही साक्षी के पति अंकुर को गिरफ्तार कर लिया गया और पुलिस पूछताछ में एक दिल दहलाने वाली कहानी सामने आई।
2015 में शुरू हुई थी प्रेम कहानी
अंकुर चौहान और साक्षी (जो पहले सबिहा थीं) की प्रेम कहानी 2015 में शुरू हुई थी। सबिहा ठाकुरद्वारा के सुरजन नगर इलाके की रहने वाली थीं और अंकुर पास ही के इलाके में रहता था।
दोनों की मुलाकात एक संयोग से हुई और धीरे-धीरे ये मुलाकातें प्यार में बदल गईं। दोनों ने एक-दूसरे से जीवनभर साथ निभाने का वादा किया, लेकिन उनके रास्ते में धर्म और परिवार की दीवारें थीं।
सबिहा और अंकुर के प्यार की खबर जब उनके घरों तक पहुंची, तो दोनों परिवारों ने इस रिश्ते को मंजूरी देने से इनकार कर दिया।
परिवार छोड़ साक्षी बनीं और अंकुर के साथ रहने लगीं
परिवारों के विरोध के बावजूद दोनों ने हार नहीं मानी। आखिरकार, सबिहा और अंकुर ने घर से भागकर शादी कर ली। सबिहा ने प्यार के लिए अपना धर्म और परिवार दोनों छोड़ दिया।
शादी के बाद उसने अपना नाम बदलकर साक्षी चौहान रख लिया और दोनों ने मुरादाबाद के गागन मोहल्ले में एक छोटा सा किराए का घर ले लिया। कुछ समय बाद, उनकी जिंदगी में खुशी आई जब साक्षी ने एक बेटी को जन्म दिया। शादी के शुरुआती सालों में सबकुछ ठीक चल रहा था, लेकिन समय के साथ हालात बदलने लगे।
शक ने पैदा की दरार
शादी के लगभग 7 साल बाद, अंकुर का काम-धंधा बंद हो गया और परिवार आर्थिक तंगी में घिर गया। इस मुश्किल समय में साक्षी ने जिम्मेदारी उठाई और एक फैक्ट्री में काम करना शुरू किया। उसके काम से घर की आर्थिक समस्याएं तो सुलझने लगीं, लेकिन पति-पत्नी के रिश्ते में तनाव बढ़ने लगा।
फैक्ट्री में काम करने के कारण साक्षी अक्सर रात को देर से घर लौटती थी और कई बार उसके सहकर्मी उसे घर तक छोड़ने आते थे। अंकुर के मन में शक बैठने लगा कि साक्षी का किसी और के साथ संबंध है। इस शक ने दोनों के रिश्ते को और खराब कर दिया। शुरुआती बहसें अब बड़े झगड़ों में बदलने लगीं।
शक ने ली साक्षी की जान
31 अगस्त की रात, जब साक्षी फैक्ट्री से घर लौटी, तो एक बार फिर दोनों के बीच बहस शुरू हो गई। इस बार झगड़ा इतना बढ़ गया कि गुस्से में अंकुर ने साक्षी का गला घोंट दिया। साक्षी की हत्या के बाद अंकुर ने अपनी 7 साल की बेटी को लिया और घर से फरार हो गया।
पुलिस ने अंकुर को गिरफ्तार कर उसके खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया और उसे जेल भेज दिया। इस घटना ने मोहल्ले में सनसनी फैला दी। जिस आदमी के लिए साक्षी ने अपना सबकुछ त्याग दिया, उसी ने एक बेबुनियाद शक की वजह से उसकी जान ले ली।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."