सुमित गुप्ता की रिपोर्ट
बिलासपुर, छत्तीसगढ़ : नगर निगम चुनाव से पहले शहर के सभी 70 वार्डों में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) का सर्वे कराया जा रहा है। इसके लिए निगम प्रशासन ने तैयारियां शुरू कर दी हैं।
यह सर्वेक्षण प्रदेश के सभी जिलों में हो रहा है। अगर 30 सितंबर तक यह सर्वे पूरा कर उसकी रिपोर्ट सरकार को नहीं भेजी जाती है, तो नगर निकाय चुनाव बिना ओबीसी आरक्षण के कराए जा सकते हैं।
ऐसी स्थिति में, बिलासपुर नगर निगम के 18 ओबीसी आरक्षित सीटों को सामान्य सीटों में बदल दिया जाएगा।
वर्तमान में बिलासपुर नगर निगम में कुल 70 वार्ड हैं, जिनमें से 18 वार्ड ओबीसी के लिए आरक्षित हैं। इनमें से 6 सीटें महिलाओं के लिए और 12 सीटें पुरुषों के लिए आरक्षित हैं।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद, बिलासपुर सहित अन्य शहरों में नगरीय निकाय चुनावों पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। बिना ओबीसी के सही आंकड़े जुटाए, यहां चुनाव में ओबीसी के लिए आरक्षण लागू नहीं किया जा सकता।
राज्य सरकार ने राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग को ओबीसी का सर्वेक्षण पूरा करने के लिए 30 सितंबर तक का समय दिया है। यदि इस समय सीमा के भीतर सर्वे पूरा हो जाता है, तो सरकार आरक्षण पर निर्णय लेगी।
अगर समय पर नोटिफिकेशन जारी हो जाता है, तो दिसंबर में ओबीसी आरक्षण के साथ चुनाव कराए जा सकेंगे। अगर ऐसा नहीं होता है, तो निकाय चुनाव को स्थगित करने का विकल्प रहेगा, लेकिन इसके लिए कानून में संशोधन करना होगा।
ओबीसी आरक्षण 27% है
छत्तीसगढ़ में ओबीसी का आरक्षण 27% है, जबकि अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए 23% आरक्षण लागू है। यदि किसी नगरीय निकाय में ओबीसी की जनसंख्या 27% से कम है, तो उसी के अनुसार आरक्षण तय होगा।
उदाहरण के लिए, यदि किसी क्षेत्र में ओबीसी की जनसंख्या 20% है, तो एससी और एसटी को मिलाकर कुल आरक्षण 43% होगा, और शेष 7% वार्ड सामान्य वर्ग के लिए रखे जाएंगे। ऐसी स्थिति में, ओबीसी की आरक्षित सीटें कम हो सकती हैं। इसलिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार, ओबीसी के वास्तविक आंकड़े जुटाना आवश्यक है।
आरक्षण की आवश्यकता क्यों?
राज्य सरकार ने इस साल नगर निगमों का नए सिरे से परिसीमन (सीमांकन) कराया है, जिसके कारण नए सिरे से आरक्षण भी किया जाना है।
बिलासपुर नगर निगम के परिसीमन का अंतिम प्रकाशन हो चुका है, हालांकि इसके खिलाफ हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई है। इस पर अभी कोर्ट का फैसला नहीं आया है, लेकिन नगर निगम के जनप्रतिनिधियों का कार्यकाल समाप्त होने वाला है।
ऐसी स्थिति में, कोर्ट से स्थगन आदेश मिलने की संभावना कम है, और निगम अधिकारियों का मानना है कि नए परिसीमन के अनुसार ही चुनाव होंगे और आरक्षण भी नए सिरे से लागू किया जाएगा।
बिलासपुर सहित राज्य के विभिन्न नगर निगमों का कार्यकाल दिसंबर में समाप्त हो रहा है, और 15 जनवरी तक नई कार्यकारिणी का गठन होना जरूरी है।
पिछले सभी चुनाव निर्धारित समय पर ही हुए थे, लेकिन उस समय ओबीसी आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट का यह निर्देश नहीं था।
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश दिया है कि नगरीय निकायों में ओबीसी आरक्षण उनके वास्तविक आंकड़ों के आधार पर ही किया जाए। इस निर्देश के बाद, नगर निगम बिलासपुर ने सर्वेक्षण की पूरी तैयारी कर ली है।
यह सर्वे बूथ-स्तर पर मतदाता सूची के आधार पर किया जा रहा है, जिसमें बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर) और नगर निगम के कर्मचारी प्रत्येक वार्ड में जाकर घर-घर दस्तक दे रहे हैं और ओबीसी वर्ग की जानकारी जुटा रहे हैं।
सर्वेक्षण का कार्य 6 सितंबर से शुरू हो चुका है, और इसे 30 सितंबर तक पूरा कर रिपोर्ट सरकार को भेजी जाएगी।
Author: samachar
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